BRD मेडिकल कालेज में नहीं रुक रहा मौत का सिलसिला, 4 दिनों में 58 मासूमों की मौत

Edited By Punjab Kesari,Updated: 06 Nov, 2017 03:18 PM

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उत्तर प्रदेश में गोरखपुर के बीआरडी मेडिकल कालेज में पिछले 4 दिनों में 58 बच्चों की मृत्यु हो गई। अस्पताल में मेडिसिन विभागाध्यक्ष प्रो. डी के श्रीवास्तव ने पत्रकारों को बताया कि 1 से 4 नवम्बर के बीच अस्पताल में 58 बच्चों ने दम तोड़ा है।

गोरखपुर: उत्तर प्रदेश में गोरखपुर के बीआरडी मेडिकल कालेज में पिछले 4 दिनों में 58 बच्चों की मृत्यु हो गई। अस्पताल में मेडिसिन विभागाध्यक्ष प्रो. डी के श्रीवास्तव ने पत्रकारों को बताया कि 1 से 4 नवम्बर के बीच अस्पताल में 58 बच्चों ने दम तोड़ा है। इनमें से 32 बच्चे एक माह से भी कम उम्र के थे। बता दें कि इससे पहले अगस्त में मेडिकल कालेज अस्पताल में एक हफ्ते के भीतर 60 से ज्यादा बच्चों की मृत्यु से सरकार और प्रशासन में खलबली मच गई थी। अॉक्सीजन की कमी के कारण 1 ही दिन में 30 से अधिक बच्चों ने यहां दम तोड़ दिया था। इस साल मेडिकल कालेज अस्पताल में अब तक 1317 बच्चों की मृत्यु हो चुकी है।

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अस्पताल के रिकार्ड के अनुसार जनवरी में 152, फरवरी में 122, मार्च में 159, अप्रैल में 123, मई में 139, जून में 137, जुलाई में 128 और अगस्त में 325 बच्चों की मृत्यु हुई थी। पूर्वी उत्तर प्रदेश में सालों से एक्यूट इंसेफेलाइटिस सिंड्रोम (एईएस) और जापानी इंसेफेलाइटिस (जेई) दहशत का पर्याय बना हुआ है। बीमारी से गोरखपुर, महराजगंज, कुशीनगर, बस्ती, सिद्धार्थनगर, संतकबीरनगर, देवरिया और मऊ सर्वाधिक प्रभावित हैं।
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राष्ट्रीय वेक्टर जनित रोग नियंत्रण कार्यक्रम निदेशालय (एनवीबीडीसीपी) की वेबसाइट से प्राप्त आकड़ों के अनुसार वर्ष 2010 में उत्तर प्रदेश में एईएस के 3540 मामले सामने आए थे, जिसमें 494 बच्चों की मृत्यु हो गई थी। इस दौरान जेई के 325 मामलों में 59 ने दम तोड़ दिया था। इसी प्रकार 2011 में एईएस के 3492 मामलों में 579 लोगों की मृत्यु हो गई थी जबकि जेई के 224 मामलों में 27 बच्चों की मृत्यु हो गई थी। 2012 में एईएस के 3484 मरीजों 557 की मृत्यु हो गई थी जबकि जेई के 139 मामलों में 23 ने दम तोड़ दिया था।
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बीमारी पर काबू पाने के तमाम उपायों को धता बताते हुए दिमागी बुखार का प्रभाव दिनोंदिन बढ़ता गया। वर्ष 2013 में एईएस से ग्रसित 3096 मामलों में 600 मरीजों की मृत्यु हुई। इस अवधि में जेई के 281 मामलों में 47 मरीजों ने दम तोड़ दिया। 2014 में एइएस के 3329 मामले सामने आए जबकि जेई के 191 मामलों में 34 मौत का शिकार बने। वर्ष 2015 में एईएस से पीड़ित 2894 मरीजों में से 479 ने दम तोड़ दिया जबकि जेई के 351 मामलों में 42 की मृत्यु हो गई। वर्ष 2016 में एईएस के 3919 मामलों में 621 मरीजों की जान गई। इस दौरान जेई से पीड़ित 410 मरीजों में से 73 ने दम तोड़ दिया।

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