यूपी चुनाव पर खास असर डालेंगे ये चुनावी नतीजे

Edited By ,Updated: 20 May, 2016 02:47 PM

up polls these elections will have little effect on

असम, पश्चिम बंगाल, तमिलनाडु, केरल और पुडूचेरी में आए चुनाव नतीजों के बाद अब इसका खास असर आगामी विधानसभा में देखने को मिलेगा।

लखनऊ: असम, पश्चिम बंगाल, तमिलनाडु, केरल और पुडूचेरी में आए चुनाव नतीजों के बाद अब इसका खास असर आगामी विधानसभा में देखने को मिलेगा। यूपी के चुनावी समर की रणनीति बनाने से लेकर चुनाव प्रचार तक में इन नतीजों का असर दिखेगा। बिहार चुनाव के नतीजों से हतोत्साहित भाजपाइयों के लिए ये नतीजे ऑक्सीजन का काम करेंगे तो कांग्रेसियों के लिए चुनौती बढ़ाने वाले और चेतावनी के साथ सबक देने वाले रहे हैं। बंगाल व तमिलनाडु में ममता व जयललिता की वापसी को सपा व बसपा क्षेत्रीय दलों का उभार मानकर उत्साहित हो सकती है लेकिन नतीजे इन्हें भी अपनी रीति-नीति में बदलाव लाने के लिए आगाह कर रहे हैं।राजनीति शास्त्रियों व वरिष्ठ पत्रकारों का मानना है कि भले ही पुडुचेरी में द्रमुक व कांग्रेस जीत गई हो लेकिन यह बात बिल्कुल साफ हो गई है कि पूरे देश में कांग्रेस विरोधी हवा तेज होती जा रही है। मतदाताओं में कांग्रेस को लेकर नाराजगी इतनी ज्यादा है कि कांग्रेस के साथ रहने वालों को भी खामियाजा भुगतना पड़ सकता है।

 
कांग्रेस का साथ लिया तो भुगतना पड़ेगा खामियाजा
तमिलनाडु और पश्चिम बंगाल के नतीजे इसका प्रमाण हैं। दोनों ही जगह क्रमश: द्रमुक और वामपंथी दलों को कांग्रेस के साथ का नुकसान भुगतना पड़ा है। केरल में वाममोर्चा की जीत हुई है लेकिन यहां कांग्रेस से मुकाबला था। जाहिर है कि इन नतीजों ने उप्र में कांग्रेस की मुश्किलें बढ़ा दी हैं। उन्हें चुनाव मैदान में उतरने के लिए इन राज्यों में पराजय के प्रभाव को कम करने के लिए तर्क तलाशने होंगे। जो काफी मुश्किल होगा। यही नहीं, कांग्रेस को उत्तर प्रदेश में गठबंधन के लिए साथियों की तलाश भी मुश्किल होगी। सपा और बसपा जैसे दल भविष्य में कांग्रेस से और दूरी बनाते दिख सकते हैं। उप्र में कांग्रेस के साथ मिलकर चुनाव लडऩे की सोच रहे जनता दल (यू) को भी अपनी रणनीति पर पुनर्विचार के लिए विवश होना पड़ सकता है। रालोद जैसे दल भी अब शायद ही कांग्रेस के साथ खड़े होकर लडऩे की सोचें।
 
असम में जीत से भाजपा को मिली ताकत
इन नतीजों के बाद भाजपा नेता अब ज्यादा ताकत और भरोसे के साथ जनता के बीच कांग्रेस मुक्त भारत का नारा बुलंद कर सकेंगे। वे असम, बंगाल, केरल और तमिलनाडु का उदाहरण देकर कह सकेंगे कि देखो सभी जगह कांग्रेस साफ हो रही है। तुष्टीकरण नीति के बावजूद असम जैसे उस राज्य में भी सफल नहीं हो पाई जहां देश के किसी भी राज्य की तुलना में सबसे ज्यादा 30 प्रतिशत से ज्यादा मुस्लिम हैं।
 
उप्र में किसी चेहरे पर चुनाव लड़ सकती है भाजपा
दिल्ली में मिली भारी पराजय के बाद राज्यों के चुनाव में भावी मुख्यमंत्री का चेहरा घोषित करने से बचती आ रही भाजपा इन नतीजों के बाद उप्र में चेहरे के प्रयोग पर आगे बढ़ सकती है। भाजपा के अंदर से भी चेहरा आगे करके चुनाव लडऩे की आवाज उठ सकती है।
 
बंगाल-तमिलनाडु चुनाव नतीजों से बसपा-सपा में बढ़ा उत्साह
तृणमूल कांग्रेस की बंगाल में तो अन्नाद्रमुक की तमिलनाडु में सत्ता में वापसी सूबे के सपा और बसपा जैसे क्षेत्रीय दलों का हौसला बढ़ाने वाली है। तमिलनाडु और पश्चिम बंगाल के नतीजों के बाद यूपी के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव की सत्ता में फिर वापसी के दावे को ताकत मिल सकती है। पर, उन्हें यह याद रखना होगा कि जयललिता व ममता की वापसी सिर्फ एक्सप्रेस वे, बड़े-बड़े पार्क व स्टेडियम के निर्माण तथा किसी वर्ग को विशेष सुविधाएं देने की बदौलत ही नहीं हुई है। इसलिए अखिलेश को भी वापस आने के लिए अपनी और अपने सरकार की कार्यशैली सुधारनी होगी। 

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