PK से डरे मुलायम! सताने लगा मुस्लिम वोट बैंक खिसकने का डर?

Edited By ,Updated: 28 Apr, 2016 05:44 PM

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आगामी विधानसभा का चुनाव जैसे-जैसे नजदीक आ रहा है वैसे-वैसे सत्तारूढ़ समाजवादी पार्टी की बेचैनी बढ़ती जा रही है।

लखनऊ: आगामी विधानसभा का चुनाव जैसे-जैसे नजदीक आ रहा है वैसे-वैसे सत्तारूढ़ समाजवादी पार्टी की बेचैनी बढ़ती जा रही है। उसे प्रदेश से सत्ता जाने का डर अभी से सताने लगा है क्योंकि समाजवादी पार्टी का परंपरागत वोट माने जाने वाले मुस्लिम उनसे दूर खिसकते नजर आ रहे हैं। वहीं दूसरी तरफ कांग्रेस के चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर द्वारा अल्पसंख्यक वोट बैंक पर बनाई जा रही रणनीति और बसपा सुप्रीमो मायावती के मुस्लिम कार्ड खेलने की वजह से सपा खेमे में बेचैनी साफ़ देखने को मिल रही है। इतना ही नहीं सपा सुप्रीमो मुलायम सिंह को डर है कि बसपा भी इस बार तीन दशकों से अधिक समय तक पार्टी का मजबूत वोट बैंक रहे मुसलमानों को अपने तरफ कर सकती है। 
 
मुसलमानों को लेकर प्रशांत किशोर की रणनीति
गौरतलब है कि प्रशांत किशोर ने दलितों और मुसलमानों को लेकर नई रणनीति पर काम कर रहे हैं। इसी को लेकर अगले माह से कांग्रेस एक अभियान भी चला सकती है। इसी क्रम में गुरुवार को सिराज मेहंदी ने अल्पसंख्यक प्रकोष्ठ में कई बदलाव भी किये। यही वजह है कि अब खुद सपाई ही इसकी आशंका जताने लगे हैं। उन्हें डर है कि आगामी विधानसभा चुनाव में कांग्रेस और बसपा, सपा के मजबूत मुस्लिम वोट बैंक में सेंध लगा सकती हैं। 
 
डरी समाजवादी पार्टी ने मुलायम को बताया मुसलमानों को सच्चा मसीहा
इसकी पहली बानगी देखने को मिली सपा कार्यालय द्वारा जारी की गई एक प्रेस विज्ञप्ति में. विज्ञप्ति में समाजवादी पार्टी के प्रदेश प्रवक्ता राजेन्द्र चौधरी ने मुलायम सिंह को मुसलामानों का सच्चा मसीहा बताते नजर आए। उनकी यह वकालत कहीं न कहीं इस ओर इशारा करती है कि मुस्लिम वोट बैंक को लेकर पार्टी में बौखलाहट है। चौधरी ने कहा है कि आजादी के बाद से कई दशकों तक केन्द्र और राज्यों में राज करने वाली कांग्रेस को अब नए-नए इलहाम हो रहे हैं। खुद अपने कर्मों से सवर्ण, दलित और अल्पसंख्यकों के बीच कांग्रेस इसलिए अलोकप्रिय हुई क्योंकि वह इन सबके हितों की उपेक्षा करने लगी थी। आज स्थिति यह है कि केन्द्र से बेदखली झेल रही कांग्रेस की कई राज्यों में भी हालत डांवाडोल है। दलित और अल्पसंख्यक पूरी तरह कांग्रेस को नकार चुके हैं। कांग्रेस को यह समझना चाहिए कि समाजवादी पार्टी के विरुद्ध वह जो अभियान चलाना चाहती है उससे तो सांप्रादायिक तत्वों को ही ताकत मिल सकती है। उसे यह भी बताना होगा कि वह धर्मनिरपेक्षता की पक्षधर है या सांप्रदायिकता का जहर फैलाकर समाज को तोडऩे वालों के साथ है।
 
राजेंद्र चौधरी ने आगे कहा कि थकी-हारी और निराश कांग्रेस के नेताओं को जब और कुछ नहीं सूझा तो वे समाजवादी सरकार पर अंगुली उठाने लगे हैं। जबकि हकीकत यह है कि अल्पसंख्यकों का भरोसा समाजवादी पार्टी और मुलायम सिंह यादव के नेतृत्व पर रहा है। जब कभी अल्पसंख्यकों के हितों पर चोट पहुंची मुलायम ही उनके पक्ष में खुलकर खड़े हुए हैं। जब अयोध्या में बाबरी मस्जिद तोडऩे की साजिश हुई तो मुलायम सिंह यादव ने ही सांप्रदायिक उन्माद का सामना करते हुए मस्जिद को टूटने से बचाया था।
 
जनता में और खासकर अल्पसंख्यको के बीच झूठ बोलकर भ्रम फैलाने में लगे कांग्रेस नेताओं को यह बताने की जरुरत नहीं है कि उर्दू को प्रदेश में रोजी-रोटी और सम्मान से जोड़कर अल्पसंख्यकों को सरकारी नौकरियों में सबसे ज्यादा भर्तियां समाजवादी सरकार ने ही की है। आज अखिलेश यादव के नेतृत्व में बड़े पैमाने पर अल्पसंख्यकों को उर्दू अनुवादक तथा शिक्षकों के पदों पर भर्ती किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि सच तो यह है कि समाजवादी सरकार बनने के बाद से ही आतंकवादी बताकर किसी अल्पसंख्यक नौजवान को जेल में बंद नहीं किया गया है। बेगुनाह मुस्लिम नौजवानों की रिहाई में भी यह सरकार पीछे नहीं रही है। केन्द्र में कांग्रेस की यूपीए सरकार के रहते सच्चर कमेटी और रंगनाथ मिश्र आयोग बने थे जिनकी सिफारिशें कांग्रेस राज में लागू नहीं हुई। उत्तर प्रदेश में तो मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने अल्पसंख्यकों के हितों का संरक्षण करते हुए कई योजनाएं लागू की है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस को समाजवादी सरकार से कोई सवाल करने से पहले अपने गिरेबां में झांक लेना चाहिए।

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