शिया महासम्मेलन में बोले धर्मगुरु मौलाना कल्बे जवादः हर क्षेत्र में पिछड़ते जा रहे हैं शिया, विकास की बाधाओं को दूर करे सरकार

Edited By Ajay kumar,Updated: 13 Mar, 2023 08:53 PM

gov should remove the obstacles in the development of shias kalbe jawad

शिया मुसलमानों की तमाम समस्याओं को लेकर प्रमुख शिया धर्मगुरु मौलाना कल्बे जवाद के आह्वान पर रविवार को एतिहासिक बड़े इमामबाड़े में शिया महासम्मेलन का आयोजन किया गया। इस सम्मेलन में उत्तर प्रदेश के अलावा, दिल्ली, जम्मू कश्मीर, विहार, हरियाणा,...

लखनऊः शिया मुसलमानों की तमाम समस्याओं को लेकर प्रमुख शिया धर्मगुरु मौलाना कल्बे जवाद के आह्वान पर रविवार को एतिहासिक बड़े इमामबाड़े में शिया महासम्मेलन का आयोजन किया गया। इस सम्मेलन में उत्तर प्रदेश के अलावा, दिल्ली, जम्मू कश्मीर, विहार, हरियाणा, महाराष्ट्र, कर्नाटक बंगाल, तमिलनाडु और अन्य राज्यों के उलेमा शामिल हुए और उन्होंने अपने क्षेत्रीय व क़ौमी मुद्दों पर चर्चा की।महासम्मेलन के संयोजक मौलाना शबाब हैदर नक़वी सिरसीवी ने कार्यक्रम के लक्ष्य और उद्देश्यों के बारे में जानकारी दी। शिया महासम्मेलन के अध्यक्ष मौलाना कल्बे जवाद कहा कि हम शिया महासम्मेलन में शियों की बुनियादी समस्याओं को उठा रहे हैं, ताकि हमारी क़ौम को उसके अधिकार मिल सके।

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आजाद भारत में ये शियों के इतिहास का सबसे बड़ा जमावड़ा
मौलाना कल्बे जवाद ने कहा कि आजाद भारत में ये शियों के इतिहास का सबसे बड़ा जमावड़ा है। हम देख रहे हैं कि शिया लगातार पिछड़ते जा रहे हैं, चाहे वह शिक्षा का क्षेत्र हो या फिर आर्थिक और राजनीतिक क्षेत्र हो। मौलाना ने कहा कि शियों के वोटों की संख्या कम नहीं है लेकिन हमें अनदेखा किया जाता है, ताकि हमें अपने अधिकारों से वंचित किया जा सके। इस सम्मेलन के माध्यम से हम इस भ्रम को दूर करना चाहते हैं कि शियों की संख्या बहुत कम है। हमें हमारा हक मिलना चाहिए।

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शिया महासम्मेलन की मुख्य मांगें
कौमी एकता को बढ़ावा देना और इसके लिए संघर्ष करना। जन्नत-उल- बक्री की पुन: निर्माण की मांग, 100 साला विध्वस की निंदा और संयुक्त राष्ट्र में प्रस्ताव भेजने की मांग। शैक्षिक और आर्थिक पिछड़ेपन को दूर करने और इस स्थिति से बाहर निकलने की योजना बनाना। राजनीतिक चेतना का विकास, राजनीतिक नेतृत्व का अस्तित्व और उसकी तरक़्क़ी, राजनीतिक समस्याओं को हल करने के लिए कार्य योजना। वक्फ की समस्याएं, सुरक्षा योजना, वक्फ संपत्ति का उपयोग और लाभ। शियों की बुनियादी समस्याएं जैसे राजनीतिक, सामाजिक, बौद्धिक और धार्मिक और उनका समाधान। युवाओं को बौद्धिक भ्रष्टता से बचाने के लिए कार्य योजना. साहित्य तैयार करना और कक्षाओं का आयोजन करना। हम इस संबंध में सरकार से बात करेंगे।

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सामने रखेंगे अपनी मांग
उन्होंने कहा कि जब हम पहली बार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मिले तो उन्होंने कहा कि मुसलमान अपनी समस्या हम तक नहीं पहुंचाते, इस सम्मेलन के बाद हम उनसे मिलकर अपनी मांगों को रखेंगे ताकि शियों के विकास की राह में आने वाली बाधाओं को दूर किया जा सके। इस महासम्मेलन में उलेमा ने संयुक्त रूप से कहा कि शियों को राष्ट्रीय स्तर और एकजुटता दिखाने की सख्त ज़रूरत है। जन्नतुल बक़ी के विध्वंस को 100 साल पूरे हो रहे हैं मगर अफ़सोस अब तक रसूल की बेटी हज़रत फातिमा जहरा स.अ की कब्र बेसाया है। हम इस क्रूरता की निंदा करते हैं और मांग करते हैं की जन्नतुल बक़ी का पुनर्निर्माण कराया जाये। उलेमा ने कहा कि शियों के विकास और कल्याण के लिए अलग- अलग स्तरों पर योजना बनाने और काम करने की जरूरत है। हमारे पास स्कूलों और कॉलेजों की कमी है।

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