CM योगी ने मुलायम सिंह यादव को पुष्प अर्पित कर दी श्रद्धांजलि, अंतिम दर्शन के लिए उमड़ा जनसैलाब

Edited By Ramkesh,Updated: 10 Oct, 2022 07:21 PM

cm yogi reached saifai paid floral tribute to netaji

भारतीय राजनीति में जमीनी नेताओं में शुमार ‘धरतीपुत्र' और ‘नेताजी' का उपनाम पाने वाले मुलायम सिंह यादव का निधन मेदांता के अस्पताल में इलाज के दौरान निधन हो गया है। मुलायम सिंह यादव का  पार्थिव शरीर उनके पैतृक गांव सैफई पहुंच गया है। सीएम योगी भाजपा...

लखनऊ: भारतीय राजनीति में जमीनी नेताओं में शुमार ‘धरतीपुत्र' और ‘नेताजी' का उपनाम पाने वाले मुलायम सिंह यादव का निधन मेदांता के अस्पताल में इलाज के दौरान निधन हो गया है। मुलायम सिंह यादव का  पार्थिव शरीर उनके पैतृक गांव सैफई पहुंच गया है। सीएम योगी भाजपा के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष और सरकार में मंत्री स्वतंत्रदेव सिंह ने उनके पैतृक गांव श्रद्धांजलि देने के लिए पहुचे। कई दिग्गज नेताओं ने ट्वीट कर उनके निधन पर शोक जताया है।

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जसवंतनगर विधानसभा सीट से पहली बार विधायक बने थे मुलायम सिंह यादव 
मुलायम सिंह यादव का उनके गृह राज्य उत्तर प्रदेश में उनकी खांटी राजनीति के कारण ‘धरती पुत्र' की संज्ञा दी जाती है। उत्तर प्रदेश में मुलायम सिंह से जुड़े कई किस्से मशहूर हैं। 22 नवंबर, 1939 को इटावा के सैफई में जन्मे मुलायम सिंह यादव के पिता एक पहलवान थे और मुलायम सिंह को भी वह पहलवान बनाना चाहते थे। हालांकि मुलायम सिंह पहलवानी के कारण ही राजनीति में आए। दरअसल मुलायम सिंह यादव के राजनैतिक गुरु नत्थूसिंह मैनपुरी में आयोजित एक कुश्ती प्रतियोगिता के दौरान मुलायम से काफी प्रभावित हुए और फिर यहीं से मुलायम सिंह यादव का राजनैतिक करियर शुरु हो गया। मुलायम सिंह यादव साल 1967 में इटावा की जसवंतनगर विधानसभा से पहली बार चुनाव जीतकर विधानसभा में पहुंचे थे। बता दें कि  मुलायम सिंह यादव अपने पांच भाई-बहनों में रतनसिंह यादव से छोटे व अभयराम सिंह यादव, शिवपाल सिंह यादव, राजपाल सिंह और कमला देवी से बड़े हैं। प्रोफेसर रामगोपाल यादव इनके चचेरे भाई हैं।। राजनीति में आने से पूर्व मुलायम सिंह यादव आगरा विश्वविद्यालय से राजनीति विज्ञान में स्नातकोत्तर (एम०ए०) और बी० टी० करने के उपरान्त इन्टर कालेज में प्रवक्ता नियुक्त हुए और सक्रिय राजनीति में रहते हुए नौकरी से त्यागपत्र दे दिया।

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राजनीतिक जीवन
मुलायम सिंह उत्तर भारत के बड़े समाजवादी और किसान नेता रहे। एक साधारण किसान परिवार में जन्म लेने वाले मुलायम सिंह ने अपना राजनीतिक जीवन उत्तर प्रदेश में विधायक के रूप में शुरू किया। बहुत कम समय में ही मुलायम सिंह का प्रभाव पूरे उत्तर प्रदेश में नज़र आने लगा। मुलायम सिंह ने यूपी में अन्य पिछड़ा वर्ग समाज का सामाजिक स्तर को ऊपर करने में महत्वपूर्ण कार्य किया। समाजवादी नेता रामसेवक यादव के प्रमुख अनुयायी (शिष्य) थे और इन्हीं के आशीर्वाद से मुलायम सिंह 1967 में पहली बार विधान सभा के सदस्य चुने गये और मन्त्री बने।

