Edited By Punjab Kesari,Updated: 10 Mar, 2018 09:23 PM
आईएसबीटी का ऑटो स्टैंड अपराधियों और गुंडों की शरणस्थली बन गया है। पुलिस संरक्षण में पिटकुल के सामने चल रहे ऑटो स्टैंड पर बाहर से आए पर्यटकों एवं सवारियों को मनमाने रेट पर जाने पर मजबूर किया जाता है।
देहरादून: आईएसबीटी का ऑटो स्टैंड अपराधियों और गुंडों की शरणस्थली बन गया है। पुलिस संरक्षण में पिटकुल के सामने चल रहे ऑटो स्टैंड पर बाहर से आए पर्यटकों एवं सवारियों को मनमाने रेट पर जाने पर मजबूर किया जाता है। अगर कोई सवारी ई-रिक्शा से जाना चाहती है, तो ऑटो स्टैंड के गुंडे धमकी देने और मारपीट पर उतारू हो जाते हैं। आईएसबीटी पुलिस चौकी के इंचार्ज और कर्मचारी अंजान और निरीह बनकर मामले को टाल देते हैं।
शुक्रवार की रात नौ बजे दिल्ली से उत्तर प्रदेश रोडवेज की वाल्वो से आई एक महिला सवारी ने जब ई-रिक्शा से जाना चाहा। सबसे पहले ऑटो वाले ने डेढ़ सौ रुपये कांवली रोड तक के मांगे। एक ई-रिक्शा चालक सौ रुपये में पहुंचाने पर तैयार हो गया, तो ऑटो चालकों का दबंग संरक्षक काली जैकेट पहने एक नाटा व्यक्ति ई-रिक्शे वाले को ही धमकी देने लगा। इस बात की जानकारी जब एक पत्रकार ने पुलिस चौकी को दी, तो पुलिस अंजान सी बन गई। यह सब ठीक उस समय हुआ, जब गढ़वाल रेंज के डीआईजी पुष्पक ज्योति सभी कप्तानों के साथ अपराध रोकने के लिए समीक्षा बैठक कर रहे थे।
शनिवार को पुलिस ने उल्टा काम किया। मनमाना रेट वसूलने वाले ऑटो चालकों के स्थान पर ई-रिक्शा चालकों का ही चालान कर दिया। आखिर वो कौन से कारण हैं कि पुलिस अधिकारी आईएसबीटी पर गुंडागर्दी करने वाले ऑटो चालकों पर इतने मेहरबान हैं। यह जांच का विषय है कि जो ऑटो पुलिस के संरक्षण में इस स्टैंड पर लगवाए जाते हैं, वे कैसे मुख्य सड़क पर ही सभी बसों को जबरन रोककर सवारी भर लेते हैं। जबकि, नियमानुसार बसों को आईएसबीटी के अंदर ही सवारियों को उतारना चाहिए।
ट्रैफिक पुलिस की सख्ती यहां नरमी में क्यों बदल जाती है? ऑटो चालकों से आखिर पुलिस को कौन सी सुविधाएं मिलती हैं, जो राजधानी में आने वाले पर्यटकों की सुरक्षा दांव पर लगा दी गई है। जितने भी ऑटो चालक इस स्टैंड पर ऑटो चलाते हैं, सबकी विस्तृत जानकारी पुलिस और ऑटो यूनियन के पास नहीं है। ऑटो चालकों की आड़ में पश्चिम उत्तर प्रदेश के कितने कुख्यात अपराधी यहां संरक्षण पा रहे हैं, इसे पुलिस ने कभी जांचने की जरूरत ही नहीं समझी।
जब कभी आपराधिक घटनाएं होती हैं, तो पुलिस बयान और दिखावटी कार्रवाई कर चुप्पी साध लेती है। जबकि, जबरन सवारी भरने वाले ऑटो चालकों से उनके संरक्षक निश्चित रकम वसूल करते हैं। इसका बंटवारा नीचे से ऊपर कहां तक होता है, यह जांच का विषय है। फिलहाल शनिवार को भी ऑटो वालों की गुंडागर्दी का आलम जारी रहा। जबकि नवरात्रि, चारधाम यात्रा और पर्यटक सीजन शुरू होने वाला है। ऐसे में पुलिस की मिलीभगत से आईएसबीटी पर पिटकुल के सामने ऑटो चालकों का धंधा और फलने फूलने को तैयार है। अब देखना है कि कैसे पुलिस अपराध और अपराधियों पर काबू पाती है।