Allahabad High Court का बड़ा फैसला-  'पुलिस अधिकारियों को सत्यनिष्ठा के लिए दण्ड देना गैरकानूनी'

Edited By Ramkesh,Updated: 31 Dec, 2023 06:31 PM

big decision of high court said  it is illegal to punish police

पुलिस विभाग में सत्यनिष्ठा को लेकर इलाहाबाद हाईकोर्ट ( Allahabad High Court ) ने बड़ा फैसला सुनाया है। हाईकोर्ट ने एक महत्वपूर्ण फैसले सुनाते हुए कहा है कि पुलिस विभाग में कार्यरत इंस्पेक्टर, दरोगा और आरक्षी की सत्यनिष्ठा रोकने का दंड देना गैरकानूनी...

 Allahabad High Court : पुलिस विभाग में सत्यनिष्ठा को लेकर इलाहाबाद हाईकोर्ट ( Allahabad High Court ) ने बड़ा फैसला सुनाया है। हाईकोर्ट ने एक महत्वपूर्ण फैसले सुनाते हुए कहा है कि पुलिस विभाग में कार्यरत इंस्पेक्टर, दरोगा और आरक्षी की सत्यनिष्ठा रोकने का दंड देना गैरकानूनी है। कोर्ट ने कहा कि सत्यनिष्ठा रोके जाने का दंड उत्तर प्रदेश अधीनस्थ श्रेणी के पुलिस अधिकारियों के लिए बने कानून में नहीं है। कोर्ट ने उत्तर प्रदेश अधीनस्थ श्रेणी के पुलिस अधिकारियों की सत्य निष्ठा रोके जाने का दंड गैरकानूनी करार देते हुए, दंड आदेश निरस्त कर दिया है।

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने याचीगणों को समस्त सेवा लाभ देने के आदेश पारित किये है। यह आदेश माननीय न्यायमूर्ति अजित कुमार ने नोएडा, मेरठ एवं बरेली में तैनात गिरिश चन्द्र जोशी, बृजेन्द्र पाल सिंह राना पुलिस इंस्पेक्टर, विकास सिंह, वीरेन्द्र सिंह, रविशंकर, पुष्पेन्द्र कुमार, जितेन्द्र सिंह व अन्य पुलिसकर्मियों की अलग अलग याचिकाओं पर पारित किया है। हाईकोर्ट ने कहा है कि पुलिस अधिकारियों की सत्यनिष्ठा रोके जाने का दण्ड नियम एंव कानून के विरूद्ध है, अतः सत्यनिष्ठा रोके जाने का दण्ड उ०प्र० अधीनस्थ श्रेणी के पुलिस अधिकारियों को नहीं दिया जा सकता।

जानिए पूरा मामला
दरअसल, मामला यह है कि जब याचीगण एस०ओ०जी० जनपद बरेली में नियुक्त थे तो अन्य एस०ओ०जी० में नियुक्त सहकर्मियों के साथ अवैध स्त्रोतों से प्राप्त धनराशि के सम्बन्ध में बटवारे को लेकर आपस में विवाद कर रहे थे।  जिसका वीडियों सोशल मीडिया पर वायरल हो गया।  वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक ने दण्डादेश पारित करते हुये वर्ष 2020 की सत्यनिष्ठा रोके जाने के आदेश पारित किये गये थे। याचीगणों पर आरोप था  तत्पश्चात इन पुलिस कर्मियों के विरूद्ध थाना कोतवाली जनपद बरेली में दिनांक 14.10.2020 को अपराध संख्या 535/2020 धारा 7/13 भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम पंजीकृत किया गया।  आरोप था कि अपने कर्तव्यों के प्रति राजकीय दायित्वों का निर्वहन नहीं किया गया एवं उपरोक्त कृत्य से जनता में पुलिस की छवि धूमिल हुई।

पुलिस अधिकारियों को प्रदान नहीं किया जा सकता दण्ड : Allahabad High Court 
याची के वरिष्ठ अधिवक्ता विजय गौतम एवं सहायक अधिवक्ता अतिप्रिया गौतम एवं अनुरा सिंह की बहस थी कि उ०प्र० अधीनस्थ श्रेणी के पुलिस अधिकारियों की (दण्ड एवं अपील) नियमावली 1991 के नियम 4 में जो दण्ड प्रतिपादित किये गये है उसमें सत्य निष्ठा रोकने (Integrity withold) करने का दण्ड का प्रावधान नहीं है अतः उक्त दण्ड पुलिस अधिकारियों को प्रदान नहीं किया जा सकता। माननीय सर्वोच्च न्यायालय द्वारा स्टेट बैंक ऑफ इण्डिया बनाम टी०जे० पॉल एवं विजय सिंह बनाम उ०प्र० सरकार व अन्य में यह व्यवस्था प्रतिपादित की गयी है जो दण्ड नियम में नहीं प्रावधानित है, उक्त दण्ड नहीं दिया जा सकता।

याचीगणों को सेवा सम्बन्धी समस्त लाभ प्रदान किये जाय 
 इलाहाबाद उच्च न्यायालय (Allahabad High Court)  में भी सुरेन्द्र कुमार सिंह बनाम उ०प्र० सरकार व अन्य, राजीव कुमार तोमर बनाम उ०प्र० सरकार व अन्य एवं सत्य देव शर्मा बनाम उ०प्र० सरकार व अन्य में भी विधि की व्यवस्था प्रतिपादित करते हुये यह स्पष्ट किया है कि उ०प्र० पुलिस के अधीनस्थ श्रेणी के पुलिस अधिकारियों को सत्य निष्ठा रोके जाने का दण्ड नहीं प्रदान किया जा सकता। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने समस्त तथ्यों एवं विधि के सिद्धान्तों पर विचार करने के पश्चात कानून में यह व्यवस्था प्रतिपादित कर दी है कि उ०प्र० पुलिस अफसरों को सत्य निष्ठा रोके जाने का दण्ड नहीं दिया जा सकता एवं न्यायालय ने यह भी निर्देशित किया है कि याचीगणों को सेवा सम्बन्धी समस्त लाभ प्रदान किये जाये।

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