हल्द्वानी में 1581 अतिक्रमणकारियों को जमीन खाली करने का फरमान, लोगों में मचा हड़कंप

Edited By Nitika,Updated: 10 Jan, 2021 01:27 PM

1581 encroachers in haldwani decree to vacate land

उत्तराखंड उच्च न्यायालय की सख्ती के बाद रेल मंत्रालय हल्द्वानी में अतिक्रमण के मामले में पहली बार हरकत में आया है। साथ ही रेलवे की ओर से 1581 अतिक्रमणकारियों को जमीन खाली करने का फरमान जारी कर दिया गया है।

 

नैनीतालः उत्तराखंड उच्च न्यायालय की सख्ती के बाद रेल मंत्रालय हल्द्वानी में अतिक्रमण के मामले में पहली बार हरकत में आया है। साथ ही रेलवे की ओर से 1581 अतिक्रमणकारियों को जमीन खाली करने का फरमान जारी कर दिया गया है। दूसरी ओर इस प्रकरण के बाद लोगों में हड़कंप मच गया है।

रेलवे के सीनियर सेक्शन इंजीनियर केएन पांडे की अगुवाई में रेलवे की एक टीम गफ्फूरबस्ती पहुंची। रेलवे टीम को देखकर गफ्फूरबस्ती के लोग सकते में आ गए। रेलवे की ओर से 1581 अतिक्रमणकारियों को जमीन खाली करने के नोटिस जारी किए गए हैं। नोटिस में 15 दिन के अंदर रेलवे की भूमि को खाली करने की बात कही गई है। साथ ही यह भी कहा गया है कि 15 दिन के अंदर बलपूर्वक भूमि को खाली करवा लिया जाएगा। इस घटना के बाद अतिक्रमणकारियों में हड़कंप मच गया है और वे भाजपा सरकार को कोसने लगे। लोगों का आरोप है कि वे कई दशकों से यहां रह रहे हैं और भाजपा सरकार उन्हें जबरदस्ती हटा रही है।

वहीं रेलवे सूत्रों के अनुसार बनभूलपुरा के गफ्फृरबस्ती में 4365 अतिक्रमणकारियों को चिन्हित किया गया है। पहले चरण में 1581 लोगों को ही नोटिस जारी किया गया है। इन्हें व्यक्तिगत नोटिस जारी किया गया है। पांडे ने कहा कि कोरोना महामारी के चलते भारी भीड़ को देखते हुए नोटिस घरों में चस्पा किये जाने के बजाय सार्वजनिक जगहों में नोटिस बोडरं पर लगा दिए गए हैं। यहां 40 से अधिक बोर्ड लगाए गए हैं। इस दौरान पुलिस बल की तैनाती भी रेलवे अधिकारियों के साथ तैनात रही। दरअसल रेलवे की भूमि पर अतिक्रमण का मामला पहली बार सन् 2016 उस समय चर्चा में आया, जब हल्द्वानी निवासी रवि शंकर जोशी की ओर से उच्च न्यायालय में इस संबंध में एक जनहित याचिका दायर की गई। याचिका में कहा गया था कि रेलवे अतिक्रमणकारियों के खिलाफ कार्यवाही नहीं कर रहा है। इसके बाद उच्च न्यायालय ने 9 नवम्बर 2016 को एक आदेश जारी कर रेलवे की जमीन को अतिक्रमण मुक्त करने के निर्देश दिए। अतिक्रमणकारियों की ओर से उच्च न्यायालय के आदेश को शीर्ष अदालत में चुनौती दी गई लेकिन उन्हें राहत नहीं मिली। शीर्ष अदालत ने अतिक्रमणकारियों को तीन हफ्ते की मोहलत देते हुए रेलवे को उनके प्रत्यावेदन पर उचित निर्णय लेने को कहा। इसके बाद यह मामला शांत हो गया।

याचिकाकर्ता की ओर से फिर उच्च न्यायालय में 2019 में एक आवेदन पत्र देकर कहा गया कि इस मामले कोई कार्यवाही नहीं हुई है। इसके बाद उच्च न्यायालय ने 21 नवम्बर 2019 को आदेश जारी कर रेलवे को 31 मार्च, 2020 तक अतिक्रमणकारियों का पक्ष सुनकर आवश्यक कार्यवाही करने के निर्देश दिए थे। पुन: याचिकाकर्ता की ओर से पिछले साल दिसंबर में अवमानना याचिका दायर कर कहा गया कि रेलवे की ओर से 4365 प्रत्यावेदनों पर कोई कार्यवाही नहीं की गई है। अदालत ने इसे गंभीरता से लेते हुए 24 दिसंबर को रेलवे के राज्य अधिकारी विवेक कुमार और इज्जतनगर के क्षेत्रीय उपप्रबंधक को अवमानना नोटिस जारी कर दिया था। इसके बाद रेलवे की मशीनरी अतिक्रमणकारियों के खिलाफ हरकत में आई।
 

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