दुनिया में 3.7 फीसदी थैलेसीमिया के रोगी अकेले भारत में: डॉ.प्रभात कुमार

Edited By Mamta Yadav,Updated: 08 May, 2022 08:24 PM

3 7 percent thalassemia patients in the world only in india dr prabhat kumar

अनुवांशिक बीमारी की श्रेणी में शुमार थैलेसीमिया के रोगियों का 3.7 प्रतिशत से अधिक भारत में हैं। इनमें पश्चिम बंगाल थैलेसिमिया से सबसे अधिक प्रभावित राज्य है।

इटावा: अनुवांशिक बीमारी की श्रेणी में शुमार थैलेसीमिया के रोगियों का 3.7 प्रतिशत से अधिक भारत में हैं। इनमें पश्चिम बंगाल थैलेसिमिया से सबसे अधिक प्रभावित राज्य है।

सैफ़ई मेडिकल यूनिवर्सिटी में विश्व थैलेसीमिया दिवस के अवसर पर कुलपति डॉ. प्रभात कुमार ने कहा कि थैलेसीमिया एक अनुवांशिक रोग है, जो ज्यादातर पीढ़ी-दर-पीढ़ी माता-पिता से बच्चों में ट्रांसफर होता है। वल्डर् थैलेसीमिया डे मनाने का मकसद इस गंभीर बीमारी के प्रति लोगों को जागरूक करना हैं ताकि वो समय रहते बीमारी का पता कर इलाज शुरू कर सकें। बचपन से ही होने वाली इस बीमारी में बच्चों को बार-बार रक्त की आवश्यकता होती है जिसके लिए जरूरी है कि लोग स्वैछिक रक्तदान के लिए आगे आयें ताकि जरूरतमंद को समय से रक्त मुहैया हो सके। शिशु एवं बाल रोग विभाग के वरिष्ठ प्रोफेसर डा आई के शर्मा ने बताया कि थैलेसीमिया बीमारी के बारे में आज भी अधिकतर लोगों को जानकारी नहीं है। इसलिए इसके प्रति लोगों को जागरूक करने के लिए हर साल यह दिवस मनाया जाता है। थैलेसीमिया दो तरह का होता है। माइनर और मेजर थैलेसीमिया। इस वर्ष की थीम ‘बी अवेयर, शेयर केयर‘ है।      

प्रतिकुलपति प्रो (डा) रमाकान्त यादव ने बताया कि विश्व थैलेसीमिया दिवस 1994 से नियमित रूप से मनाया जा रहा है। यह थैलेसीमिया इंटरनेशनल फेडरेशन द्वारा आयोजित किया जाता है। थैलेसीमिया एक आनुवांशिक रक्त विकार है। जिसमें असामान्य हीमोग्लोविन उत्पादन होता है। शिशु एवं बाल रोग विभाग के डा दिनेश कुमार एवं डा गनेश कुमार वर्मा ने बताया कि थैलेसीमिया के दो प्रमुख प्रकार हैं- अल्फा थैलेसीमिया और बीटा थैलेसीमिया। भारत दुनिया के थैलेसीमिया बेल्ट में है। कुल थैलेसीमिया रोगियों का 3.7 प्रतिशत से अधिक भारत में हैं। सभी राज्यों में से पश्चिम बंगाल थैलेसिमिया से सबसे अधिक प्रभावित राज्य है।      

सैफई मेडिकल यूनिवर्सिटी में शिशु एवं बाल रोग विभाग तथा पैथॉलाजी एवं ब्लड बैंक विभाग की ओर से विश्व थैलेसीमिया दिवस मनाया गया। इस अवसर पर विश्वविद्यालय के ब्लड बैंक एवं राष्ट्रीय एड्स नियंत्रण संगठन (नाको) के सहयोग से स्वैच्छिक रक्तदान शिविर का आयोजन भी किया गया। जिसमें कुल 12 लोगों ने स्वैच्छिक रक्तदान तथा 20 ने रक्तदान के लिये रजिस्ट्रेशन कराया।

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