NDA से नाता तोड़ना रालोसपा को पड़ा महंगा, अपने कोटे की सभी सीटों पर मिली शिकस्त

Edited By prachi,Updated: 24 May, 2019 07:34 AM

rlsp defeat own all seats

बिहार में महागठबंधन के घटक राष्ट्रीय लोक समता पार्टी (रालोसपा) को राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) से नाता तोड़कर इस बार का लोकसभा चुनाव लड़ना काफी महंगा पड़ा और वह अपने कोटे की सभी सीटें हार गई है। सतरहवें लोकसभा चुनाव (2019) से पहले रालोसपा ने राजग...

पटनाः बिहार में महागठबंधन के घटक राष्ट्रीय लोक समता पार्टी (रालोसपा) को राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) से नाता तोड़कर इस बार का लोकसभा चुनाव लड़ना काफी महंगा पड़ा और वह अपने कोटे की सभी सीटें हार गई है।

सतरहवें लोकसभा चुनाव (2019) से पहले रालोसपा ने राजग से नाता तोड़ लिया और महागठबंधन के घटक के रूप में बिहार की पांच सीटों पर चुनाव लड़ा लेकिन, वह अपनी पांच की पांच सीटें हार गई। इतना ही नहीं रालोसपा अध्यक्ष एवं पूर्व केंद्रीय मंत्री उपेंद्र कुशवाहा ने इस बार काराकाट और उजियारपुर से मैदान में उतरे लेकिन वह दोनों जगह से अपनी उम्मीदवारी भी नहीं बचा सके।

मतगणना के आंकड़ों के अनुसार, उपेंद्र कुशवाहा काराकाट में जनता दल यूनाईटेड (जदयू) के प्रत्याशी महाबली सिहं से 84013 और उजियारपुर में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के प्रदेश अध्यक्ष एवं उम्मीदवार नित्यानंद राय से 277278 मतों के भारी अंतर से पीछे रह गए। साथ ही रालोसपा की तीन अन्य सीटों जमुई (सुरक्षित) में उसके उम्मीदवार भूदेव चौधरी लोक जनशक्ति पार्टी (लोजपा) प्रत्याशी चिराग पासवान से 241049, पश्चिम चंपारण में ब्रिजेश कुमार कुशवाहा भाजपा के डॉ. संजय जायसवाल से 293906 और पूर्वी चंपारण में आकाश कुमार सिंह भाजपा के राधामोहन सिंह से 291122 मतों से पिछड़ गए।

बता दें कि इससे पहले वर्ष 2014 के चुनाव में रालोसपा राजग में शामिल थी। इस चुनाव में रालोसपा ने तीन सीटों काराकाट, सीतामढ़ी और जहानाबाद से चुनाव लड़ा था और तीनों सीटों पर जीत दर्ज की थी।
 

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