दहेज उत्पीड़न मामले में हाईकोर्ट की अहम टिप्पणीः वैवाहिक मामलों में कार्रवाई के लिए बरतें सतर्कता

Edited By Ajay kumar,Updated: 25 Dec, 2023 08:54 AM

be cautious while taking action in matrimonial matters high court

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने दहेज उत्पीड़न के एक मामले में अपनी विशेष टिप्पणी में कहा कि वैवाहिक मामलों में अक्सर यह पाया गया है कि दुल्हन या उसके परिवार के सदस्यों द्वारा बहुत ही आकस्मिक तरीके से पति और उसके करीबी रिश्तेदारों के खिलाफ आरोप लगाकर कार्रवाई...

प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने दहेज उत्पीड़न के एक मामले में अपनी विशेष टिप्पणी में कहा कि वैवाहिक मामलों में अक्सर यह पाया गया है कि दुल्हन या उसके परिवार के सदस्यों द्वारा बहुत ही आकस्मिक तरीके से पति और उसके करीबी रिश्तेदारों के खिलाफ आरोप लगाकर कार्रवाई शुरू की जा रही है।

PunjabKesari

सुप्रीम कोर्ट के दिए गए फैसले का हवाला देते हुए हाईकोर्ट ने जताई चिंता
इस संबंध में कोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट के द्वारा दिए गए फैसले का हवाला देते हुए कहा कि यह चिंता का विषय है कि अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो में संदर्भित आंकड़ों के अनुसार बड़ी संख्या में दर्ज अधिकांश शिकायतें मामूली मुद्दों पर आवेश में आकर दाखिल की जाती हैं। ऐसी कई शिकायतें प्रामाणिक नहीं होतीं। शिकायतें दर्ज करते समय निहितार्थ और परिणाम की कल्पना नहीं की जाती है। कभी- कभी ऐसी शिकायतों से न केवल आरोपी को बल्कि शिकायतकर्ता को भी अनावश्यक उत्पीड़न का सामना करना पड़ता है। इसके साथ ही अदालतों से अपेक्षा की जाती है कि वैवाहिक मामलों में वह सतर्कता बरतें, भले ही प्राथमिकी वास्तव में मुख्य आरोपी के रिश्तेदारों द्वारा किए गए अपराध का खुलासा करती हो। उक्त टिप्पणी न्यायमूर्ति दिनेश पाठक की एकलपीठ ने श्याम शंकर मिश्रा व अन्य की याचिका पर सुनवाई करते हुए की।

PunjabKesari

विपक्षी (बहू) ने अपने ससुराल वालों के खिलाफ दुर्भावनापूर्ण ढंग से शिकायत दर्ज करवाई
कोर्ट का मानना है कि विपक्षी (बहू) ने अपने ससुराल वालों के खिलाफ दुर्भावनापूर्ण ढंग से शिकायत दर्ज करवाई है। यह पीड़िता की समस्या है कि वह शादी के पहले दिन से ही अपने ससुराल में स्वीकार्य नहीं थी, इसलिए उसने हिंदू विवाह अधिनियम के तहत कार्रवाई के लिए 4. मार्च 2012 को अपनी आपत्ति दर्ज की थी और अपने पति के साथ रहने से इंकार कर दिया। तलाक की याचिका पर निर्णय लेते समय परिवार न्यायालय ने विपक्षी और उसके ससुराल वालों के आचरण पर विस्तार से चर्चा की। विपक्षी एक लेक्चरर है और स्वतंत्र रूप से कमाई कर रही है। उसका आचरण भी चिंताजनक है। कोर्ट ने यह भी कहा कि दोनों याची (पीड़िता के सास-ससुर) जो अपने जीवन के अंतिम चरण में हैं। उनको मुकदमे का सामना करने के लिए मजबूर करना कानून की नजर में उचित नहीं होगा।

Related Story

Trending Topics

IPL
Chennai Super Kings

176/4

18.4

Royal Challengers Bangalore

173/6

20.0

Chennai Super Kings win by 6 wickets

RR 9.57
img title
img title

Be on the top of everything happening around the world.

Try Premium Service.

Subscribe Now!