UP: 5 करोड़ का बकाया भुगतान न होने से हमीरपुर की सहकारी समितियां बंद होने की कगार पर

Edited By Mamta Yadav,Updated: 06 Apr, 2022 01:57 PM

cooperative societies of hamirpur on the verge of closure due to non payment

उत्तर प्रदेश के हमीरपुर जिले में प्रान्तीय सहकारी संघ (पीसीएफ) का करीब पांच करोड़ रुपये का सात साल से पड़ा बकाया भुगतान न होने के कारण जिले की सहकारी समितियां बंद होने की कगार पर आ गयी हैं।

हमीरपुर: उत्तर प्रदेश के हमीरपुर जिले में प्रान्तीय सहकारी संघ (पीसीएफ) का करीब पांच करोड़ रुपये का सात साल से पड़ा बकाया भुगतान न होने के कारण जिले की सहकारी समितियां बंद होने की कगार पर आ गयी हैं। भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) को पीसीएफ का यह भुगतान करना था। बीते सात सालों में भुगतान के लिये पीसीएफ ने कई बार एफसीआई के क्षेत्रीय प्रबंधक बांदा को पत्र लिखा, मगर कोई सुनवाई नहीं हुयी। पीसीएफ के जिला प्रबंधक दिनेश कुशवाहा ने बुधवार को बताया कि सहकारी संघ, शासन से ब्याज पर पैसा लेकर गेहूं की खरीद करता है, क्योंकि सहकारी समितियों के ही सर्वाधिक क्रय केंद्र जिले में स्थापित होते है। शासन से जो बजट मिलता है उसी से बोरे, परिवहन व अन्य व्यवस्थाएं की जाती हैं। इससे जो लाभांश प्राप्त होता है, उसी से सहकारी समितियों के कर्मियों को वेतन दिया जाता है।

कुशवाहा ने बताया कि एफसीआई ने जिले के पीसीएफ का वर्ष 2014-15 का 14,26,866 रुपये परिवहन बिल का भुगतान नहीं किया गया है। इसी प्रकार वर्ष 2016-17 के मंडी शुल्क का 11,90,646 रुपये, वित्तीय वर्ष 2021-22 का परिवहन बिल 9,49,219 रुपये और समितियों का कमीशन 7,80,934 रुपये का भुगतान अभी तक नही किया गया है। उन्होंने बताया कि इन सभी मदों में पीसीएफ का अब तक का 4,96,75,145 रुपये का भुगतान न करने से विभाग की हालत दिनों दिन खराब होती जा रही है। पिछले साल हमीरपुर के जिलाधिकारी ने एफसीआई पर शिकंजा कस कर थोड़ा बहुत भुगतान करा दिया था।

उन्होंने बताया कि इसके बाद से एफसीआई के बांदा के प्रबंधक को एक साल में कई बार पत्र लिखा जा चुका है, मगर इस पर कोई कारर्वाई नहीं हुई है। सहकारिता के सहायक आयुक्त रामसागर चौरसिया ने बताया कि जिले मे वैसे भी सहकारी समितियों की हालत बेहद खस्ता है, क्योंकि सहकारी समितियों को उनके द्वारा किये गये व्यवसाय पर ही वेतन व अन्य सुविधायें दी जाती हैं। चौरसिया ने कहा कि साल में गेहूं की खरीद करने पर सहकारिता को लाभांश मिलने का ज्यादा भरोसा रहता है मगर एफसीआई से कोई आर्थिक सहयोग न मिलने से सहकारिता का ढांचा गड़बड़ाता जा रहा है।

पीसीएफ हमीरपुर का कहना है कि केंद्र सरकार से एफसीआई को समय से बजट भुगतान के लिये मिल जाता है। इसके बावजूद समितियों का बकाया भुगतान नहीं हो पा रहा है। भारतीय खाद्य निगम के क्षेत्रीय प्रबंधक मनोज मुदिया का कहना है कि विभाग में उन्होंने अभी कार्यभार संभाला है इसलिये वह इस बारे में तफ्तीश किये बिना कुछ नहीं बोल सकते हैं। मुदिया ने कहा कि इसकी शीघ्र ही समीक्षा की जायेगी और इसके आधार पर जो भी आर्थिक सहयोग संभव होगा, उसे किया जायेगा।

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