Edited By Tamanna Bhardwaj,Updated: 21 Dec, 2018 06:38 PM
आज मंदिर-मस्जिद को लेकर समाज दो धड़ों में बट गया है, लेकिन समाज में आज भी कुछ ऐसे लोग हैं जो धर्म भावना से ऊपर उठकर सौहार्द की मिसाल कायम करते दिखाई दे रहे हैं। इसकी ताजा उदाहरण मेरठ में देखने को मिली है...
मेरठः आज मंदिर-मस्जिद को लेकर समाज दो धड़ों में बट गया है, लेकिन समाज में आज भी कुछ ऐसे लोग हैं जो धर्म भावना से ऊपर उठकर सौहार्द की मिसाल कायम करते दिखाई दे रहे हैं। इसकी ताजा उदाहरण मेरठ में देखने को मिली है। जहां एक मुस्लिम महिला ने मंदिर निर्माण के लिए भूमि दान देकर संप्रदायिक सौहार्द की मिसाल कायम की है। महिला की इस दरियादिली की क्षेत्र में हर जगह प्रशंसा की जा रही है।
दरअसल, मामला मेरठ-बागपत मार्ग के नजदीक कस्बा सिवालखास है। यहां कुछ दिन पूर्व कस्बे के हिंदू वर्ग के कुछ व्यक्ति कस्बा निवासी रिटायर्ड शिक्षक आस मोहम्मद के घर पहुंचे, लेकिन वह घर पर मौजूद नहीं थे। वहीं इस दौरान उनकी पत्नी अकबरी के आगे अपनी भूमि दान करने का प्रस्ताव रखा। इसके बाद अकबरी ने अपने पति से इस बारे में विमर्श किया तो उन्होंने पत्नी की भावनाओं का सम्मान रखते हुए सहमति जता दी। बस फिर क्या था अकबरी ने मंदिर निर्माण के लिए खून पसीने की कमाई से खरीदी गई 100 गज भूमि मंदिर के लिए हिन्दू भाइयों को दान दे दी।
इस संबंध में अकबरी ने बताया कि वह अपने धर्म में पूरी तरह विश्वास रखती हैं। वहीं, दूसरे धर्मों की भी इज्जत करती है। उन्हें खुदा ने सब कुछ दिया है। उनका परिवार समय-समय पर मस्जिदों के लिए दान देता है। पहली बार उनके पास कोई मंदिर निर्माण के लिए दान मांगने आया तो उन्होंने मंदिर के लिए भूमि दे दी।
ऐसे में सांप्रदायिक सौहार्द की मिसाल कायम करने वाली इस महिला से सभी को सीख लेनी चाहिए कि सभी एक-दूसरे के धर्मो का सम्मान करें। आपस में कोई बैर न करें, क्योंकि कोई भी मजहब आपस में बैर रखना नहीं सिखाता।