​चर्चित बिकरू कांड में  23 अभियुक्तों को 10-10 साल की सजा, 70 आरोपी दोषमुक्त

Edited By Ramkesh,Updated: 05 Sep, 2023 06:00 PM

23 accused sentenced to 10 10 years in the famous bikeru case

चर्चित बिकरू कांड (Bikru case) मामले में लंबी लड़ाई के बाद कोर्ट ने 23 अभियुक्तों को 10-10 साल की सजा और 50- 50 हजार रुपए का जुर्माना भी लगाया, जबकि 70 आरोपियों को दोषमुक्त कर दिया है। गैंगस्टर मामले में आरोपी गुड्डन त्रिवेदी सहित सात आरोपी भी बरी...

कानपुर: चर्चित बिकरू कांड (Bikru case) मामले में लंबी लड़ाई के बाद कोर्ट ने 23 अभियुक्तों को 10-10 साल की सजा और 50- 50 हजार रुपए का जुर्माना भी लगाया, जबकि 70 आरोपियों को दोषमुक्त कर दिया है। गैंगस्टर मामले में आरोपी गुड्डन त्रिवेदी सहित सात आरोपी भी बरी हो गए है। बता दें कि दो 2 जुलाई 2020 बीच की रात को कानपुर में विकास दुबे और उसके गैंग के साथ मुठभेड़ में आठ पुलिसकर्मियों की मृत्यु हो गई। इसमें एक पुलिस उपाधीक्षक भी शामिल थे। इस मामले में उत्तर प्रदेश पुलिस ने चार जुलाई को चौबेपुर थाने के प्रभारी को निलंबित कर दिया। इसी दिन अधिकारियों की टीम ने गांव में पहुंचकर गैंगस्टर के घर को ढहाना शुरू कर दिया। पुलिस ने दुबे के साथी दया शंकर अग्निहोत्री को कल्याणपुर(कानपुर) से गिरफ्तार कर लिया। अग्निहोत्री को मुठभेड़ के बाद पांच जुलाई को तड़के गिरफ्तार किया गया। पुलिस ने अग्निहोत्री के पैर में गोली मारी थी। उस पर 25 हजार रुपए का इनाम था।

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न्यायिक आयोग (Judicial Commission) की 132 पन्नों की जांच रिपोर्ट (Investigation Report) में चौंकाने वाली जानकारियां सामने आई हैं। आयोग ने बिकरू कांड के लिए निलंबित डीआइजी अनंत देव (DIG Anant Dev) के अलावा शहीद सीओ (CO) को भी दोषी माना है। ​तत्कालीन DIG अनंतदेव समेत 12 डिप्टी एसपी दोषी पाए गए हैं। इसमें अनंतदेव ने ये भी कबूल कर लिया है कि वे विकास दुबे (Vikas dubey) के खजांची जय बाजपेई (cashier jai bajpai) को जानते थे। आरोप है कि जय बाजपेई ने ही विकास तक रुपए और असलहा पहुंचाने में मदद की थी। हालांकि, अनंतदेव ने विकास दुबे से सीधे पहचान होने से इंकार कर दिया था।

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बिकरू कांड की जांच में डीआईजी अनंत देव सहित 13 पुलिसकर्मी दोषी
बता दें कि इससे पहले भी एसआईटी (SIT) की जांच में पुलिस विभाग के अफसरों की विकास दुबे से मिलीभगत और लापरवाही का जिक्र किया गया है। वहीं पूर्व जस्टिस डॉ बीएस चौहान की अध्यक्षता में बने न्यायिक आयोग ने डीआईजी अनंत देव सहित 13 राजपत्रित पुलिसकर्मियों को दोषी ठहराया है। आयोग ने अपनी जांच में डीआईजी अनंत देव, डीएसपी सूक्ष्म प्रकाश, आरके चतुर्वेदी, करुणा शंकर राय, पासपोर्ट नोडल अफसर अमित कुमार, नंदलाल प्रताप, हरेंद्र कुमार, सुंदरलाल,  प्रेम प्रकाश, रामप्रकाश, सुभाष चंद्र और लक्ष्मी निवास दोषी पाया गया था।

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 विकास दुबे को सहयोग देते रहे कर्मचारी
आयोग ने जांच में ये कहा है कि इन अधिकारियों और कर्मचारियों ने विकास दुबे के साथ नरमी बरती। उसे सहयोग देते रहे। आयोग की जांच में ये भी सामने आया कि विकास दुबे पर दर्ज केसों में से 21 केसों की फाइलें लापता है। इनमें से 11 फाइलें कानपुर देहात के शिवली थाने की है, 4 फाइलें कानपुर के कल्याणपुर थाने की, 5 चौबेपुर की और 1 बिल्हौर की फाइल शामिल है। इन 21 फाइलों में विकास पर 1991 में दर्ज किए गए पहले मुकदमे की फाइल भी शामिल रहे।

अफसरों के इन कृत्यों से पुलिस विभाग की छवि धूमिल' का आरोप 
जांच रिपोर्ट में न्यायिक आयोग ने लिखा है कि अफसरों के इन कृत्यों से पुलिस विभाग की छवि धूमिल हुई है। वहीं, शासन की विश्वसनीयता प्रभावित हुई है। इसीलिए सभी पर अखिल भारतीय सेवाएं आचरण सेवा नियमावली-1968 और उत्तर प्रदेश सरकारी कर्मचारी आचरण नियमावली 1956 के तहत कार्रवाई की संस्तुति की गई की गई थी।

34 आरोपियों पर पुलिस ने की थी गैंगस्टर के तहत कार्रवाई
बिकाऊ कांड की जांच के लिए गठित न्यायिक आयोग की रिपोर्ट को हाल ही में विधानसभा में रखा गया। बिकरू कांड में 34 आरोपियों पर पुलिस ने गैंगस्टर की कार्रवाई की थी। फिलहाल अब इस मामले में 23 अभियुक्तों को 10-10 साल की सजा और 50- 50 हजार रुपए का जुर्माना कोर्ट ने लगाया है। जबकि साक्ष्य के अभाव में  70 आरोपी को दोषमुक्त कर दिया है। 

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