Edited By Mamta Yadav,Updated: 02 Feb, 2024 10:29 PM
सुप्रसिद्ध कथा वाचक रामभद्राचार्य की शुक्रवार को अचानक तबीयत बिगड़ गई। उनको सीने में दर्द होने के कारण आगरा के पुष्पांजलि हॉस्पिटल में उपचार के लिए भर्ती कराया गया। जहां पर उनका इलाज शुरू हुआ लेकिन तबियत में सुधार नहीं होने से उन्हें एयर एंबुलेंस से...
Agra News: सुप्रसिद्ध कथा वाचक रामभद्राचार्य की शुक्रवार को अचानक तबीयत बिगड़ गई। उनको सीने में दर्द होने के कारण आगरा के पुष्पांजलि हॉस्पिटल में उपचार के लिए भर्ती कराया गया। जहां पर उनका इलाज शुरू हुआ लेकिन तबियत में सुधार नहीं होने से उन्हें एयर एंबुलेंस से आगरा से देहरादून ले जाया गया है। प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने रामभद्राचार्य के उत्तराधिकारी को फोन करके उनका हालचाल जाना। जगद्गुरु की तबीयत बिगड़ने की सूचना मिलने पर बड़ी संख्या में उनके अनुयायी हॉस्पिटल पहुंच रहे हैं।
कौन हैं जगद्गुरु रामभद्राचार्य?
जगद्गुरु रामभद्राचार्य चित्रकूट में रहते हैं। उनका वास्तविक नाम गिरधर मिश्रा है, उनका जन्म उत्तर प्रदेश के जौनपुर जिले में हुआ था। रामभद्राचार्य एक प्रख्यात विद्वान्, शिक्षाविद्, बहुभाषाविद्, रचनाकार, प्रवचनकार, दार्शनिक और हिन्दू धर्मगुरु हैं। वे रामानन्द सम्प्रदाय के वर्तमान चार जगद्गुरु रामानन्दाचार्यों में से एक हैं और इस पद पर साल 1988 से प्रतिष्ठित हैं। रामभद्राचार्य चित्रकूट में स्थित संत तुलसीदास के नाम पर स्थापित तुलसी पीठ नामक धार्मिक और सामाजिक सेवा स्थित जगद्गुरु रामभद्राचार्य विकलांग विश्वविद्यालय के संस्थापक हैं और आजीवन कुलाधिपति हैं। जगद्गुरु रामभद्राचार्य जब सिर्फ दो माह के थे तभी उनके आंखों की रोशनी चली गई थी। वे बहुभाषाविद् हैं और 22 भाषाएं जैसे संस्कृत, हिन्दी, अवधी, मैथिली सहित कई भाषाओं में कवि और रचनाकार हैं।
उन्होंने 80 से अधिक पुस्तकों और ग्रंथों की रचना की है, जिनमें चार महाकाव्य (दो संस्कृत और दो हिन्दी में) हैं। उन्हें तुलसीदास पर भारत के सर्वश्रेष्ठ विशेषज्ञों में गिना जाता है। वे न तो पढ़ सकते हैं और न लिख सकते हैं और न ही ब्रेल लिपि का प्रयोग करते हैं। वे केवल सुनकर सीखते हैं और बोलकर अपनी रचनाएं लिखवाते हैं। साल 2015 में भारत सरकार ने उन्हें पद्मविभूषण से सम्मानित किया था।