1984 दंगा केस: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने यूपी सरकार से मांगा हलफनामा

Edited By Punjab Kesari,Updated: 10 Aug, 2017 07:16 PM

1984 riots case  allahabad high court seeks apology from up government

इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने 1984 दंगा पीड़ति सिखों को मुआवजा और पुनर्वास की मांग को लेकर दायर की गई याचिका पर प्रमुख सचिव गृह को व्यक्तिगत हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया है।

इलाहाबाद: इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने 1984 दंगा पीड़ति सिखों को मुआवजा और पुनर्वास की मांग को लेकर दायर की गई याचिका पर प्रमुख सचिव गृह को व्यक्तिगत हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया है। 

न्यायमूर्ति अरुण टंडन तथा न्यायमूर्ति कृष्ण सिंह की खंडपीठ ने कानपुर नगर की गुरु सिंह सभा की याचिका पर आज यह आदेश दिया। याची के वरिष्ठ अधिवक्ता उमेश नारायण शर्मा का कहना है कि 31 अक्टूबर 1984 सिख विरोधी दंगे में कानपुर के किदवई नगर के एक परिवार के 14 लोगों को जलाकर मार दिया गया था। ऐसे ही पूरे प्रदेश में सिखों की दूकाने और उनके व्यावसायिक प्रतिष्ठानों को भारी नुकसान पहुँचाया गया। सरकार ने थोड़ी राहत दी।

केंद्र सरकार ने दंगा पीड़ित सिखों को मुआवजा एवं पुनर्वास के लिए 1996 में 716 करोड़ का पैकेज दिया था। साथ ही यह तय किया गया कि एक लाख से अधिक नुकसान पर एक लाख और एक लाख से कम नुकसान पर 50 हजार रुपये दिये जायेगे। 

केंद्र सरकार ने कहा कि राज्य द्वारा दिया गया मुआवजे का दस गुना अधिक दिया जायेगा। याचिका में वोरा कुलदीप पैकेज की माँग की गयी है। याची का कहना है कि यदि पैकेज लागू हो तो प्रत्येक पीड़ति को छोटे व्यवसायी को पांच लाख और बड़े व्यवसायी को दस लाख मुआवजा मिलेगा। जस्टिस रंगनाथ आयोग की रिपोर्ट के तहत आरोपियों को दंडित किया जाए। याचिका पर न्यायालय ने जवाब दाखिल करने का आखिरी मौका दिया है। याचिका की अगली सुनवाई की तिथि 31 अगस्त को नियत की गई है । 
 

 

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