सपा-बसपा ने अचानक राजपूत राजनीति की ओर किया रुख, जानिए क्यों ?

Edited By Ajay kumar,Updated: 24 Apr, 2024 04:11 PM

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'पीडीए पॉलिटिक्स' को धार देने के साथ सपा और बसपा ने अचानक 'राजपूत राजनीति' का रूख क्यों कर लिया ? खासकर पश्चिम उत्तर प्रदेश की जनसभाओं में सपा प्रमुख अखिलेश यादव और बसपा नेत्री मायावती के बयान इस सवाल का जवाब तलाशने को मजबूर करते हैं।

लखनऊ: लोकसभा चुनाव 2024 के दूसरे चरण का चुनाव प्रचार आज समाप्त हो जाएगा। इस बीच 'पीडीए पॉलिटिक्स' को धार देने के साथ सपा और बसपा ने अचानक 'राजपूत राजनीति' का रूख क्यों कर लिया ? खासकर पश्चिम उत्तर प्रदेश की जनसभाओं में सपा प्रमुख अखिलेश यादव और बसपा नेत्री मायावती के बयान इस सवाल का जवाब तलाशने को मजबूर करते हैं। पश्चिम से हवा उड़ी है कि राजपूत भाजपा से नाराज हैं। इसी उड़ी हवा में दोनों ही दल अपने अपने 'राजनीतिक संदेश' को घोलकर फैलाने की फिराक में हैं। हालांकि, भाजपा के नेताओं का स्पष्ट कहना है कि सब विपक्षीपार्टियों का प्रॉपगेंडा है, उनके पास इस चुनाव में कोई मुद्दा नहीं। बहरहाल, चुनाव का मौका नाराजगी प्रकट करने का सुअवसर भी होता है। यानि सबकुछ अगर चुनावी ही मान लें तो भी सपा और बसपा जैसी विपक्षी पार्टियां क्षेत्र विशेष में इसे अपने लिए अवसर देख रही हैं। विपक्षी दलों ने भाजपा के कथित नाराज इस कोर वोटर्स तक पहुंच बनाने की कोशिशें तेज कर दीं हैं। विपक्ष ने इसी कड़ी में सिखों पर भी नजरें गड़ा रखी हैं।

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सपा भी कर रही टोपी से पगड़ी को आकर्षित
इससे दो दिन पहले सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने भी गौतमबुद्ध नगर की रैली में क्षत्रिय समाज के मौजूद होने की बात कही थी। उन्होंने कहा, मैं सिर पर पगड़ी देख रहा हूं. जो लोग पारंपरिक रूप से किसी अन्य पार्टी को वोट देते रहे हैं, यहां अपनी पार्टी की पहचान लाल टोपी पहने अखिलेश बोले, मैं इस बार उनकी राजनीतिक जागरूकता के लिए आभारी हूं कि वे सम्मान औरपगड़ी के साथ साइकिल का समर्थन करने जा रहे हैं। सपा प्रमुख के इस बयान पर सपा के गौतमबुद्ध नगर जिला सचिव हेमंत राघव का तर्क है कि, 'जनता में पगड़ी पहने लोग क्षत्रिय थे और जब अखिलेश यादव ने उनकी मौजूदगी को देखा तो प्रतिक्रिया दी। राघव ने दावा किया कि क्षत्रिय इस बार सपा का समर्थन करने जा रहे हैं क्योंकि वे भाजपा से नाराज हैं।

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बसपा भी क्षत्रियों की नब्ज पकड़ने की फिराक में
बसपा नेत्री मायावती ने रविवार को गाजियाबाद में एक चुनावी रैली में इस मुद्दे को उठाया। वहां उन्होंने कहा कि भाजपा क्षत्रियों को नजरंदाज कर रही है। मायावती के मुताबिक, उम्र. में सभी धर्मों को मानने वाले लोग रहते हैं लेकिन पश्चिमी यूपी में के अपर कास्ट समाज में से क्षत्रिय समाज के लोग काफी बड़ी तादाद में रहते हैं। भाजपा और अन्य पार्टियां अपने आपको क्षत्रियों की हिमायती समझती हैं, लेकिन लोकसभा चुनाव में भाजपा और दूसरी पार्टियों ने क्षत्रिय समाज की उपेक्षा की है।

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हर चुनाव में सपा-कांग्रेस नैरेटिव चलाते हैः राजनाथ सिंह
प्रदेश में क्षत्रियों के नाराजगी के सवाल पर रक्षामंत्री राजनाथ सिंह से पूछा गया तो उन्होंने बताया कि हर चुनाव में सपा-कांग्रेस नैरेटिव चलाते हैं कि भाजपा से एक वर्ग नाराज है। इस बार चलाया है कि ठाकुर नाराज हैं। हमसे कोई नाराज नहीं, यदि नाराज हैं तो ये हमारा आपसी मामला है। सपा-कांग्रेस से पूरा उत्तर प्रदेश नाराज है।

उत्तर प्रदेश और उत्तराखण्ड के मुख्यमंत्री क्षत्रिय समाज से हैं....नीरज सिंह  
बहरहाल, चर्चा है कि भाजपा क्षत्रियों की नाराजगी को भांपते हुए अपने नेताओं को समुदाय के लोगों को मनाने लिए भेज रही है। इस बीच राजनाथ सिंह के पुत्र नीरज सिंह का एक बयान प्रभावी माना जा रहा है। नीरज सिंह ने मीडिया को दिए एक वीडियो संदेश में कहा कि, जिस क्षत्रिय समाज को लेकर विपक्ष मुद्दा बनाने की चाहत में है, जनता को यह समझना होगा कि न केवल उत्तर प्रदेश और उत्तराखण्ड के मुख्यमंत्री क्षत्रिय समाज से हैं बल्कि देश के रक्षामंत्री राजनाथ सिंह भी इसी समाज से हैं। ये राष्ट्रीय नेता हैं, इन्हें जाति के चश्मे से नहीं देखा जाना चाहिए। पार्टी ने उत्तर प्रदेश से 11 उम्मीदवार भी इसी समाज से दिए हैं।

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