पंचेश्वर बांध परियोजना से तीस हजार से अधिक परिवार हो जाएंगे बेघर

Edited By Punjab Kesari,Updated: 12 Jan, 2018 07:59 PM

uttrakhand will see effect on many lives after pancheshwar baandh

भारत-नेपाल सीमा पर काली नदी पर प्रस्तावित पंचेश्वर बांध  परियोजना के निर्माण से उत्तराखंड के तीस हजार से अधिक परिवार और 133 गांव प्रभावित होंगे।

देहरादून/ब्यूरो। भारत-नेपाल सीमा पर काली नदी पर प्रस्तावित पंचेश्वर बांध  परियोजना के निर्माण से उत्तराखंड के तीस हजार से अधिक परिवार और 133 गांव प्रभावित होंगे। इनमें 22 गांवों का अस्तित्व सदा-सदा के लिये खत्म हो जाएगा और विस्थापन की बड़ी समस्या पैदा होगी। केन्द्र सरकार की सलाह पर प्रदेश कैबिटने ने विस्थापन से पैदा हुए हालात से निपटने के लिए एक कमेटी के गठन को हरी झंडी दी है जो पुनर्वास व पुनर्स्थापन की सभी समस्याओं का बारीक अध्ययन करेगी।

 

शुक्रवार को मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट की बैठक में सिंचाई मंत्री की अध्यक्षता में पुनर्वास कमेटी बनाने पर सहमति बनी।इस कमेटी में पेयजल मंत्री, शहरी विकास मंत्री और कृषि मंत्री पदेन सदस्य होंगे। कमेटी की पहली बैठक 20 जनवरी को पिथौरागढ़ में प्रस्तावित निर्माण स्थल पर होगी।

 

 

शुक्रवार को इस बात की जानकारी देते हुए शासकीय प्रवक्ता और शहरी विकास मंत्री मदन कौशिक ने बताया कि अति महत्वाकांक्षी इस परियोजना को लेकर केन्द्र सरकार ने कुछ सुझाव दिये हैं। ये सुझाव पुनर्वास व मुआवजे को  लेकर है। शुक्रवार को गठित की गयी कमेटी उन सुझावों के साथ ही स्थानीय जरूरतों और बुनियादी दिक्कतों के देखते हुए अपनी रिपोर्ट तैयार करेगी।उस रिपोर्ट को केन्द्र सरकार को भेजा जाएगा।

 

केन्द्र सरकार की ओर से यथासंशोधित होने के बाद रिपोर्ट के अनुसार पुनर्वास को लेकर नीतियां बनेगी। मंत्री कौशिक ने बताया कि पंचेश्वर बांध से उत्तराखंड खासकर पिथौरागढ़ में 31023 परिवार प्रभावित होंगे। 22 गांवों का अस्तित्व पूरी तरह खत्म हो जाएगा और 122 गांव आंशिक रूप से प्रभावित होंगे। इतने लोगों का विस्थापन और उनका पुनर्वास वास्तव में एक बड़ी समस्या होगी जिसका समय रहते निस्तारण आवश्यक है।

 

क्या होगा बांध का स्वरूप
पंचेश्वर बांध का निर्माण काली नदी पर प्रस्तावित है। इसमें नेपाल का भी हिस्सा है। यह उत्तराखंड के पिथौरागढ़, चंपावत और अल्मोड़ा के कुछ हिस्से को कवर करेगा। 1954 में पहली बारपंडित जवाहर लाल नेहरू ने इसकी बात कही थी। अब बांध का निर्माण शुरू होने वाला है।

 

इसकी डिटेल प्रॉजेक्ट रिपोर्ट के मुताबिक वर्ष2018 में बांध का काम शुरू हो जाएगा और साल 2026 तक काम पूरा करके बांध में पानी भरना शुरू हो जाएगा। पानी पूरा भरने में 2साल लगेंगे और 2028 तक यह पूरा हो जाएगा। पंचेश्वर बांध के साथ ही एक और छोटा बांध रुपाली गाड़ बांध भी बनना है। इस बांध के निर्माण पर 22 हजार करोड़ रुपये से अधिक का खर्च आयेगा। यह संसार का दूसरा सबसे ऊंचा बांध होगा और छह हजार मेगावाट विद्युत निर्माण प्रस्तावित है।

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