इटावा के सफारी पार्क में जारी हैं जानवरों के मरने का सिलसिला, जानिए वजह

Edited By Punjab Kesari,Updated: 07 Jan, 2018 06:52 PM

safari park continues to be cause of the death of animals know reason

इटावा में सफारी पार्क में जानवरो का मरना निरन्तर जारी है। अभी कुछ ही दिनों पूर्व एक भालू की मौत हो गई थी। अब एक काले हिरन की मौत हो गई है। वहीं सफारी पार्क प्रशासन का कहना है कि हि...

इटावाः इटावा में सफारी पार्क में जानवरो का मरना निरन्तर जारी है। अभी कुछ ही दिनों पूर्व एक भालू की मौत हो गई थी। अब एक काले हिरन की मौत हो गई है। वहीं सफारी पार्क प्रशासन का कहना है कि हिरन की मौत टीबी से ग्रसित होकर हुई है।लगातार इटावा के सफारी पार्क में रह रहे जानवरो की मौत ने जानवरो के रख रखाव पर प्रश्नचिन्ह खड़ा कर दिया है।
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ये हालात तब है जब सूबे की मौजूदा योगी सरकार इटावा के सफारी पार्क को इसी वित्तीय वर्ष में पर्यटकों के लिए खोले जाने की योजना पर अमल कर चुकी है। 

जानकारी के मुताबिक यूपी की पूर्व सपा सरकार ने इटावा के लायन सफारी की स्थापना विगत वर्ष 2014 में की थी। यह लायन सफारी 350 हेक्टेयर जमीन पर बनी है। इसमें 5 सफारी पार्क है। एक पार्क शेर के लिए दूसरा भालू तीसरा तेंदुआ चौथा हिरन व पांचवा पार्क काले हिरण के लिए बनाया गया है।
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विगत  30अक्टूबर 2014 में हैदराबाद से 2 शेरो का जोड़ा लाया गया। वर्तमान समय में इस सफारी पार्क में 6 शेर, 2 शावक, 3 भालू  हैं। जिसमें 2 नंर 1 मादा है। ऑर्डनरी हिरन (नर मादा) 20 जबकि काले हिरणों की संख्या (नर मादा सहित)भी 20 है। आइये इस सफारी पार्क में मरने वाले जानवरो की संख्या पर एक नजर डालते हैं।
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1) 30 अक्टूबर 2014 को लाए गए बाबर शेर के जोड़े विष्णु व लक्ष्मी ने इस सफारी पार्क में आने के कुछ दिनों के बाद ही दम तोड़ दिया।
2) सन 2015 में गुजरात से लाई गई शेरनी तपस्या ने भी कुछ दिनों बाद इस सफारी पार्क में दम तोड़ दिया।
3) 2015 से 2017 के बीच 5 शावक भी मौत के शिकार हो गए।
4) सितम्बर 2017 में तेंदुए के बच्चे को इस सफारी पार्क में लाया गया। 4 दिन बाद उसने खाना पीना छोड़ दिया। उसकी भी मौत हो गई।
5) 27 सितम्बर को एक तेंदुए की मौत हो गई।
6)  4 जनवरी को एक काले हिरण की मौत हो गई। 
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इस सफारी पार्क में दिलचस्पी रखने वाले लोगों की मानें तो यहां के लोग यह मानते है कि लायन सफारी में जो जानवर है उनके अनुकूल यहां का वतावरण नहीं है। मतलब उनके रहन-सहन के अनुकूल यहां का माहौल ही नहीं है। जबकि कुछ लोग यह मानते है कि पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव का यह लायन सफारी ड्रीम प्रोजेक्ट था इसलिए अब उनकी सरकार के चले जाने के बाद से मौजूदा सूबे की सरकार इस लायन सफारी को बजट के नाम पर एक रूपया भी नही दे रही।

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