Amethi Loksabha Election 2024: गांधी परिवार अपने गढ़ में कर लेगा वापसी या स्मृति ईरानी का दबदबा रहेगा बरकरार ?

Edited By Imran,Updated: 02 Apr, 2024 03:43 PM

gandhi family will return to its stronghold of amethi in lok sabha elections

उत्तर प्रदेश की 80 सीटों में एक अमेठी लोकसभा सीट है। बता दें कि ये सीट साल 1967 में हुए परिसीमन के बाद वजूद में आई थी। इससे पहले यह क्षेत्र सुल्तानपुर दक्षिण लोकसभा सीट का हिस्सा था।

ंLoksabha Election 2024: उत्तर प्रदेश की 80 सीटों में एक अमेठी लोकसभा सीट है। बता दें कि ये सीट साल 1967 में हुए परिसीमन के बाद वजूद में आई थी। इससे पहले यह क्षेत्र सुल्तानपुर दक्षिण लोकसभा सीट का हिस्सा था। साल 1952 के चुनाव में कांग्रेस के बालकृष्ण विश्वनाथ केशकर सुल्तानपुर दक्षिण से चुनाव जीते थे। साल 1957 के दूसरे लोकसभा चुनाव में मुसाफिरखाना सीट वजूद में आई तो यहां से कांग्रेस के केशकर फिर चुनाव जीत गए थे। मौजूदा समय में मुसाफिरखाना अमेठी जिले की एक तहसील है। साल 1962 के तीसरे लोकसभा चुनाव में राजा रणंजय सिंह कांग्रेस के टिकट पर संसद पहुंचे थे। वर्तमान अमेठी सीट पर साल 1967 में पहली बार चुनाव हुए थे। इस बार कांग्रेस के ही विद्याधर वाजपेयी सांसद बने।  विद्याधर साल 1971 में भी दोबारा सांसद चुने गए। हालांकि साल 1977 के चुनाव में कांग्रेस ने संजय गांधी को यहां से चुनाव मैदान में उतारा, लेकिन संजय गांधी जनता पार्टी के रविंद्र प्रताप सिंह से चुनाव हार गए।
PunjabKesari
फिर साल 1980 के अगले चुनाव में आयरन लेडी कहलाने वाली इंदिरा गांधी के बेटे संजय गांधी यहां से चुनाव जीते थे। इसके बाद इसको गांधी परिवार की सीट के रूप में बदल दिया गया। साल 1980 में ही एक विमान दुर्घटना में संजय गांधी की मौत हो गई थी। इसके बाद साल 1981 के उपचुनाव में इंदिरा गांधी के बड़े बेटे राजीव गांधी को अमेठी से चुनाव लड़ाया गया और वो सांसद चुने गए। साल 1984 में इंदिरा गांधी की हत्या के बाद हुए चुनाव में राजीव गांधी इस सीट पर एक बार फिर मैदान में उतरे थे। राजीव गांधी के सामने उनके भाई संजय की पत्नी मेनका गांधी निर्दलीय मैदान में थी। लेकिन राजीव गांधी इसके बावजूद चुनाव जीत गए। वहीं मेनका गांधी महज 50 हजार वोटों पर ही सिमट गई थी।  राजीव गांधी ने यहां से साल 1989 और 1991 में भी चुनाव जीता। हालांकि साल 1991 के नतीजे आने से पहले राजीव गांधी की हत्या कर दी गई थी।

इसके बाद हुए उपचुनाव में कांग्रेस के कैप्टन सतीश शर्मा यहां से चुनाव जीतकर संसद पहुंचे। साल 1996 में भी सतीश शर्मा ही यहां से सांसद चुने गए थे। लेकिन साल 1998 में सतीश शर्मा बीजेपी के संजय सिंह से चुनाव हार गए।  इसके बाद साल 1999 में राजीव गांधी की पत्नी सोनिया गांधी ने राजनीति में कदम रखा।  सोनिया गांधी ने अपने पति की सीट को ही चुनाव लड़ने के लिए चुना था। अमेठी को सोनिया ने अपनी सियासी कर्मभूमी बनाया। यहां की जनता ने सोनिया गांधी को चुनाव जीता कर पहली बार संसद पहुंचा दिया। लेकिन साल 2004 के अगले ही चुनाव में सोनिया गांधी ने अपने बेटे राहुल गांधी के लिए इस सीट को छोड़ दिया था। साल 2004 से 2014 तक राहुल गांधी लगातार तीन चुनाव यहां से जीते। हालांकि हैट्रिक लगाने के बावजूद साल 2019 का चुनाव राहुल गांधी बीजेपी की स्मृति ईरानी से नजदीकी मुकाबले में हार गए। इस जीत से बीजेपी अमेठी की सीट को दूसरी बार जीतने में सफल हो गई। वहीं राहुल गांधी को हराकर रिकॉर्ड भी बना दिया।

