इस सैनिक का नहीं कोई कसूर फिर भी झेल रहा 26 साल से सजा

Edited By ,Updated: 20 Jan, 2017 03:44 PM

the soldier is not the fault nevertheless faces 26 years imprisonment

एक सेकंड में लेफ्टिनेंट को झूठे आरोपों में फंसाकर गलत तरीके से कोर्ट मार्शल करने और जेल भेजने के मामले में आर्म्ड फोर्सेज ट्रिब्यूनल।

लखनऊ : एक सेकंड में लेफ्टिनेंट को झूठे आरोपों में फंसाकर गलत तरीके से कोर्ट मार्शल करने और जेल भेजने के मामले में आर्म्ड फोर्सेज ट्रिब्यूनल ने केंद्र सरकार और सेना प्रमुख पर 5 करोड़ रुपए का जुर्माना ठोका है। इस सैनिक के जीवन के 26 साल किसी फिल्म की ट्रैजिक स्टोरी से कम नहीं। भारतीय सेना में याची सेकंड लेफ्टिनेंट शत्रुघ्न सिंह चौहान शामिल हुए थे और राजपूत रेजीमेंट में उन्हें कमीशन किया गया। 11 अप्रैल, 1990 को उन्हें कमांडिंग ऑफिसर ने श्रीनगर के लक्ष्मणपुरा बटमालू में घर-घर जाकर आतंकियों के ठिकानों की तलाशी के निर्देश दिए। एक घर में बटमालू मस्जिद के लंगड़े इमाम के पास से सोने के 147 बिस्कुट बरामद किए गए। याची ने इसकी सूचना अपने सीओ को दी। 

नहीं द‌िखाई सोने के ‌स‌िक्कों की बरामदगी  
 याची ने जब सर्च ऑपरेशन के दौरान सोने के 147 बिस्कुट बरामद करने की बात बतानी चाही तो कर्नल केआरएस पंवार और सीओ ने इससे इन्कार कर दिया। इस बरामदगी का कहीं भी उल्लेख नहीं किया गया, न ही किसी नागरिक, सैन्य अधिकारी, सीओ ने इसे पुलिस या कहीं और अपनी शिकायत में दर्ज करवाया। याची ने इस मामले को पार्लियामेंट्री कमेटी में भेजा, जहां सोने के बिस्कुटों की रिकवरी को लेकर याची के हक में निर्णय दिया गया। सेना मुख्यालय ने जांच के आदेश दिए। 

कंबल परेड में पीटते-पीटते कर दिया अधमरा   
याची के अनुसार 13 अप्रैल, 1990 की रात जब वे अपने टेंट में सो रहे थे, तब ले. कर्नल एमएस राव, मेजर मुकेश संगुरी और कैप्टन अनिल हजेला ने उन पर हमला किया, जिसे कंबल परेड कहा जाता है। इसमें याची को बर्फ में चलने वाले जूतों से इतना पीटा गया कि कि वे अचेत हो गए। 

जानलेवा हमला कराया
सेना के अस्पताल से छूटे याची को मार्च 1991 में सेना के मेडिकल बोर्ड के समक्ष प्रस्तुत होना था, लेकिन उन्हें गिरफ्तार करके अप्रैल में श्रीनगर में मेडिकल बोर्ड के समक्ष ले जाया गया। श्रीनगर जाने के दौरान सिपाही सुरेश सिंह ने उन पर एके 47 राइफल से कुछ मीटर की दूरी से गोलियां दागीं। दूसरी ओर प्रतिवादी पक्ष द्वारा कहा गया कि यह याची का आत्महत्या के प्रयास का मामला था। हालांकि कोर्ट मार्शल के दौरान पुत्तु सिंह और सिपाही अजय पाल सिंह ने माना कि उन्हें याची को गोली मारने के आदेश थे। 

कोर्ट मार्शल में मिली थी 7 साल की जेल 
7 जून, 1991 में याची पर कोर्ट मार्शल शुरू हुआ, जबकि वे इसके लिए मानसिक रूप से फिट नहीं थे। याची ने सेना प्रमुख को अपना मामला भेजा, लेकिन इसे ऑफिशिएटिंग कर्नल (प्रशासन) केएस सघू द्वारा सेना प्रमुख की ओर से खारिज कर दिया गया। वहीं 7 अगस्त, 1991 को याची पर 3 आरोपों के साथ कोर्ट मार्शल पूरा किया गया। इसमें उन्हें 7 वर्ष के सश्रम कारावास की सजा सहित सेवा समाप्त करने के आदेश दिए गए। याची को 4 नवंबर, 1991 को श्रीनगर जेल भेजा गया, जहां से 15 नवंबर को सिविल जेल में शिफ्ट करते हुए कानपुर सेंट्रल जेल भेजा गया। 

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