Edited By Tamanna Bhardwaj,Updated: 03 Oct, 2022 01:28 PM
जिले के बंगरा ब्लॉक के राजगिरी प्राथमिक विद्यालय में पढ़ने जाने के लिए मासूमों को प्रतिदिन अपने जान को जोखिम में डालकर नदीं पार कर स्कूल में जाना पड़ता हैं। प्रशासन उदासीन बना हुआ हैं।
झांसी: जिले के प्राइमरी प्राथमिक विद्यालयों में पढ़ने के लिए नौनिहालों को हर दिन अपनी जान को जोखिम में डालनी पड़ती है। पढ़ने के एवज में जान का बड़ा खतरा उठा कर नौनिहाल नदी को पार करने के लिए मजबूर होते हैं। यह कोई फिल्मों में दिखाई जाने वाली कहानी नहीं, बल्कि हकीकत है। सिर पर स्कूली बैग और गले तक नदी का पानी, कुछ इस तरह से नौनिहाल अपने गांव से स्कूल में पढ़ने जाते हैं।
झांसी मुख्यालय से 80 किलोमीटर दूर बंगरा ब्लॉक में राजगिरी प्राथमिक विद्यालय में पढ़ने वाले नौनिहालों के लिए पढ़-लिख कर भविष्य बनाने का सपना हर दिन बड़े जोखिम उठाने के बाद पूरा होता है, गांव से विद्यालय की दूरी 3 किलोमीटर है। इस दौरान गांव और विद्यालय के बीच में एक छोटी नदी पड़ती है, जिसको पार करने के लिए न तो कोई पुल है और न ही विद्यालय तक पहुंचने के लिए कोई दूसरा रास्ता, ऐसे में बच्चों को पढ़ाई करने के लिए नदीं में गर्दन तक पानी के बीच से होते हुए स्कूली बैग को सिर पर रखकर जाना पड़ता है। नदी को पार करने के बाद बच्चे पूरी तरह से भीग जाते हैं, इसके बाद विद्यालय आने से पहले 1 घंटे तक धूप में खड़े रहकर कपड़े भी सुखाने पड़ते हैं।
स्कूल की अपनी मजबूरीयां
इस बाबत विद्यालय के प्रधानाचार्य भगवान दास की अपनी मजबूरियां हैं, विद्यालय के प्रधानाचार्य का कहना है कि नदी पार करने के अलावा बच्चों के पास कोई दूसरा रास्ता नहीं है, ऐसे में बच्चे विद्यालय आते तो हैं लेकिन उनकी संख्या अक्सर बहुत कम रहती है। घर से विद्यालय आने के लिए नदी को पार करने के अलावा कोई दूसरा विकल्प ही नहीं है। बच्चों की सुरक्षा को लेकर अभिभावकों की बारी-बारी से हर दिन बच्चो को नदी पार कराने के लिए ड्यूटी भी लगाई जाती है। जब कोई होता हैं तो वो बच्चों को पार करा देता हैं।
स्थानीय निवासी भी परेशान
जब इस मामले के बारे में स्थानीय लोगों से बाते की गई तो उन्होंने कहा की हम इस समस्या को लेकर कई बार स्थानीय जन प्रतिनिधी से लेकर जिलाधिकारी को अवगत करा चुके हैं, लेकिन हर बार हमें सिर्फ आश्वासन ही मिलता हैं, यह समस्या सिर्फ बच्चों की नहीं हमारी भी हैं, लेकिन हमारी समस्या को कोई सुनता ही नहीं हैं।
प्रशासन का अपना दावा
जब इस मामले को लेकर झांसी के जिलाधिकारी रविंद्र कुमार से मीडिया ने सवाल किया तो उन्होंने कहा कि मेरे संज्ञान में ये मामला अभी आया हैं। मैंने इस बाबत जिले के पी डब्लू डी अधिकारीयों के साथ बैठक कर उनसे इस समस्या का समाधान जल्द से जल्द करने को कहा है। हम इस मामलें को गंभीरता से ले रहे हैं, हमने शासन को इस बाबत पत्र लिखकर अवगत करा दिया हैं और उन से इस काम के लिए फंड देने के लिए कहा है।