Edited By Anil Kapoor,Updated: 29 Dec, 2022 01:20 PM
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लखनऊ: दिल से संबंधी बीमारियों से जूझ रहे मासूम बच्चों को यूपी की योगी आदित्यनाथ सरकार अब अच्छा इलाज मुहैया कराएगी... क्योंकि अब उत्तर प्रदेश सरकार अमेरिका की सलोनी हार्ट फाउंडेशन के साथ मिलकर एसजीपीजीआई में सेंटर फॉर एक्सीलेंस इन पीडियाट्रिक कॉर्डियोलॉजी यूनिट की स्थापना करेगी... इसकी मदद से हर साल 5 हजार बच्चों की सर्जरी और 10 हजार बच्चों का इलाज किया जा सकेगा... वहीं 200 बेड वाले इस पीडियाट्रिक कॉर्डियोलॉजी सेंटर के बनने से राज्य के बच्चों को काफी राहत मिलने की उम्मीद है... दरअसल, यूपी में ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट का आयोजन होने वाला है... कार्यक्रम को सफल बनाने के लिए यूपी सरकार के मंत्री विदेश दौरे पर गए है ... इसी कड़ी में वित्त मंत्री सुरेश खन्ना यूएस गए है. जहां प्रदेश सरकार की तरफ से अमेरिका के सलोनी हार्ट फाउंडेशन के साथ एक एमओयू साइन किया गया... इसी के तहत एसजीपीजीआई में सेंटर फॉर एक्सीलेंस इन पीडियाट्रिक कॉर्डियोलॉजी यूनिट की स्थापना की जाएगी... बता दें कि कैलिफोर्निया में रहने वाले भारतीय मूल की रहने वाली सलोनी हार्ट फाउंडेशन की फाउंडर मिली सेठ ने लखनऊ के एसजीपीजीआई में यूनिट बनाने के लिए प्रदेश सरकार के साथ 480 करोड़ रुपये का एक एमओयू साइन किया है... इसे 30 बेड से शुरू किया जाएगा... इसके लिए SGPGI के डायरेक्टर आरके धीमान ने इसकी इजाजत दे दी है... इसके पहले चरण के सफलता के बाद दूसरे चरण में 100 और तीसरे चरण में यूनिट का विस्तार 200 बेड तक कर दिया जाएगा... जहां पर दिल की जन्मजात बीमारियों से जूझने वाले 5 हजार बच्चों की सर्जरी और 10 हजार बच्चों का इलाज संभव हो सकेगा... इस यूनिट के पूर्ण रूप से संचालित होने के बाद BHU के साथ मिलकर सलोनी हार्ट फाउंडेशन एक और यूनिट का भी निर्माण कर सकती है।
बता दें कि फाउंडेशन की फाउंडर और प्रेसीडेंट मिली सेठ दिल्ली की रहने वाली हैं... वो दिल्ली में अपनी फर्म चलाती थीं, जबकि उनके पति हिमांशु सेठ मल्टीनेशनल आईटी कंपनी में काम करते थे... लेकिन साल 2005 में उनकी छोटी बेटी सलोनी का जन्म हुआ, जिसे जन्मजात कंजेनाइटल हार्ट डिजीज यानी की पैदाइशी दिल की बीमारी की समस्या थी... लेकिन दिल्ली में 2007 में पहले गलत इलाज और फिर 2010 में उसे लाइलाज घोषित कर दिया गया... इस बीमारी का भारत में इलाज संभव नहीं हो सका था... इसके चलते दंपति को यूएस शिफ्ट होना पड़ा, जहां 2011 में सलोनी को स्टैनफोर्ड चिल्ड्रेंस अस्पताल ने बचाया और वो ठीक हो गई... हालांकि 2018 में पहले के इलाज की देरी की वजह से हुई कॉम्प्लिकेशंस से उन्होंने सलोनी को खो दिया।
एक रिपोर्ट के मुताबिक, देश में हर साल 2 लाख 40 हजार बच्चे हार्ट डिजीज के साथ जन्म लेते हैं... इनमें से 20 फीसदी बच्चों को जीवित रहने के लिए पहले साल में ही हार्ट की सर्जरी की जरूरत होती है... जहां इलाज न मिल पाने की वजह से इनमें से कई की मौत हो जाती है... इनमें सबसे ज्यादा बच्चे यूपी, बिहार, हरियाणा, मध्य प्रदेश, राजस्थान और दिल्ली से होते हैं... बता दें कि सलोनी संस्था से दुनिया के 23 सुपर स्पेशियलिस्ट पीडियाट्रिक कार्डियोलॉजिस्ट और पीडियाट्रिक कार्डियो थोरेसिक सर्जन जुड़े हुए हैं... इनके जरिए वो भारत में इस रोग से संबंधित बच्चों के परिजनों को मुफ्त में मेडिकल सलाह उपलब्ध कराती हैं...जिससे अब उम्मीद है कि बीमार हुए बच्चों को नई जिंदगी मिलेगी।