बिहार में धूमधाम से मनाया जा रहा 'महाशिवरात्रि' का पर्व, मंदिरों में गूंज रहा 'हर-हर महादेव'

Edited By Nitika,Updated: 21 Feb, 2020 12:31 PM

mahashivratri festival being celebrated with great pomp in bihar

भगवान शिव की भक्ति का सबसे बड़ा दिन होता है ''महाशिवरात्रि''। महाशिवरात्रि का ये पावन पर्व बिहार में धूमधाम के साथ मनाया जा रहा है। इस दिन को भगवान शिव की पूजा करने का सबसे बड़ा दिन माना जाता है।

पटनाः भगवान शिव की भक्ति का सबसे बड़ा दिन होता है 'महाशिवरात्रि'। महाशिवरात्रि का ये पावन पर्व बिहार में धूमधाम के साथ मनाया जा रहा है। इस दिन को भगवान शिव की पूजा करने का सबसे बड़ा दिन माना जाता है।

पटना के मंदिरों में गूंज रहा 'हर-हर महादेव'
महाशिवरात्रि के मौके पर राजधानी पटना में देर रात से ही ग्रामीण क्षेत्रों से बड़ी संख्या में लोगों के आने का सिलसिला शुरू हो गया, जो अभी तक जारी है। सुबह होते ही श्रद्धालुओं ने नदियों और तालाब में स्नान करने के बाद मंदिरों के बाहर लंबी कतार लगाकर बाबा भोलेनाथ के दर्शन कर रहे हैं। पटना सहित सभी शहरों के शिव मंदिरों में भक्तों की भीड़ उमड़ पड़ी है और सभी दिशाओं से हर-हर महादेव की गूंज सुनाई दे रही है। भक्तों की भीड़ के मद्देनजर देश भर के मंदिरों में सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए गए हैं। पुलिस के बड़े अधिकारी खुद सुरक्षा व्यवस्था की निगरानी कर रहे हैं। राजधानी पटना में छोटे-बड़े सभी शिव मंदिरों को फूलों से सजाया गया है। शिवालयों में अखंड कीर्तन, जलाभिषेक और रूद्राभिषेक का अनुष्ठान भी हो रहा है।

हिंदू परंपरा का बहुत बड़ा पर्व है 'महाशिवरात्रि'
महाशिवरात्रि के अवसर पर कई जगहों पर तो आज के दिन भोलेनाथ की बारात और झांकी निकालने की भी परंपरा है। इस अवसर पर लोग तरह-तरह की वेशभूषा धारण करते हैं। इस पर्व में भगवान शिव पक्ष के बाराती में शामिल श्रद्धालुगण सामान्य भोजन का सेवन करते हैं जबकि मां पार्वती पक्ष के लोग निराहार रखकर इस पर्व को मनाते हैं। महाशिवरात्रि हिंदू परंपरा का एक बहुत बड़ा पर्व है। सालभर भक्त इस त्यौहार का इंतजार करते हैं। कहा जाता है कि इस दिन भगवान शिव का मां पार्वती के साथ विवाह हुआ था। माना जाता है कि शिवरात्रि के दिन भगवान शिव और देवी पार्वती की पूजा करने से मनोकामना पूरी होती है और कष्टों से भी मुक्ति मिलती है।

इसलिए भगवान शिव को कहा जाता है 'भोलेनाथ'
महाशिवरात्रि के दिन शिवभक्त जल और कच्चे दूध से भगवान भोलेनाथ का अभिषेक करते हैं। जिसके बाद चंदन, फूल, बेलपत्र से शिवलिंग की पूजा-अर्चना करते हैं। भगवान शिव को सफेद फूल चढ़ाए जाते हैं, कहा जाता है कि इससे वे जल्दी प्रसन्न होते हैं। भगवान शिव के इस प्रसाद को श्रद्धालु बड़े मन से ग्रहण करते हैं। ऐसा माना जाता है कि इस दिन यदि पूरे मन से भगवान शिव की आराधना की जाए तो भक्तों की मनोकामना जरूर पूरी होती है। शिव इतने भोले हैं कि यदि कोई अनायास भी शिवलिंग की पूजा कर दे तो भी उसे शिव कृपा प्राप्त हो जाती है। यही कारण है कि भगवान शिव शंकर को भोलेनाथ कहा गया है।

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