BJP MP कौशल किशोर ने सीएम योगी को लिखा पत्र, सहकारिता विभाग पर लगाए गंभीर आरोप

Edited By Tamanna Bhardwaj,Updated: 10 Dec, 2020 01:47 PM

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उत्तर प्रदेश की योगी सरकार भ्रष्टाचार के खिलाफ जीरो टॉलरेंस पर काम कर रही है, लेकिन विभागों को तमाम अधिकारी इस पर पलीता लगाने से बाज नहीं आ रहे हैं। इसी कड़ी में मोहनलालगंज से बीजेपी सांसद कौशल किशोर ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को भ्र...

लखनऊ: उत्तर प्रदेश की योगी सरकार भ्रष्टाचार के खिलाफ जीरो टॉलरेंस पर काम कर रही है, लेकिन विभागों को तमाम अधिकारी इस पर पलीता लगाने से बाज नहीं आ रहे हैं। इसी कड़ी में मोहनलालगंज से बीजेपी सांसद कौशल किशोर ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को भ्रष्टाचार को लेकर पत्र लिखा है। बता दें कि पत्र में सांसद ने अपर मुख्य सचिव सहकारिता एमवीएस रामी रेड्डी और विभाग के तमाम प्रबंध निदेशक व अधिकारियों पर भ्रष्टाचार का आरोप लगाया है। इतना ही नहीं सांसद ने अपने पत्र में सिलसिलेवार ढंग से कुल 15 आरोप लगाए हैं। हालांकि अपर मुख्य सचिव रामी रेड्डी ने सांसद द्वारा लगाए आरोपों को नकारा है।