मुलायम सिंह यादव ने 1992 में समजावादी पार्टी का गठन किया
 मुलायम सिंह यादव ने 1992 में समाजवादी पार्टी बनाई। वे तीन बार क्रमशः 5 दिसम्बर 1989 से 24 जनवरी 1991 तक, 5 दिसम्बर 1993 से 3 जून 1996 तक और 29 अगस्त 2003 से 11 मई 2007 तक उत्तर प्रदेश के मुख्य मन्त्री रहे। इसके अतिरिक्त वे केन्द्र सरकार में रक्षा मन्त्री भी रह चुके हैं। उत्तर प्रदेश में यादव समाज के सबसे बड़े नेता के रूप में मुलायम सिंह की पहचान रही है। उत्तर प्रदेश में सामाजिक सद्भाव को बनाए रखने में मुलायम सिंह ने साहसिक योगदान किया। मुलायम सिंह की पहचान एक धर्मनिरपेक्ष नेता की है। उत्तर प्रदेश में उनकी पार्टी समाजवादी पार्टी को सबसे बड़ी पार्टी माना जाता है। उत्तर प्रदेश की सियासी दुनिया में मुलायम सिंह यादव को प्यार से नेताजी कहा जाता है।

2012 में समाजवादी पार्टी की पूर्ण बहुमत की सरकार बनी
2012 में समाजवादी पार्टी को उत्तर प्रदेश के विधान सभा चुनाव में पूर्ण बहुमत मिला। यह पहली बार हुआ था कि उत्तर प्रदेश में सपा अपने बूते सरकार बनाने की स्थिति में थी। नेता जी के पुत्र और सपा के प्रदेश अध्यक्ष अखिलेश यादव ने बसपा की सरकार के खिलाफ भ्रष्टाचार का मुद्दा जोर शोर से उठाया और प्रदेश के सामने विकास का एजेंडा रखा। अखिलेश यादव के विकास के वादों से प्रभावित होकर पूरे प्रदेश में उनको व्यापक जनसमर्थन मिला। चुनाव के बाद नेतृत्व का सवाल उठा तो नेताजी ने वरिष्ठ साथियों के विमर्श के बाद अखिलेश यादव को उत्तर प्रदेश का मुख्यमंत्री बनाया।

मुलायम सिंह यादव1996 में बने थे रक्षा मंत्री
केंद्रीय राजनीति में मुलायम सिंह का प्रवेश 1996 में हुआ, जब कांग्रेस पार्टी को हरा कर संयुक्त मोर्चा ने सरकार बनाई। एच. डी. देवेगौडा के नेतृत्व वाली इस सरकार में वह रक्षामंत्री बनाए गए थे, किंतु यह सरकार भी ज़्यादा दिन चल नहीं पाई और तीन साल में भारत को दो प्रधानमंत्री देने के बाद सत्ता से बाहर हो गई। 'भारतीय जनता पार्टी' के साथ उनकी विमुखता से लगता था, वह काँग्रेस के नज़दीक होंगे, लेकिन 1999 में उनके समर्थन का आश्वासन ना मिलने पर काँग्रेस सरकार बनाने में असफल रही और दोनों पार्टियों के संबंधों में कड़वाहट पैदा हो गई। 2002 के उत्तर प्रदेश विधान सभा चुनाव में समाजवादी पार्टी ने 391 सीटों पर अपने उम्मीदवार खड़े किए, जबकि 1996 के चुनाव में उसने केवल 281 सीटों पर ही चुनाव लड़ा था।

नेताजी पर लगे आरोप
वीएचपी के आह्वान पर 30 अक्तूबर 1990 को लाखों कारसेवक अयोध्या में इकट्ठा हुए थे। उनका उद्देश्य था कि विवादित स्थल पर मस्जिद को तोड़कर मंदिर का निर्माण किया जाए। उस समय उत्तर प्रदेश में मुलायम सिंह यादव की सरकार थी। आरोप है कि उन्होंने  अयोध्या में कारसेवक पर गोली चलाने का आदेश दे दिया। इस घटना में कई लोगों की मौत हो गई। मामले में केन्द्र सरकार ने जांच के आदेश दिए तो 15 से 20 लोगों की मौत की बात स्वीकार की थी। फिलहाल मुलायम सिंह की मौत पर समाजवादी पार्टी समेत देश भर के नेताओं ने गहरा दुख व्यक्त किया है। 

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