‘काशी तमिल संगमम्' हमारी विविध पहचान का उत्सव है: केंद्रीय मंत्री सुभाष सरकार

Edited By Tamanna Bhardwaj,Updated: 30 Dec, 2023 06:14 PM

kashi tamil sangamam  is a celebration of our diverse

केंद्रीय शिक्षा राज्य मंत्री सुभाष सरकार ने कहा है कि काशी और तमिलनाडु के बीच संबंधों को फिर से तलाशने से बौद्धिक और व्यावहारिक दोनों क्षेत्रों में ज्ञान के भंडार का निर्माण हो सकता है और ‘काशी तमिल संगमम्...

वाराणसी: केंद्रीय शिक्षा राज्य मंत्री सुभाष सरकार ने कहा है कि काशी और तमिलनाडु के बीच संबंधों को फिर से तलाशने से बौद्धिक और व्यावहारिक दोनों क्षेत्रों में ज्ञान के भंडार का निर्माण हो सकता है और ‘काशी तमिल संगमम्' हमारी विविध पहचान का उत्सव है। उन्होंने शुक्रवार को यहां ‘काशी तमिल संगमम्' में शामिल होने के लिए अपनी यात्रा के दौरान यह टिप्पणी की। ‘काशी तमिल संगमम्' के जरिए लोगों को तमिलनाडु और काशी के बीच सदियों पुराने संबंधों के बारे में जानने का मौका मिला है। मंत्री ने कहा, ‘‘काशी तमिल संगमम् 'एक भारत' की भावना को आगे बढ़ाता है। काशी और तमिलनाडु के बीच संबंधों को फिर से तलाशने से बौद्धिक और व्यावहारिक दोनों क्षेत्रों में ज्ञान के भंडार का निर्माण हो सकता है।'' 

उन्होंने कहा कि यह आदान-प्रदान "हमारी विविध पहचान और उन्हें संरक्षित करने की प्रतिबद्धता'' का उत्सव है। केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय द्वारा आयोजित द्वितीय ‘काशी-तमिल संगमम्' की शुरुआत 17 दिसंबर को हुई थी और यह शनिवार को संपन्न होगा। ‘काशी तमिल संगमम' के दूसरे संस्करण के दौरान तमिलनाडु और पुडुचेरी के 1,400 प्रतिनिधि भाग ले रहे हैं। प्रतिनिधियों को देश की सात प्रमुख नदियों के नाम पर समूहों में विभाजित किया गया है और प्रत्येक में 200 सदस्य शामिल हैं। इनमें छात्रों के समूह को ‘गंगा' नाम दिया गया है , जबकि शिक्षकों के समूह को ‘यमुना', पेशेवरों के समूह को ‘गोदावरी', आध्यात्मिक समूह को ‘सरस्वती', किसानों और दस्तकारों के समूह को ‘नर्मदा', लेखकों के समूह को ‘सिंधु' और व्यवसायियों के समूह को ‘कावेरी' नाम दिया गया है। 

अधिकारियों के अनुसार, संगमम् में भाग लेने के लिए आठ दिसंबर तक 42 हजार से अधिक लोगों ने पंजीकरण कराया था, जिनमें से 1,400 लोगों का चयन एक समिति द्वारा किया गया था। नमो घाट पर हथकरघा, हस्तशिल्प और व्यंजनों का प्रदर्शन करने वाली स्टॉल ने प्रतिनिधियों को तमिलनाडु और काशी की कला और संस्कृति के समृद्ध पहलुओं की जानकारी दी। ‘काशी तमिल संगमम्' के दूसरे संस्करण में साहित्य, प्राचीन ग्रंथ, दर्शन, अध्यात्म, संगीत, नृत्य, नाटक, योग और आयुर्वेद पर व्याख्यान हुए। इसके अतिरिक्त नवाचार, व्यापार, ज्ञान विनिमय, शिक्षा तकनीक और अगली पीढ़ी की प्रौद्योगिकी पर संगोष्ठी हुई। पहला संस्करण पिछले साल आयोजित किया गया था, जो एक महीने तक चला था और इसमें तमिलनाडु के 2,500 से अधिक लोगों ने भाग लिया था। 
 

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