सेवानिवृत कर्मियों के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्यवाही विस्तारित करना अवैधानिकः हाईकोर्ट

Edited By Ajay kumar,Updated: 02 Feb, 2024 09:07 PM

extending disciplinary proceedings against retired employees illegal highcourt

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अनुशासनात्मक कार्यवाही से जुड़े एक मामले में सुनवाई करते हुए कहा कि नियोक्ता को अपने कर्मचारियों के खिलाफ सेवानिवृत्ति के बाद अनुशासनात्मक कार्यवाही जारी रखने के लिए कुछ विशेष नियमों के तहत शक्ति प्राप्त होती है।

प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अनुशासनात्मक कार्यवाही से जुड़े एक मामले में सुनवाई करते हुए कहा कि नियोक्ता को अपने कर्मचारियों के खिलाफ सेवानिवृत्ति के बाद अनुशासनात्मक कार्यवाही जारी रखने के लिए कुछ विशेष नियमों के तहत शक्ति प्राप्त होती है। कोर्ट के समक्ष प्रश्नगत मुद्दा था कि क्या सेवानिवृत कर्मचारियों के खिलाफ लंबित अनुशासनात्मक कार्यवाही जारी रखी जा सकती है?

कर्मचारियों के सेवानिवृत हो जाने पर नियोक्ता-कर्मचारी संबंध हो जाता है समाप्त
कोर्ट ने इसका निष्कर्ष निकाला कि सामान्य सिद्धांत के अनुसार कर्मचारियों के सेवानिवृत हो जाने पर नियोक्ता-कर्मचारी संबंध समाप्त हो जाता है। कर्मचारी की सेवानिवृत्ति के बाद अनुशासनात्मक जांच तभी बढ़ाई जा सकती है, जब उसकी सेवा शर्तों को नियंत्रित करने वाले कानून में ऐसा प्रावधान हो। मौजूदा मामले में कोर्ट ने कहा कि विभागीय उपचार सुविधा के उपचार के रूप में होते हैं। किसी कर्मचारी के अधिकारों को अनिश्चितकाल के लिए स्थगित करने हेतु कोई असुविधा या जाल की तरह इनका उपयोग नहीं किया जा सकता। इस मामले में याची उत्तर प्रदेश में वरिष्ठ गोदाम अधीक्षक के पद पर कार्यरत है। राज्य भंडारण निगम 2005 में उनके खिलाफ पांच आरोपों पर अनुशासनात्मक कार्रवाई शुरू की गई।

याची को सभी आरोपों में दोषी पाया गया
याची ने सभी आरोपों से इनकार करते हुए जवाब प्रस्तुत किया, लेकिन याची को सभी आरोपों में दोषी पाया गया। इसी बीच जुलाई 2009 में याची सेवानिवृत हो गया। हालांकि लंबित अनुशासनात्मक कार्रवाई में कोई अंतिम आदेश पारित नहीं किया गया। वर्ष 2010 में निगम के प्रबंध निदेशक द्वारा याची को सेवानिवृत्ति के बाद के लाभों और अन्य संपत्तियों से निगम को हुई कुल हानि का भुगतान करने के लिए उत्तरदायी ठहराया गया, साथ ही यह भी निर्देश दिया गया कि अन्य बकाया 1 मार्च 2006 से 1 मार्च 2009 के बीच याची को दी गई चार वेतन वृद्धि के रुप में धनराशि समायोजित किया जाएगा। याची ने अनुशासनात्मक प्राधिकरण के आदेश के खिलाफ निगम के निदेशक मंडल के सामने अपील दाखिल की, लेकिन याची की अपील को 9 साल तक लंबित रखा गया।

 

 

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