72,825 ट्रेनी टीचर भर्ती: हाईकोर्ट ने कहा- 13 वर्ष बाद काउंसिलिंग का नहीं दिया जा सकता आदेश

Edited By Mamta Yadav,Updated: 17 Apr, 2024 12:59 AM

high court said counseling cannot be ordered after 13 years

इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने मंगलवार को पारित एक निर्णय में 30 नवंबर 2011 को जूनियर बेसिक स्कूलों में 75 हजार 825 ट्रेनी टीचरों की भर्ती के लिए जारी विज्ञापन में से उच्चतम न्यायालय द्वारा बनाई 12091 श्रेणी के बचे अभ्यर्थियों को बुलाकर फिर से काउंसलिंग...

Prayagraj News: इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने मंगलवार को पारित एक निर्णय में 30 नवंबर 2011 को जूनियर बेसिक स्कूलों में 75 हजार 825 ट्रेनी टीचरों की भर्ती के लिए जारी विज्ञापन में से उच्चतम न्यायालय द्वारा बनाई 12091 श्रेणी के बचे अभ्यर्थियों को बुलाकर फिर से काउंसलिंग कराने के एकल जज के आदेश को सही नहीं माना। अदालत ने एकल जज के आदेश के खिलाफ प्रदेश सरकार व बेसिक शिक्षा बोर्ड की विशेष अपील को मंजूर कर एकल जज के आदेश को रद्द कर दिया है। कोर्ट ने कहा है कि 13 वर्ष बाद इस प्रकार से काउंसलिंग कराने का आदेश नहीं दिया जा सकता है। जबकि सुप्रीम कोर्ट ने ट्रेनी टीचरों की भर्ती प्रक्रिया को सही ठहराया है। उक्त दोनों विशेष अपीलों पर जस्टिस अश्वनी कुमार मिश्रा एवं जस्टिस एस.क्यू.एच. रिजवी की खंडपीठ ने कई दिनों की सुनवाई के बाद फैसला सुरक्षित कर लिया था। हाईकोर्ट की विशेष अपील बेंच ने मंगलवार को इन अपीलों पर फैसला देते हुए सरकार की विशेष अपील मंजूर कर ली।
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शेष बचे अभ्यर्थियों की काउंसिलिंग कराने का एकल जज द्वारा निर्देश दिया जाना गैरकानूनी
यूपी सरकार की तरफ से अपर मुख्य स्थाई अधिवक्ता रामानंद पांडेय तथा बेसिक शिक्षा बोर्ड की तरफ से कुष्मांडा शाही ने एकल जज के आदेश के खिलाफ विशेष अपील दाखिल की थी। इन अपीलों में कहा गया था कि सुप्रीम कोर्ट ने 25 जुलाई 2017 एवं बाद में इस मामले में अभ्यर्थियों द्वारा दाखिल अवमानना केस में 13 दिसम्बर 2019 को सरकार द्वारा ट्रेनी टीचरों की सम्पन्न की गई भर्ती को सही मानते हुए अवमानना का केस खत्म कर दिया था। ऐसे में 2011 की भर्ती को लेकर फिर से शेष बचे अभ्यर्थियों की काउंसिलिंग कराने का एकल जज द्वारा निर्देश दिया जाना गैरकानूनी है। दूसरी तरफ अभ्यर्थियों विनय कुमार पांडेय व अन्य की तरफ से वरिष्ठ अधिवक्ता अशोक खरे, एच.एन. सिंह, आरके ओझा, अनिल तिवारी का कहना था कि एकल जज द्वारा पारित आदेश में कोई त्रुटि नहीं है। बहस की गई कि सरकार की तरफ से सुप्रीम कोर्ट में दाखिल अवमानना वाद में सही तथ्य प्रस्तुत नहीं किया गया, जिस कारण इस प्रकार का आदेश पारित हुआ और सुप्रीम कोर्ट ने भर्ती को सही मानते हुए अवमानना केस समाप्त कर दिया।

गौरतलब है कि हाईकोर्ट के एकल जज ने बेसिक शिक्षा परिषद में 72,825 सहायक अध्यापकों की नियुक्ति के मामले में निर्देश दिया था कि इस भर्ती में बचे हुए 12091 पदों पर काउंसिलिंग कराने के लिए विज्ञापन जारी किया जाए और काउंसिलिंग का परिणाम फरवरी के अंतिम सप्ताह तक जारी कर दिया जाए। कोर्ट के इस आदेश से लगभग 12 वर्षों से चले आ रहे इस भर्ती विवाद का पटाक्षेप होने की उम्मीद थी। याची वकीलों का कहना था कि 72,825 सहायक अध्यापकों की भर्ती में से कोर्ट के आदेश के परिणाम स्वरूप 66,655 पदों पर चयन हो गया है और चयनित अभ्यर्थियों ने कार्यभार भी ग्रहण कर लिया है। लेकिन 12091 पद अब भी शेष रह गए हैं, जिन पर काउंसिलिंग नहीं कराई गई और चयन की सीमा में आने वाले अभ्यर्थियों की नियुक्ति नहीं हो सकी है। एकल जज ने कहा था कि यह आश्चर्यजनक है कि काउंसिलिंग की जानकारी होने के बावजूद चयनित अभ्यर्थी काउंसिलिंग में न शामिल होकर मुकदमे में लगे रहे। जबकि काउंसिलिंग से संबंधित कोई तथ्य रिकॉर्ड पर नहीं है। ऐसी स्थिति में सरकार और बेसिक शिक्षा परिषद 12091 पदों पर नए सिरे से काउंसिलिंग के लिए विज्ञापन जारी करें और इस कैटेगरी में आने वाले उन अभ्यर्थियों को बुलाया जाए, जो पूर्व में काउंसिलिंग में शामिल नहीं हुए हैं। कोर्ट ने कहा था कि काउंसिलिंग पांच फरवरी 2024 से शुरू होने वाले सप्ताह में कराई जाए।

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