Edited By Ajay kumar,Updated: 18 Feb, 2024 08:54 AM
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अपहरण के अपराध हेतु दर्ज अलग-अलग रिपोर्ट का सामना कर रहे तीन लड़कों के खिलाफ आपराधिक कार्यवाही को रद्द करते हुए कहा कि दो व्यक्तियों के बीच के सच्चे प्रेम को कानून की कठोरता या राज्य की कार्यवाही के माध्यम से नियंत्रित नहीं किया...
प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अपहरण के अपराध हेतु दर्ज अलग-अलग रिपोर्ट का सामना कर रहे तीन लड़कों के खिलाफ आपराधिक कार्यवाही को रद्द करते हुए कहा कि दो व्यक्तियों के बीच के सच्चे प्रेम को कानून की कठोरता या राज्य की कार्यवाही के माध्यम से नियंत्रित नहीं किया जा सकता है, भले ही वे नाबालिग हों।
कई परिस्थितियों में न्याय के तराजू पर ऐसे मामलों को तौलना कठिन हो जाता है, क्योंकि यह गणितीय परिशुद्धता या सूत्रों या प्रमेयों के आधार पर कार्य नहीं करते हैं बल्कि तराजू के एक पलड़े में कानून होता है और दूसरी तरफ बच्चों, उनके माता-पिता और परिवारीजनों का संपूर्ण जीवन, खुशी, भविष्य होता है, लेकिन कई बार किशोर जोड़ों के खिलाफ राज्य/पुलिस की कार्यवाही को उचित ठहराने में कानून को रूढ़ियों से जूझना पड़ता है। ऐसे मामलों में जहां जोड़े विवाह में प्रवेश करते हैं, वहां उनके माता-पिता द्वारा पति/लड़के के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज करने की कार्यवाही उनके वैवाहिक रिश्ते में जहर घोलने जैसी है। उक्त टिप्पणी न्यायमूर्ति राहुल चतुर्वेदी ने अपहरण के आरोपियों की जमानत याचिका स्वीकार करते हुए की।
जानिए क्या है मामला
दरअसल कोर्ट के समक्ष तीन ऐसे याची थे, जिन पर शिकायतकर्ताओं की बेटियों को बहला-फुसलाकर शादी करने का आरोप है जबकि सभी मामलों में लड़के और लड़कियां पहले से सहमत थे और उनके बीच प्रेम संबंध था। इसके साथ लड़कियों ने भी अपने बयानों में यह स्वीकार किया है कि उन्होंने खुद ही अपना घर छोड़कर अपना जीवनसाथी चुना था।