लोकसभा के अंतर्गत विधानसभा की कुल पांच सीटें 
आपको बता दें कि इस लोकसभा के अंतर्गत विधानसभा की कुल पांच सीटें आती हैं। जिसमें अमेठी जिले की तिलोई, जगदीशपुर सुरक्षित, अमेठी और गौरीगंज है। जबिक रायबरेली जिले की सलोन सुरक्षित सीट शामिल है।
PunjabKesari
साल 2022 में हुए विधानसभा चुनाव में इस लोकसभा क्षेत्र की पांच सीटों में से तीन पर बीजेपी का कब्जा है। जबकि दो सीट समाजवादी पार्टी के खाते में हैं। कांग्रेस के पास इस क्षेत्र की कोई सीट नहीं है। हालांकि इस चुनाव में सपा और कांग्रेस का गठबंधन है। मगर राज्यसभा चुनाव में बीजेपी प्रत्याशी को वोट देकर सपा के दोनों विधायक पाला बदल चुके हैं। 


एक नजर 2019 में हुए लोकसभा चुनाव के आंकड़ों पर
PunjabKesari
अगर बात मतदाताओं की करें, तो इस लोकसभा सीट पर कुल मतदाताओं की संख्या 17 लाख 18 हजार 401 है। जिसमें पुरुष मतदाताओं की संख्या 9 लाख 12 हजार 459 है। जबकि महिला मतदाता 8 लाख 54 हजार 920 हैं। वहीं ट्रांसजेंडर के कुल 141 मतदाता शामिल हैं। 

एक नजर 2019 लोकसभा चुनाव के नतीजों पर
PunjabKesari
अमेठी सीट पर साल 2019 में हुए पिछले लोकसभा चुनाव पर नज़र डालें, तो इस सीट पर बीजेपी ने जीत दर्ज की थी। बीजेपी की प्रत्याशी स्मृति ईरानी ने कांग्रेस के राहुल गांधी को 55 हजार से अधिक वोटों के अंतर से हराया था। स्मृति ईरानी को कुल 4 लाख 68 हजार 514 वोट मिले थे। जबकि राहुल गांधी को 4 लाख 13 हजार 394 वोट मिले थे। वहीं तीसरे नंबर पर नोटा को 3 हजार 940 वोट मिले थे।

एक नजर 2014 लोकसभा चुनाव के नतीजों पर
PunjabKesari
अमेठी सीट पर साल 2014 में हुए लोकसभा चुनाव पर नज़र डालें, तो इस सीट पर यूपी में मोदी लहर के बावजूद कांग्रेस ने बाजी मारी थी। अमेठी से कांग्रेस के राहुल गांधी ने बीजेपी की तेजतर्रार नेता स्मृति ईरानी को एक लाख से अधिक वोटों के अंतर से चुनाव हराया था। राहुल गांधी को कुल 4 लाख 8 हजार 651 वोट मिले थे। जबकि स्मृति ईरानी दूसरे नंबर पर रही थी। स्मृति ईरानी को कुल 3 लाख 748 वोट मिले थे। वहीं तीसरे नंबर पर बसपा के धर्मेंद्र प्रताप सिंह थे। धर्मेंद्र को कुल 57 हजार 716 वोट मिल पाए थे।

