EVM मशीन नहीं, ये हैं मायावती के हार के मुख्य कारण

Edited By ,Updated: 15 Mar, 2017 04:04 PM

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लोकसभा चुनाव की तरफ विधानसभा चुनाव में भी बीजेपी ने उत्तर प्रदेश में अप्रत्याशित जीत हासिल की है। जीत के साथ ही यूपी में बीजेपी के 14 साल का बनवास खत्म हो गया है।

लखनऊ: बसपा सुप्रीमो मायावती पार्टी की हार की ठीकरा ईवीएम मशीन में गड़बड़ी पर फोड़ रही हैं। लेकिन हकीकत इससे कोशो दूर है। असल में मायावती की हार का मुख्य कारण कुछ और ही है जिसे हम आपको बता रहे हैं। 

पुरानी रणनीतियों के बल पर चुनाव जीतने की कोशिश 
यूपी के चुनावी दंगल में बीएसपी की करारी हार के पीछे सबसे बड़ी वजह खुद मायावती हैं। एक तरफ जहां सत्तारुढ़ समाजवादी पार्टी और भारतीय जनता पार्टी अपनी पुरानी छवि को बदलते हुए यूपी के सियासी अखाड़े में नए दांव-पेंच के साथ उतरें तो वहीं बीएसपी सुप्रीमो अपने पुराने और परम्परागत ढर्रे पर ही अड़ी रहीं। ये कहना शायद गलत नहीं होगा कि इस दौर में जब बीजेपी और एसपी जैसे राजनीतिक दल चुनावी दंगल में नई रणनीति के साथ वोटर्स को लुभाते दिखें, तो वहीं मायावती आज भी उन्हीं मुद्दों और रणनीतियों के बल पर चुनाव जीतने की कोशिश करती रहीं जिसे वो पहले आजमाती रही हैं। यही वजह रहा कि 2017 के विधानसभा चुनाव से पहले सबसे प्रबल दावेदार के रुप में नजर आ रहा हाथी सियासत के अखाड़े में ढ़ेर हो गया।

बागी दिग्गजों का पार्टी छोडऩा 
यूपी के सियासी अखाड़े में बीएसपी के हाथी के चित होने की दूसरी मुख्य वजह विधानसभा चुनाव से ठीक पहले स्वामी प्रसाद मौर्य और ब्रजेश पाठक जैसे दिग्गज नेताओं का बागी होना है। यूपी चुनाव से ठीक पहले बहुजन समाज पार्टी के तमाम दिग्गज नेताओं ने पार्टी का दामन छोड़कर ना केवल बीएसपी को कमजोर कर दिया बल्कि टिकट बंटवारे का आरोप लगाते हुए मायावती को करारा झटका देने का काम किया।

मुस्लिम कार्ड खेलने का हुआ नुक्सान 
उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव की 403 सीटों में से करीब 125 सीटों पर मुस्लिम वोटबैंक निर्णायक माने जाते हैं। इसी वोटबैंक को ध्यान में रखते हुए मायावती ने करीब 100 मुस्लिम उम्मीदवारों को बीएसपी के टिकट पर मैदान में उतारा था लेकिन इसके बावजूद वो मुस्लिम वोटर्स को अपने खेमे में शामिल नहीं कर पाईं और इसके चलते वो कहीं ना कहीं अपने पुराने जनाधार को भी खो दीं। यूपी चुनाव में बीएसपी की करारी हार का ये भी एक कारण रहा। 

माफिया और बाहुबलियों को दिया टिकट
दरअसल ऐसा माना जाता है कि बहुजन समाज पार्टी की सरकार में सूबे में लॉ एंड ऑर्डर कंट्रोल में रहता है। कहा जाता है कि बीएसपी सुप्रीमो मायावती ना केवल अपने शासनकाल में अपराधियों और अपराध दोनों पर लगाम लगाए रखती हैं बल्कि गुंडों और माफियाओं पर भी उनका शिकंजा रहता है। ऐसे में यूपी चुनाव में अंतिम समय में मायावती का बाहुबलियों को टिकट देना बीएसपी की करारी हार के पीछे एक और मुख्य कारण साबित हुआ। अपने चुनावी रैलियों में माफिया और गुंडाराज के नाम पर बीजेपी और एसपी पर करारा हमला करने वाली मायावती ने बाहुबली नेता मुख्तार अंसारी और उनके परिवार को टिकट देकर ना केवल अपनी छवि को नुकसान पहुंचाया बल्कि पूर्वांचल में अपने जनाधार को भी कमजोर कर दिया।

दयाशंकर सिंह की मां-बहन पर बसपा कार्यकर्ताओं की अभद्र टिप्पणी
चुनाव से ठीक पहले बीजेपी नेता दयाशंकर सिंह ने बीएसपी सुप्रीमो मायावती पर आपत्तिजनक टिप्पणी की थी। इसके जवाब में बीएसपी कार्यकर्ताओं ने दयाशंकर सिंह की मां और बहन को लेकर अभद्र टिप्पणी की और मायावती ने उनका समर्थन किया। भारतीय जनता पार्टी ने बीएसपी सुप्रीमो के इस कदम का फायदा उठाते हुए यह दांव उल्टा मायावती पर चल दिया और ‘महिलाओं के सम्मान में बीजेपी मैदान में’ के नारे के साथ पार्टी ने बाजी अपने पाले में कर ली और इसका नुकसान बीएसपी को चुनाव में उठाना पड़ा। 

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