Edited By Ajay kumar,Updated: 23 May, 2018 02:28 PM
कर्नाटक चुनाव के बाद सभी पार्टियाें की नजरें अब 28 मई को हाेने वाले यूपी उपचुनाव की दाेनाें सीटाें पर टिकी हुई हैं। कैराना लोकसभा सीट और नूरपुर विधानसभा सीट के लिए बीजेपी ने रैलियां भी शुरू कर दी हैं।
लखनऊः कर्नाटक चुनाव के बाद सभी पार्टियाें की नजरें अब 28 मई को हाेने वाले यूपी उपचुनाव की दाेनाें सीटाें पर टिकी हुई हैं। कैराना लोकसभा सीट और नूरपुर विधानसभा सीट के लिए बीजेपी ने रैलियां भी शुरू कर दी हैं। मंगलवार काे पार्टी प्रत्याशी मृगांका सिंह के पक्ष में मुख्यमंत्री याेगी आदित्यनाथ ने एक चुनावी सभा काे संबाेधित किया। इस दाैैरान याेगी ने विपक्षी पार्टियाें में खासकर सपा पर तीखा हमला बाेला। वहीं दूसरी तरफ सपा-बसपा समेत अन्य पार्टियाें ने भी बीजेपी काे हराने के लिए कमर कस ली है।
विपक्षी उम्मीदवाराें के समर्थन में आम आदमी पार्टी
मंगलवार को विपक्षी एकजुटता को और धार देने के लिए आम आदमी पार्टी (आप) ने भी कैराना और नूरपुर में विपक्षी उम्मीदवारों को समर्थन देने का ऐलान किया। राजनीतिक जानकारों का कहना है कि यूपी में आम आदमी पार्टी का बहुत सीमित आधार है। ऐसे में इस पार्टी के विपक्षी उम्मीदवारों को समर्थन से बेशक नतीजे पर कुछ खास असर ना पड़े लेकिन इससे 2019 आम चुनाव के लिए विपक्षी एकजुटता की मुहिम को जरूर ताकत मिलेगी।
विपक्ष ने तब्बसुम हसन को मैदान में उतारा
बता दें कि कैराना में बीजेपी की उम्मीदवार मृगांका सिंह के मुकाबले विपक्ष ने अपने साझा उम्मीदवार के तौर पर तब्बसुम हसन को मैदान में उतारा है। राष्ट्रीय लोक दल के चुनाव चिह्न के साथ चुनाव लड़ रहीं तब्बसुम हसन को समाजवादी पार्टी, बहुजन समाज पार्टी और कांग्रेस का भी समर्थन हासिल है।
नूरपुर विधानसभा सीट के लिए सपा-भाजपा में मुकाबला
नूरपुर विधानसभा सीट के लिए बीजेपी उम्मीदवार अवनि सिंह का मुकाबला समाजवादी पार्टी उम्मीदवार नईम-उल-हसन से है।
‘बीजेपी बनाम विपक्षी एकजुटता
इन उपचुनावों को ‘बीजेपी बनाम विपक्षी एकजुटता’ के चुनावी संग्राम के तौर पर देखा जा रहा है। ये भी कहा जा रहा है कि इन उपचुनाव के नतीजों से 2019 लोकसभा चुनाव के लिए किस तरह का रण सजेगा, उस बारे में भी काफी कुछ संकेत मिलेगा।