जाट आरक्षण पर 2 महीने में फैसला ले योगी सरकारः हाईकोर्ट

Edited By Punjab Kesari,Updated: 26 Jun, 2017 02:23 PM

yogi sarkar takes a decision on jat reservation in 2 months

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने योगी सरकार को 2 महीने में जाट समुदाय को पिछड़े वर्ग में रखने या न रखने पर निर्णय लेने का निर्देश दिया है....

इलाहाबादः इलाहाबाद हाईकोर्ट ने योगी सरकार को 2 महीने में जाट समुदाय को पिछड़े वर्ग में रखने या न रखने पर निर्णय लेने का निर्देश दिया है। कोर्ट ने अपने शब्दों को स्पष्ट करते हए कहा है कि सुप्रीम कोर्ट ने जो दिशा निर्देश दिए हैं, सरकार उसका पालन करे। सरकार के पास अगर जाति संख्या का आंकड़ा नहीं है तो इसके लिए वह एक कमेटी गठित करे। सिर्फ आंकड़े नहीं है इस आधार पर निर्णय लेने से बचा नहीं जा सकता।

2 महीने के अन्दर योगी सरकार को लेना होगा फैंसला
बता दें कि हाईकोर्ट के इस आदेश के बाद अब यह साफ हो गया है कि योगी सरकार आरक्षण को लेकर 2 माह में बड़ा फैसला ले सकती है। आगामी लोकसभा चुनाव को देखते हुए सूबे की भाजपा सरकार जाटों को नाराज नहीं करना चाहेगी। क्योंकि पश्चिमी उत्तर प्रदेश में जाट वोट बैंक चुनाव की दिशा तय करते हैं। फिलहाल अब गेंद योगी कैबिनेट के पाले में है। यह देखना दिलचस्प होगा कि पूर्ववर्ती अखिलेश सरकार की अपेक्षा योगी सरकार किस तरह स्ट्राइक रोटेट करती है।

सुप्रीम कोर्ट दे चुकी है निर्देश
दरअसल जाट आंदोलन जब चरम की ओर बढा तो एक याचिका पर हाईकोर्ट ने प्रदेश सरकार को पिछड़े वर्ग से जाटो के बारे में निर्णय लेने का निर्देश दिया था। उस वक्त सरकार ने कहा था कि हमारे पास जातिगत आंकड़े नहीं हैं। इसी आधार पर सरकार ने निर्णय लेने में अपनी असमर्थता व्यक्त की, जिसे सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई थी। मामले में सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि सरकार जाट समुदाय को पिछड़े वर्ग से अलग करने का निर्णय ले। इस आदेश का पालन जब यूपी सरकार ने नहीं किया तो फिर से एक याचिका इलाहाबाद हाईकोर्ट में दाखिल हुई जिसपर सुनावाई करते हुए हाईकोर्ट ने यह आदेश दिया।

जाट आंदोलन की भड़क रही आग
गौरतलब है कि उत्तर प्रदेश में जाट आरक्षण आंदोलन की सुगबुगाहट फिर से शुरू हो गई है। अभी तक जाटों ने अलवर-मथुरा ट्रैक पर जाम लगा दिया था। जिसके चलते ट्रेन तक रद्द करनी पड़ी थी, जबकि कई ट्रेनों का रूट डायवर्जन भी किए गए थे। अब यह आंदोलन फिर से उठ खड़ा हो जाए और हिंसा हो। उससे पहले ही हाईकोर्ट के आदेश ने आंदोलन की आग पर पानी डालने का काम किया है। फिलहाल आखिरी निर्णय अब योगी सरकार के हाथ में है।

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