जमशेदपुर: ट्रेड यूनियनों की देशव्यापी हड़ताल का व्यापक असर, 22 सौ करोड़ का कारोबार प्रभावित

Edited By prachi,Updated: 09 Jan, 2019 06:49 PM

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द्रीय ट्रेड यूनियनों (Central trade unions) की देशव्यापी हड़ताल (Countrywide strike) के दूसरे दिन भी जमशेदपुर समेत कोल्हान(Jamshedpur including Kolhan) के सभी सरकारीकृत बैंक, बीमा कार्यालय, डाक घरों और आयकर विभाग (Governmental Banks, Insurance...

जमशेदपुर: केंद्रीय ट्रेड यूनियनों (Central trade unions) की देशव्यापी हड़ताल (Countrywide strike) के दूसरे दिन भी जमशेदपुर समेत कोल्हान(Jamshedpur including Kolhan) के सभी सरकारीकृत बैंक, बीमा कार्यालय, डाक घरों और आयकर विभाग (Governmental Banks, Insurance Offices, Post Offices and Income Tax Department) समेत अन्य कार्यालयों में कामकाज पूरी तरह ठप रहा। इन प्रतिष्ठानों में कार्यरत कर्मचारी महंगाई, बेरोजगारी, किसान-मजदूरों के हितों को लेकर प्रतिष्ठानों के समक्ष धरना-प्रदर्शन (Protest) कर अपनी मांगों के समर्थन में आवाज बुलंद करते देखे गए। केंद्रीय ट्रेड यूनियनों की 10 संगठनों द्वारा की गई दो दिवसीय हड़ताल से जमशेदपुर समेत कोल्हान प्रमंडल में 22 सौ करोड़ से अधिक का कारोबार प्रभावित हुआ है।

देशभर के 10 ट्रेड यूनियनों की हड़ताल के दूसरे दिन राज्य की आर्थिक-व्यवसायिक शहर लौहनगरी जमशेदपुर समेत पूरे कोल्हान में काफी असर पड़ता देखा गया। तमाम सरकारी बैंक और यहां तक की कुछ प्राइवेट बैंक भी बंद रहे। तालाबंदी के दूसरे दिन 270 में से 200 के करीब एटीएम कैशलेस (Nearly 200 out of 270 ATM cashless on the second day of lockout) हो जाने से लोगों को नोट के लिए भटकना पड़ा। इस दौरान विभिन्न बैंकों के एटीएम सेंटर (ATM Center) का शटर गिरा पाया गया या उसमें ताले लटके पाए गए।

वहीं बैंक, बीमा और डाक कर्मी अपनी शाखा के मुख्य द्वार पर बैठ कर अपनी मांगों को लेकर नारे लगाते देखे गए। हड़ताल का सबसे ज्यादा असर बैंक, बीमा और डाक सेक्टर पर देखने को मिला जहां कामकाज पूरी तरह ठप रहा। हड़ताल को लेकर बीमाकर्मियों के संगठन का नेतृत्व कर रही नेत्री ने कहा कि केंद्र सरकार की श्रम, मजदूर और किसान विरोधी नीतियों के वे पूरी तरह खिलाफ हैं।

हड़ताल का समर्थन कर रहे इंटक से जुड़े जुस्को श्रमिक यूनियन के अध्यक्ष केंद्र सरकार को मजदूर विरोधी बताते हुए कहते हैं कि देश भर में सरकार की श्रम और मजदूर विरोधी नीतियों से रोजगार के लाले पड़ गए हैं। वहीं जो नौकरी से जुड़े हैं , उनकी भी नौकरियां छीनी जा रही है। महंगाई रोकने, पब्लिक सेक्टर में विनिवेश रोकने, श्रम कानून को अमल में लाने, वेतनमान में वृद्धि करने और आउट सोर्सिंग बंद करने (Prevention of inflation, prohibition of disinvestment in public sector, implementation of labor law, increase in pay scale and closure of outsourcing) जैसे ज्वलंत मांगों पर सरकार पूरी तरह आंखें बंद की हुई है।

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