Edited By Moulshree Tripathi,Updated: 26 Apr, 2021 12:18 PM
कोरोना संकट का दौर...जहां इंसान का इंसानियत से नाता टूटता जा रहा है। इन दिनों ऐसी कई तस्वीरें व घटनाएं सामने आईं जिसमें इंसान केवल लाचारी ही दिखा पा रहा है...कभी परिवार...
लखनऊः कोरोना संकट का दौर...जहां इंसान का इंसानियत से नाता टूटता जा रहा है। इन दिनों ऐसी कई तस्वीरें व घटनाएं सामने आईं जिसमें इंसान केवल लाचारी ही दिखा पा रहा है...कभी परिवार के लिए तो कभी खुद की जिंदगी के लिए। इसी बीच उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ के हजरतगंज का एक वीडियो तेजी से वायरल हो रहा है। जिसमें एक बुजुर्ग महिला के शव को उनके दो बेटे रिक्शे से ले जा रहे हैं।
बता दें कि मां के शव को ढोने वाले युवक वर्तमान समय में सिविल हॉस्पिटल के धोबी हैं। जब इस वीडियो की पड़ताल की गई तो पता चला कि इनकी मां की तबीयत अचानक खराब हुई और हॉस्पिटल में इलाज के दौरान इनकी मां की मौत हो गई। सिविल अस्पताल के बाहर दोनों युवक घंटों एंबुलेंस का इंतजार करते रहे पर एंबुलेंस का कुछ आता पता नहीं चला। जिससे लाचार होकर मृतक मां के दोनों बेटों ने एक रिक्शे से अपनी मां का शव घर ले जा रहे हैं।
वहीं इस घटना को लेकर एक कड़वा सवाल है कि आखिरकार हजरतगंज के सिविल अस्पताल से महज 300 मीटर की दूरी पर लालबाग कोविड-19 कमांड सेंटर के सामने लालबाग गर्ल्स कॉलेज के अंदर आपको 20 से 25 सरकारी एंबुलेंस खड़ी मिलेंगी। सवाल यह है कि एंबुलेंस होने के बावजूद हेल्पलाइन नंबर पर जब कोई पीड़ित फोन कर मदद मांगता है तो आखिर क्यों नहीं समय से एंबुलेंस पहुंचती है।