रामनाथ कोविंद: कानपुर के एक छोटे से गांव से राष्ट्रपति बनने तक का सफर

Edited By Punjab Kesari,Updated: 20 Jul, 2017 05:15 PM

ramnath kovind journey small village of kanpur to becoming president

रामनाथ कोविंद देश के 14वें राष्ट्रपति बन गए हैं। रिटर्निंग अफसर अनूप मिश्रा ने कोविंद के चुनाव जीतने का एेलान किया है...

नई दिल्ली/कानपुरः रामनाथ कोविंद देश के 14वें राष्ट्रपति बन गए हैं। रिटर्निंग अफसर अनूप मिश्रा ने कोविंद के चुनाव जीतने का एेलान किया है। इस चुनाव में जहां कोविंद को 66 फीसदी वोट मिले हैं तो वहीं विपक्ष की उम्मीदवार मीरा कुमार को 34 फीसदी वोट मिले हैं। इस शानदार जीत के बाद लोगों में उनके जीवन से जुड़ी अहम बातें जानने के लिए उत्सुकता भी बढ़ गई है। इसलिए आइए हम आपको बताते हैं कि कौन हैं रामनाथ कोविंद और कैसा रहा उनका राष्ट्रपति बनने तक का सफर।

आइए जानते है रामनाथ कोविंद का अब तक का सफर
जन्म और पालन पोषण

देश के 14वें राष्ट्र्रपति रामनाथ कोविन्द का जन्म 1 अक्टूबर 1945 में उत्तर प्रदेश के कानपुर जिले की (वर्तमान में कानपुर देहात जिला), तहसील डेरापुर के एक छोटे से गांव परौंख में हुआ था। उनका सम्बन्ध कोरी या कोली जाति से है जो उत्तर प्रदेश में अनुसूचित जाति के अंतर्गत आती है। भूमिहीन रामनाथ कोविंद के पिता ने एक छोटी सी किराना की दुकान से इन्हें पढ़ाया लिखाया। जब ये 5 वर्ष के थे तब इनके घर में आग लग गई थी, इनकी मां का देहांत आग में जलने से हो गया था, इनके सभी भाई-बहनों का पालन-पोषण इनके पिता ने किया।

वकालत से राजनीति तक का सफर
गवर्नर ऑफ बिहार की वेबसाइट के मुताबिक कोविंद दिल्ली हाई कोर्ट में 1977 से 1979 तक कोविंद केंद्र सरकार के वकील रहे थे। 1980 से 1993 तक केंद्र सरकार के स्टैंडिग काउंसिल में थे। 1994 में कोविंद उत्तर प्रदेश से राज्यसभा के लिए सांसद चुने गए। वह 12 साल तक राज्यसभा सांसद रहे। वे कई संसदीय समितियों के सदस्य भी रहे हैं। 16 साल वकालत करने के बाद उन्होंने राजनीति में पदार्पण किया। इस पृष्‍ठभूमि में जानें उनसे जुड़ी 5 अहम बातें।

सिविल सर्विसेज
कोविंद ने स्‍नातक डिग्री हासिल करने के बाद सिविल सर्विसेस परीक्षा दी। पहले और दूसरे प्रयास में नाकाम रहने के बाद तीसरी बार में उन्‍होंने कामयाबी हासिल की। कोविंद ने आईएएस जॉब इसलिए ठुकरा दिया क्‍योंकि मुख्‍य सेवा के बजाय उनका एलाइड सेवा में चयन हुआ था।

मोरारजी से नाता
वर्ष 1977 में जनता पार्टी की सरकार बनने के बादवे तत्कालीन प्रधानमंत्री मोरार जी देसाई के निजी सचिव भी रहे। बाद में वे बीजेपी से जुड़े। पार्टी की टिकट से वे 2 बार चुनाव भी लड़ चुके हैं, लेकिन दुर्भाग्‍य से दोनों ही बार उन्‍हें हार का सामना करना पड़ा।

बीजेपी से जुड़ाव
कोविंद वर्ष 1991 में बीजेपी में शामिल हुए। पार्टी के प्रवक्‍ता का पद भी उन्‍होंने संभाला है। कोविंद बीजेपी के दलित मोर्चे के राष्‍ट्रीय अध्‍यक्ष का पद भी संभाल चुके हैं। कुष्‍ठ रोगियों के लिए काम करने वाली संस्‍था दिव्‍य प्रेम सेवा मिशन के कोविंद संरक्षक हैं।

राज्‍यसभा से नाता
उच्‍च सदन राज्‍यसभा में 12 वर्ष तक कोविंद बीजेपी का प्रतिनिधित्‍व कर चुके हैं। वर्ष 1994 में पहली बार राज्‍यसभा के लिए चुने गए थे। उनके परिवार में एक पुत्र और एक पुत्री हैं।

बिहार से राज्‍यपाल
2015 में बिहार के राज्‍यपाल चुने गए। इस दौरान राज्‍य के मुख्‍यमंत्री नीतीश कुमार के साथ बेहतर तालमेल रहा। यही वजह रही कि जब एनडीए ने राष्‍ट्रपति पद के लिए कोविंद की उम्‍मीदवारी की घोषणा की तो नीतीश कुमार ने बेझिझक उनको समर्थन देने की घोषणा की।

यूपी से आने वाले पहले राष्ट्रपति कोविंद
बीजेपी दलित मोर्चा और अखिल भारतीय कोली समाज के अध्यक्ष रह चुके कोविंद बीजेपी के राष्ट्रीय प्रवक्ता के तौर पर भी सेवाएं दे चुके हैं। अटल बिहारी वाजपेयी और लालकृष्ण आडवाणी युग के रामनाथ कोविंद उत्तर प्रदेश में बीजेपी के सबसे बड़े दलित चेहरा माने जाते थे। कोविंद उत्तर प्रदेश से आने वाले पहले राष्ट्रपति हैं। कानपुर शहर से 80 किलोमीटर दूर कानपुर देहात के रनौख-परौख जुड़वां गांव हैं। यहीं परौख में जन्मे रामनाथ अब देश की सबसे बड़ी कुर्सी पर विराजमान हैं।
 

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