एक नजर 2009 लोकसभा चुनाव के नतीजों पर
PunjabKesari
साल 2009 में अमेठी लोकसभा सीट पर हुए चुनाव में कांग्रेस के राहुल गांधी चुनाव जीते थे। राहुल गांधी को कुल 4 लाख 64 हजार 195 वोट मिले थे। जबकि दूसरे नंबर पर बसपा के आशीष शुक्ला रहे थे। आशीष शुक्ला को कुल 93 हजार 997 वोट मिले। वहीं तीसरे नंबर पर बीजेपी के प्रदीप कुमार सिंह थे। प्रदीप सिंह को केवल 37 हजार 570 वोट ही मिले थे।

एक नजर 2004 लोकसभा चुनाव के नतीजों पर
PunjabKesari
साल 2004 में हुए लोकसभा चुनाव में राहुल गांधी पहली बार अमेठी सीट पर चुनाव लड़े थे। इससे पहले यहां से सोनिया गांधी सांसद थी। अपने पहले ही चुनाव में राहुल गांधी ने इस सीट पर भारी अंतर से जीत दर्ज की थी। राहुल को इस चुनाव में कुल 3 लाख 90 हजार 179 वोट मिले थे। जबकि दूसरे नंबर पर बसपा के चंद्र प्रकाश मिश्रा रहे थे। सीपी मिश्रा को कुल 99 हजार 326 वोट मिल पाए। वहीं तीसरे नंबर पर बीजेपी के संतराम विलास वेदांती रहे। संतराम वेदांती को मात्र 55 हजार 438 वोट ही मिले थे।

इस क्षेत्र को कांग्रेस का गढ़ कहा जाता है
अमेठी लोकसभा उत्तर प्रदेश की सीट नंबर- 37 है। इस क्षेत्र को कांग्रेस का गढ़ कहा जाता है और देश की हॉट सीटों में इसका शुमार होता है। इस सीट पर अब तक दो उपचुनाव समेत 16 बार लोकसभा इलेक्शन हुए हैं। जिनमें 13 बार कांग्रेस ने चुनाव जीता है। इस बात से अंदाजा लगाया जा सकता है कि अमेठी के कांग्रेसी किले को भेदना कितना मुश्किल है। हालांकि इस सीट पर साल 1998 और 2019 में 2 बार बीजेपी और साल 1977 में एक बार जनता पार्टी चुनाव जीत चुकी है। बाकी बसपा-सपा समेत तमाम दूसरी पार्टियों को यहां से सफलता हाथ नहीं लग सकी। साल 2014 की मोदी लहर में भी कांग्रेस के राहुल गांधी यहां से चुनाव जीतकर संसद पहुंचे थे। जबकि बीजेपी से टीवी स्टार स्मृति ईरानी और आम आदमी पार्टी से मशहूर कवि कुमार विश्वास उसके सामने मैदान में थे, लेकिन राहुल गांधी ने बीजेपी और आप से फिर भी चुनाव में पार पा लिया था। वैसे ये सीट दलित, ओबीसी, ठाकुर, मुस्लिम और ब्राह्मण बहुल मानी जाती है। बाकी बिरादरी यहां निर्णायक भूमिका में है। 

ओबीसी, दलित और सवर्ण वोट बैंक की बदौलत फिलहाल इस सीट पर बीजेपी का कब्जा है। टीवी कलाकार रही केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी यहां पर बीजेपी की सांसद हैं और राहुल गांधी को हरा चुकी हैं। पिछले चुनाव में अगर हार-जीत को देखें, तो राहुल और ईरानी में 55 हजार वोटों का अंतर था। जबकि इससे पहला यानी 2014 का चुनाव राहुल गांधी एक लाख से अधिक वोटों से स्मृति ईरानी को हराकर ही जीते थे। हालांकि पिछले लोकसभा चुनाव में मिलकर लड़ रहीं सपा-बसपा ने अपना प्रत्याशी नहीं उतारा था। जबकि हर बार बसपा यहां पर दूसरे स्थान पर रहती थी अगर साल 2014 और 2019 के चुनाव को छोड़ दें। शायद इसी का लाभ बीजेपी और ईरानी को 2019 के चुनाव में मिला और राहुल गांधी चुनाव हार गए। 

Related Story

Trending Topics

IPL
Chennai Super Kings

176/4

18.4

Royal Challengers Bangalore

173/6

20.0

Chennai Super Kings win by 6 wickets

RR 9.57
img title
img title

Be on the top of everything happening around the world.

Try Premium Service.

Subscribe Now!