चारधाम यात्रा को चरणबद्ध तरीके से खोलने पर विचार कर रही उत्तराखंड सरकार

Edited By Nitika,Updated: 03 Jun, 2021 10:24 PM

government considering to open chardham yatra in a phased manner

उत्तराखंड सरकार कोरोना का प्रकोप कम होने तथा कोरोना कर्फ्यू के समाप्त होने के बाद चारधाम यात्रा को चरणबद्ध तरीके से खोलने पर विचार कर रही है।

 

देहरादूनः उत्तराखंड सरकार कोरोना का प्रकोप कम होने तथा कोरोना कर्फ्यू के समाप्त होने के बाद चारधाम यात्रा को चरणबद्ध तरीके से खोलने पर विचार कर रही है।

कोरोना महामारी की दूसरी लहर के कारण पर्यटन उद्योग को हो रही समस्याओं पर चर्चा के लिए मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत से मुलाकात करने के बाद पर्यटन और संस्कृति मंत्री सतपाल महाराज ने बृहस्पतिवार को कहा कि यद्यपि इस संबंध में अभी अंतिम रूप से निर्णय नहीं हुआ है, लेकिन आने वाले हफ्तों में महामारी का प्रकोप अगर कम होता है तो चारधाम यात्रा को चरणबद्ध तरीके से खोलने के बारे में योजना बनाई जा रही है। उन्होंने बताया कि पहले चरण में, चारधाम यात्रा को स्थानीय लोगों के लिए खोला जाएगा, जिसका मतलब है कि चमोली, रूद्रप्रयाग और उत्तरकाशी के जिलों के निवासी इन धामों में जा सकेंगे। बद्रीनाथ, केदारनाथ, गंगोत्री और यमुनोत्री धाम इन्हीं जिलों में स्थित है।

महाराज ने कहा कि अगर पहले चरण में सब कुछ ठीक रहता है तो दूसरे चरण में प्रदेश के अन्य जिलों के लोगों को तीर्थयात्रा की अनुमति दी जाएगी जबकि राज्य के बाहर से आने वाले यात्रियों को कुछ प्रतिबंधों के साथ तीसरे चरण में आने की इजाजत दे दी जाएगी। हालांकि, मंत्री ने कहा, ‘‘सब कुछ कोविड-19 की स्थिति पर निर्भर करेगा। चारधाम यात्रा को चरणबद्ध तरीके से खोलना तभी संभव होगा जब कोरोना वायरस से संक्रमण की दर तथा मृत्यु दर में गिरावट जारी रहेगी और प्रदेश में जारी कोरोना कर्फ्यू समाप्त हो जाएगा।''

उत्तराखंड में इस समय लागू कोरोना कर्फ्यू आठ जून की सुबह छह बजे समाप्त हो रहा है लेकिन इसे चरणबद्ध ढंग से हटाए जाने की संभावना के मद्देनजर अभी कुछ प्रतिबंध जारी रह सकते हैं। चारों हिमालयी धाम अपने पूर्व निर्धारित कार्यक्रम के अनुसार मई में ही नियमित पूजा अर्चना के लिए खुल चुके हैं लेकिन कोविड-19 की दूसरी लहर के चलते तीर्थयात्रियों को इनमें शामिल होने के लिए आने की अनुमति नहीं दी गयी है। महामारी के कारण चारधाम यात्रा पिछले वर्ष भी कई माह देर से शुरू हुई थी और शुरू होने के बाद भी 72 घंटे पूर्व की कोविड जांच रिपोर्ट लाने जैसे कई प्रतिबंधों के चलते तीर्थयात्रियों की संख्या साढे तीन लाख से कुछ ही ज्यादा रही थी। महाराज ने बताया कि उन्होंने पर्यटन उद्योग के लिए एक राहत पैकेज की मांग भी की है जहां कोरोना वायरस की महामारी के कारण लोग आजीविका का संकट झेल रहे हैं। उन्होंने बताया कि कोविड-19 के कारण पर्यटकों की नगण्य संख्या के चलते होटल मालिकों, ढाबा चलाने वालों और वाहन आपरेटरों को जबरदस्त झटका लगा है।

फरवरी-मार्च में महामारी में कुछ कमी आने के बाद पटरी पर लौटने की कोशिश कर रहे मसूरी और नैनीताल के होटलों को हाल में आई महामारी की दूसरी लहर के चलते अपनी लगभग सारी बुकिंग रद्द करनी पड़ी। पर्यटकों के न आने तथा अपनी क्षमता से आधी सवारियां बैठाने के कोविड-19 प्रतिबंधों के कारण वाहन संचालकों को भी नुकसान उठाना पड़ा है। महाराज ने कहा कि मुख्यमंत्री रावत ने राहत पैकेज की मांग पर सकारात्मक रूख दिखाया है और इस संबंध में एक विस्तृत रिपोर्ट प्रस्तुत करने को कहा है।
 

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