देश के नए CDS अनिल चौहान के बारे में कुछ ऐसी बातें जो आपको शायद ना पता हो, जानिए उनके बारे में

Edited By Nitika,Updated: 29 Sep, 2022 11:41 AM

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अनिल चौहान मूल रूप से उत्तराखंड के पौड़ी जिले के श्रीनगर विधानसभा के अंतर्गत मूलतः रामपुर ग्राम सभा ग्वाणा गांव (खिर्सु) ब्लॉक से है। अनिल चौहान के पूर्वी कमान के जनरल ऑफिसर कमांडिंग इन चीफ रहने के दौरान पूर्वोत्तर क्षेत्र में उग्रवाद में बड़ी कमी आई...

 

पौड़ी(कुलदीप रावत): अनिल चौहान मूल रूप से उत्तराखंड के पौड़ी जिले के श्रीनगर विधानसभा के अंतर्गत मूलतः रामपुर ग्राम सभा ग्वाणा गांव (खिर्सु) ब्लॉक से है। अनिल चौहान के पूर्वी कमान के जनरल ऑफिसर कमांडिंग इन चीफ रहने के दौरान पूर्वोत्तर क्षेत्र में उग्रवाद में बड़ी कमी आई थी, जिसके फलस्वरूप कई पूर्वोत्तर राज्यों में सेना की तैनाती में भी कमी आई। चौहान को उग्रवाद के खिलाफ अभियानों का खासा अनुभव है। वह सेना में कई अहम पदों पर काम कर चुके हैं। वह अंगोला में संयुक्त राष्ट्र शांतिवाहिनी मिशन में सैन्य पर्यवेक्षक भी रह चुके हैं।

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कई मेडल से सम्मानित हैं अनिल चौहान
बतौर डीजीएमओ वह ऑपरेशन सनराइज के मुख्य शिल्पी थे, जिसके तहत भारतीय और म्यांमार सेना ने दोनों देशों की सीमाओं के पास उग्रवादियों के विरुद्ध समन्वित अभियान चलाया। चौहान बालाकोट में सर्जिकल स्ट्राइक की योजना से भी जुड़े थे। इसके साथ ही पूर्वी कमान ने उनके नेतृत्व में भारत-चीन सीमा पर राष्ट्रीय हितों की रक्षा करने में अपना साहस दिखाया था। अनिल चौहान को राष्ट्र की सेवा के लिए समय-समय पर परम विशिष्ट सेवा मेडल, उत्तम युद्ध सेवा मेडल, अति विशिष्ट सेवा मेडल, सेना मेडल और विशिष्ट सेवा मेडल से भी सम्मानित किया गया।

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जानिए कौन-कौन है परिवार में
चीफ डिफेंस स्टाफ अनिल चौहान का जन्म 18 मई 1961 को पौड़ी जनपद के ग्वाणा गांव में हुआ था। अनिल चौहान दो भाई और एक बहन है। अनिल चौहान के पिताजी का नाम सुरेंद्र चौहान और माता का नाम पदमा चौहान है। अनिल चौहान के पिता सुरेंद्र चौहान पेशे से इंजीनियर थे। ऋषिकेश बद्रीनाथ राष्ट्रीय राजमार्ग जब पुनः निर्माण किया  जा रहा था, तब चीफ डिफेंस स्टाफ अनिल चौहान के पिता सुरेंद्र चौहान इस प्रोजेक्ट में चीफ़ इंजीनियर थे। अभी वह कई वर्ष पूर्व रिटायर हो चुके हैं। 95 वर्षीय सुरेंद्र सिंह चौहान अपने पूरे परिवार के साथ दिल्ली में ही रहते हैं। कभी-कभी देहरादून के बसंत विहार स्थित घर में रहने को आते रहते हैं, फिलहाल देहरादून स्थित बसंत विहार घर में काफी लंबे समय से पुनर्निर्माण का काम चल रहा है।

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पढ़ने लिखने का है शौक़- दो किताबें लिख चुके हैं
चीफ डिफेंस स्टाफ अनिल चौहान के साथ उनके भतीजे अमन चौहान काफी लंबे समय तक रहे हैं। अमन चौहान बताते हैं कि चाचा जी अनिल चौहान को पढ़ने का बहुत शौक है। उन्होंने घर में काफी बड़ी लाइब्रेरी बना रखी है लगभग 4 से 5 घंटे वह प्रतिदिन लाइब्रेरी में बिताते हैं। उनके द्वारा लिखी गई पुस्तक "आफ्टर मैथ ऑफ ए न्यूक्लियर अटैक"  2010 में पब्लिश की गई थी। परमाणु हमले के बाद के परिणाम पुस्तक में चीफ डिफेंस स्टाफ अनिल चौहान के द्वारा परमाणु हमले के बाद क्या इसके परिणाम होंगे, इससे संबंधित जानकारी दी गई है। परमाणु हमले के बाद देश और देश में रहने वाले नागरिकों के ऊपर क्या असर देखने को मिलता है। उसका वर्णन उनके द्वारा इस पुस्तक में किया गया है। इसके साथ ही उन्होंने एक और पुस्तक भी लिखी है।

चीफ डिफेंस स्टाफ अनिल चौहान की इकलौती एक बेटी दुर्गा चौहान, जो आर्किटेक्ट इंजीनियर है और वर्तमान में नीदरलैंड में रहती है। अनिल चौहान का ससुराल कोटद्वार में है और उनकी पत्नी ने गढ़वाल विश्वविद्यालय श्रीनगर से ही शिक्षा ग्रहण की है। इसे संयोग ही कहा जाएगा कि जनरल बिपिन रावत के बाद अनिल चौहान भी 11 गोरखा रेजिमेंट से ही हैं।

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अमन चौहान बताते हैं कि चाचा अनिल चौहान लगभग काफी समय से गांव नहीं आए हैं। उनके गांव में उनके चचेरे भाई दर्शन सिंह चौहान, बालम सिंह चौहान, उपेंद्र सिंह चौहान रहते हैं। जैसे ही उनके गांव में यह खबर पता चली कि उनके गांव का बेटा देश का चीफ डिफेंस स्टाफ बन गया है, पूरे गांव में खुशी की लहर है। सभी चौहान परिवार के घर पर मिठाई लेकर पहुंच रहे हैं।

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