Uttarakhand Election 2022: कुमाऊं में चर्चित सीटों पर अभी भी तस्वीर साफ नहीं

Edited By Nitika,Updated: 13 Feb, 2022 10:31 AM

the picture is still not clear on the popular seats in kumaon

राजनीतिक दलों की ओर से चुनाव प्रचार के अंतिम दिन पूरी ताकत झोंकने के बाद भी उत्तराखंड की हॉट माने जाने वाली खटीमा और लालकुआं सीट पर तस्वीर एकदम स्पष्ट नजर नहीं आ रही है। इससे दलों की बेचैनी बढ़ गई हैं।

 

नैनीतालः राजनीतिक दलों की ओर से चुनाव प्रचार के अंतिम दिन पूरी ताकत झोंकने के बाद भी उत्तराखंड की हॉट माने जाने वाली खटीमा और लालकुआं सीट पर तस्वीर एकदम स्पष्ट नजर नहीं आ रही है। इससे दलों की बेचैनी बढ़ गई हैं।

भाजपा और कांग्रेस दोनों राजनीतिक दलों के मुख्यमंत्रियों के प्रत्याशी कुमाऊं मंडल से भाग्य आजमा रहे हैं। भाजपा प्रत्याशी पुष्कर सिंह धामी अपनी परंपरागत खटीमा सीट से तो कांग्रेस के हरीश रावत अनिच्छा से लालकुआं से चुनावी मैदान में उतरे हैं। रावत को भारी राजनीतिक उठापटक के बाद रामनगर से लालकुआं भेजा गया है। ये उनकी पसंदीदा सीट नहीं है और इसीलिए इस सीट को उनके लिए सुरक्षित नहीं मानी जा रही है। भाजपा के नये प्रत्याशी डॉ. मोहन सिंह बिष्ट से कांग्रेस के चुनाव प्रचार अभियान समिति के प्रमुख हरीश रावत को कड़ी टक्कर मिल रही है। यहां पार्टी के बजाय प्रत्याशी की छवि का लाभ भाजपा को मिल रहा है। दोनों निर्दलीय प्रत्याशियों ने दोनों दलों की मुसीबत बढ़ा रखी है। यहां भाजपा के दो तो कांग्रेस से एक बागी प्रत्याशी मैदान में है। दोनों चुनावी समीकरण को बिगाड़ने का काम कर रहे हैं। इधर मतदाताओं के लिहाज से देखा जाये तो यहां के सामाजिक समीकरण भी किसी के पक्ष में नहीं दिखायी दे रहे हैं। यहां कांग्रेस की परंपरागत माने जाने वाले मतदाताओं की संख्या भी काफी कम है। इसलिये पूर्व मुख्यमंत्री रावत खुद इस सीट से जीत को लेकर आश्वस्त नहीं है।

भाजपा ने भी रावत को एक के बाद एक स्टार प्रचारकों को भेजकर उनकी जबर्दस्त घेरा बंदी कर रखी है। रावत को सभी मोर्चों पर अकेले जूझना पड़ रहा है। दूसरी ओर मुख्यमंत्री धामी की स्थिति भी खटीमा में बहुत अच्छी नहीं मानी जा रही है। भाजपा से ही उन्हें सामना करना पड़ रहा है। वह जीत को लेकर हालांकि आश्वस्त हैं और पूरे प्रदेश में अपने प्रत्याशियों को जिताने के लिए जोर आजमाइश कर रहे हैं और प्रचार में जुटे हैं। अनुसूचित जाति के बड़े नेता के रूप में जाने जाने वाले एवं भाजपा से कांग्रेस में शामिल हुए पूर्व केबिनेट मंत्री यशपाल आर्य की स्थिति भी बाजपुर में किन्तु परंतु पर टिकी है। आम आदमी पार्टी की सुनीता बाजवा ने यहां मुकाबले को त्रिकोणीय बना दिया है। भाजपा के उम्मीदवार को हालांकि यहां बहुत मजबूत नहीं माना जा रहा है। इसी प्रकार कालाढूंगी क्षेत्र से भी भाजपा के पूर्व अध्यक्ष बंशीधर भगत को नाकों चने चबाने पड़ रहे हैं। यहां कांग्रेस ने पहले महेन्द्र पाल को उतार कर भगत को वाक ओवर दे दिया था लेकिन बाद में हुए राजनीतिक घटनाक्रम के बाद गलती सुधारते हुए महेश शर्मा को उम्मीदवार बना दिया।

महेश शर्मा पिछले कई सालों से कालाढूंगी से जुड़े हुए हैं और उन्हें पहली बार कांग्रेस ने अधिकृत प्रत्याशी घोषित किया है। उन्हें इस बार कुछ सिम्पेथी मत मिलने की भी संभावना है। यहां भाजपा प्रत्याशी श्री भगत अंतिम क्षणों में एक कथित ऑडियो के सामने आने के बाद मुसीबत से घिर गए हैं। पार्टी ने हालांकि इसे विरोधियों की साजिश करार दिया है और सरकार बनने पर जांच कर दोषियों को सजा देने की बात कही है। कमोबेश यही स्थिति पूरे मंडल की है। भाजपा ने अंतिम समय में अपने दिग्गज प्रचारकों को उतार कर कुछ हद तक स्थिति को अपने पक्ष में किया है। प्रधानमंत्री नरेद्र मोदी को अंतिम क्षणों में उतार कर भाजपा ने कई सीटों पर निशाना साधने की कोशिश की है। इससे भाजपा को कुछ हद तक लाभ भी होता दिखाई दे रहा है। भाजपा हालांकि कुमाऊं में कई सीटों पर घिरी नजर आ रही है। देखना है कि 10 मार्च को ऊंट किस करवट बैठता है।
 

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