Edited By Pooja Gill,Updated: 22 Dec, 2023 09:26 AM
प्रयागराज: इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने उत्तर प्रदेश में प्राथमिक शिक्षा विद्यालयों के भवनों के नियमित रखरखाव और मरम्मत के संबंध में प्रदेश के मुख्य सचिव से जवाब तलब करते हुए व्यक्तिगत हलफनामा दाखिल करने...
प्रयागराज: इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने उत्तर प्रदेश में प्राथमिक शिक्षा विद्यालयों के भवनों के नियमित रखरखाव और मरम्मत के संबंध में प्रदेश के मुख्य सचिव से जवाब तलब करते हुए व्यक्तिगत हलफनामा दाखिल करने को कहा है। अदालत ने प्राथमिक शिक्षा को नागरिकों का मौलिक अधिकार बताते हुए मुख्य सचिव को यह बताने का भी निर्देश दिया है कि राज्य सरकार इस संबंधी मुद्दों को कैसे हल करेगी। कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश मनोज कुमार गुप्ता और न्यायमूर्ति क्षितिज शैलेन्द्र की खंडपीठ ने चंद्रकला नाम की एक महिला द्वारा दायर जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए यह आदेश पारित किया।
याचिकाकर्ता ने शाहजहांपुर जिले के प्राथमिक विद्यालयों की दुर्दशा बयान करते हुए यह जनहित याचिका दायर की है। प्राथमिक विद्यालयों के संबंध में राज्य सरकार के क्रियाकलापों पर चिंता व्यक्त करते हुए अदालत ने कहा, “इस जनहित याचिका में उठाया गया मुद्दा यद्यपि बहुत महत्व का है, लेकिन यह प्रतिवादियों के लिए किसी महत्व का नहीं जान पड़ता।” जनहित याचिका के मुताबिक, शाहजहांपुर जिले की पुवैयां तहसील के जसवंतपुर ब्लॉक की झरसा ग्राम पंचायत में एक प्राथमिक विद्यालय के भवन का एक बड़ा हिस्सा नियमित देखभाल और रखरखाव के अभाव में गिर गया।
अदालत ने कहा कि बेसिक शिक्षा अधिकारी (बीएसए) द्वारा दी गई जानकारी के मुताबिक, निरीक्षण समिति ने पाया कि ऐसे अन्य 30 संस्थान हैं जो अत्यंत जर्जर स्थिति में हैं। निरीक्षण समिति की रिपोर्ट के बावजूद प्रतिवादी निरंतर उस रिपोर्ट पर आंखें बंद किए हुए हैं और भवन को गिरने दे रहे हैं। ये भवन एक दिसंबर 2023 को किए गए निरीक्षण में मरम्मत की स्थिति से परे पाए गए। बेसिक शिक्षा अधिकारी ने दलील दी कि जब और जैसे ही राज्य सरकार धन उपलब्ध कराती है, नए भवनों का निर्माण किया जाएगा। अदालत ने इस मामले को चार जनवरी 2024 को एकदम नए मामले के तौर पर सूचीबद्ध करने का निर्देश देते हुए 14 दिसंबर के अपने आदेश में राज्य सरकार के वकील को इस आदेश की प्रति मुख्य सचिव को उपलब्ध कराने का निर्देश दिया।