सांसद कौशल किशोर के सिलसिलेवार आरोप:-

  • राज्य भंडारण निगम के तहत हैंडलिंग/ परिवहन की निविदाएं कई गुना दर पर देने के मामले में करोड़ों की अनियमितता सामने आई थी। जिसमें एफआईआर, अनुशासनिक कार्यवाई के आदेश हुए थे, लेकिन अपर मुख्य सचिव के कहने पर प्रबंध निदेशक राज्य भंडारण ने दोषियों को आरोपमुक्त कर दिया।
  • जिला सहकारी बैंक बुलंदशहर के अध्यक्ष ने जिला सहकारी बैंक में करोड़ों रुपए की अनियमितता की। अनुमोदन के लिए प्रोटोकाल का उल्लंघन कर मनमाफिक दूसरी कमिटी बना ली गई। शासकीय धन के गबन को दबाने का प्रयास किया जा रहा है।
  • साल 2018-19 में जनपद अंबेडकर नगर में धान खरीद में रुपए 16.64 करोड़ के वियरर चेक से भुगतान पर करोड़ों का भ्रष्टाचार PCU के प्रबंध निदेशक मनोज द्विवेदी द्वारा किया गया, लेकिन दोबारा जांच कराने की अपेक्षा कर मामला दबा दिया गया व साथ ही अपने खास अपर निबंधक/आयुक्त राम प्रकाश से जांच कराकर मामले को रफ़ा दफ़ा करने का कार्य किया गया।
  • जनपद लखीमपुर खीरी में साल 2019-20 में धान खरीद में करोड़ों के शासकीय धन की अनियमितता, फर्जी नियुक्तियों, फर्जी धान बेचने की शिकायतें हुईं थी, लेकिन संबंधित जांच अधिकारी का ट्रांसफर कर दिया गया, जिसमे खीरी के एआर रत्नाकर सिंह व लखनऊ मंडल के जॉइंट रजिस्ट्रार सेंट्रल विनोद पटेल द्वारा लगभग 150 करोड़ से अधिक का वित्तीय गोलमाल किया गया है।
  • यूपी राज्य भंडारण निगम में प्रबंध निदेशक आलोक कुमार सिंह ने 5000 मीटर टन के 40 गोदाम निर्माण के लिए 166 करोड़ रुपये का एस्टीमेट तैयार कराया गया था, लेकिन उन्हें पद से हटा दिया गया था। ऐसे में वर्तमान प्रबंध निदेशक श्रीकांत गोस्वामी ने 40 की जगह 37 गोदाम में हेरफेर कर 187 करोड़ का स्टीमेट ACS सहकारिता की शह पर तैयार किया है,जिसमे गंभीर वित्तीय अनियमितता है।
  • जिन भर्तियों के आरोपितों पर अपर मुख्य सचिव का संरक्षण मिला हुआ है उनकी भी जांच की जानी चाहिए। राजीव यादव ने संविदा से पहले से अनुसेवक कार्यरत होने के बाद भी उन्हें निकाल कर 125 पदों पर नियम विरुद्ध नियुक्तियां हुई हैं।
  • कॉपरेटिव बैंक लखनऊ में सहायक प्रबंधकों की नियुक्तियों में तत्कालीन प्रबंध निदेशक हीरालाल यादव के खिलाफ एफआईआर होने के बाद भी उन्हें चिकित्सीय अवकाश दिया गया है। साथ ही उनसे विभागीय काम भी संपादित कराया जा रहा है।
  • प्रदेश में 22 गोदाम निर्माण में वित्तीय अनियमित्ताओं होने की शिकायत को उच्च स्तर पर निर्माण कार्यदायी संस्था के अधिकारियों से धनवसूली कर पत्रावली दबा दी गई।
  • साल 2015-16 में उप मुख्य लेखाधिकारी की परीक्षाधिकारी, सहकारी समितियों एवं पंचायतों की ऑडिट रिपोर्ट में पीसीएफ अधिकारियों में लगभग 172 करोड़ रुपए की अनियमितता की गई थी। जिस पर मुख्यमंत्री का अनुमोदन प्राप्त किया जाना था लेकिन ऐसा नहीं हुआ। पत्रावली को दबाकर रख लिया गया।
  • 25 अक्टूबर 2018 में हुई बैठक के बाद भी कोल इंडिया लिमिटेड से फ्यूल सप्लाई एग्रीमेंट नहीं किया गया, जिससे पीसीएफ की करोड़ों की गारंटी हानि कराकर जब्त कराई गई।
  • पीसीएफ में साल 2010 में वरिष्ठ प्रबंधकों की भर्ती में हुई फर्जीवाड़े के आरोपितों के खिलाफ कार्यवाही नहीं की गई है।
  • लखीमपुर खीरी के पूर्व जिला प्रबंधक पीसीएफ के खिलाफ भ्रष्टाचार का मामला उजागर होने के बाद भी विशेष सचिव ने साक्ष्य नहीं मांगने दिए।
  • UP उपभोक्ता सहकारी संघ के तत्कालीन प्रबंध निदेशक राजीव यादव की ओर से लखीमपुर खीरी में धान खरीद में भारी अनियमितता बरतने की शिकायतें आई हैं। इस मामले को भी अधिकारी स्तर से दबा दिया गया।
  • संयुक्त/ उप आयुक्त व निबंधक की DPC में नियमो को ताक पर रख कर 5 लाख प्रति अधिकारी की दर से लेनदेन हुआ है, अमरेश कुमार से वरिष्ठ सहायक आयुक्तों को पीछे करते हुए उनकी पदोन्नति उप आयुक्त के पद पर की गई। वही SIT जांच में आरोपी आरके कुलश्रेष्ठ को भी विभागीय क्लीन चिट देकर मलाईदार 3 पद परोसे गए। साथ ही विनोद पटेल को सीधे 2 पदोन्नति एक साथ कर नियमों की धज्जियां उड़ाई गयी है।
  • यूपी कोपरेटिव बैंक में सहायक प्रबंधक नम्रता की शैक्षिक योग्यता पदानुसार नहीं है। इस तरह के सभी कर्मियों से पैसा वसूल कर मामला दबा दिया गया। 

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