10वीं की छात्रा से गैंगरेप मामले में प्रमुख सचिव गृह को हाईकोर्ट का समन, पीड़िता के भाई को मिली बड़ी राहत

Edited By Ajay kumar,Updated: 03 Mar, 2024 04:43 PM

high court summons principal secretary home in gangrape case

मानिकपुर के एक प्रतिष्ठित कॉलेज में शिक्षकों द्वारा एक छात्रा से सामूहिक दुष्कर्म के मामले में पुलिस द्वारा पीड़िता के रिश्ते के भाई को ही दोषी बनाने का संज्ञान हाईकोर्ट ने लिया है। पीड़िता के भाई ने हाईकोर्ट के इस फैसले पर खुशी जाहिर की है।

चित्रकूट: मानिकपुर के एक प्रतिष्ठित कॉलेज में शिक्षकों द्वारा एक छात्रा से सामूहिक दुष्कर्म के मामले में पुलिस द्वारा पीड़िता के रिश्ते के भाई को ही दोषी बनाने का संज्ञान हाईकोर्ट ने लिया है। पीड़िता के भाई ने हाईकोर्ट के इस फैसले पर खुशी जाहिर की है। पीड़ित के अधिवक्ता विनय कुमार पाल ने बताया कि इस मामले में हाईकोर्ट ने प्रमुख सचिव गृह को व्यक्तिगत रूप से 16 अप्रैल को उपस्थित होने के लिए सम्मन जारी किया है और पुलिस का पक्ष रखने को कहा है।

तीन आरोपियों सहित पीडि़ता के फुफेरे भाई को भी जेल 
गौरतलब है कि मानिकपुर के एक कालेज में पिछले साल जुलाई- अगस्त में एक सनसनीखेज मामला सुर्खियों में रहा था। हाईस्कूल की एक छात्रा ने कालेज के प्रधानाचार्य समेत चार शिक्षकों पर लगभग चार माह से लगातार दुराचार करने का आरोप लगाया था। तब पुलिस ने तीन आरोपियों सहित पीडिता के फुफेरे भाई को भी जेल भेज दिया था।

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उच्च न्यायालय ने पीड़ित युवक को बड़ी राहत दी
पीड़ित के अधिवक्ता विनय कुमार पाल ने बताया कि इस पर 29 जुलाई 23 को ही एफआईआर दर्ज की गई थी और उसी दिन इसे जेल भेज दिया गया था। छह महीने तक इसे जेल में रहना पड़ा और तब जमानत हुई थी। उन्होंने बताया कि उन्होंने पीड़ित की ओर से हाईकोर्ट में मिसलेनियस अपलीकेशन दिया था। इस पर उच्च न्यायालय ने पीड़ित युवक को बड़ी राहत दी है।

कोर्ट ने पीड़ित के खिलाफ कोई भी अपराध न निधर्धारित करने के भी आदेश दिए
अधिवक्ता ने बताया कि कोर्ट ने पूरे मामले में प्रथमदृष्ट्या पीड़ित युवक के खिलाफ कोई सुबूत न मिलने की बात मानी है और मुख्य सचिव गृह (प्रिंसिपल सेकेट्री होम) को 16 अप्रैल को व्यक्तिगत रूप से उपस्थित होकर पुलिस का पक्ष, कि किन परिस्थितियों और सुबूतों के आधार पर पीड़िता के भाई को दोषी बनाया, रखने के आदेश जारी किए है। अधिवक्ता ने यह भी जानकारी दी कि इस अवधि के दरम्यान कोर्ट ने पीड़ित के खिलाफ कोई भी अपराध न निधर्धारित करने के भी आदेश दिए हैं।

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