Edited By Nitika,Updated: 28 Nov, 2021 05:22 PM
राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने योग और आयुर्वेद जैसे प्राचीन भारतीय ज्ञान के देश विदेश में नये सिरे से परिभाषित करने में पतंजलि योगपीठ के योगदान की सराहना करते हुए कहा कि इसने किसी समय तपस्वियों और संन्यासियों का विषय समझे जाने वाले योग को जन-जन तक आसान...
हरिद्वारः राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने योग और आयुर्वेद जैसे प्राचीन भारतीय ज्ञान के देश विदेश में नये सिरे से परिभाषित करने में पतंजलि योगपीठ के योगदान की सराहना करते हुए कहा कि इसने किसी समय तपस्वियों और संन्यासियों का विषय समझे जाने वाले योग को जन-जन तक आसान ढंग से पहुंचा दिया है।
कोविंद ने यहां पतंजलि विश्वविद्यालय के नवनिर्मित परिसर के उद्घाटन एवं प्रथम दीक्षांत समारोह को संबोधित करते हुए यह बात कही। समारोह में उत्तराखंड के राज्यपाल लेफ्टिनेंट जनरल (सेवानिवृत्त) गुरमीत सिंह, मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी, राज्य के उच्च शिक्षा मंत्री डॉ. धन सिंह रावत भी उपस्थित थे। पतंजलि विश्वविद्यालय के कुलाधिपति स्वामी रामदेव, कुलपति आचार्य बालकृष्ण और कुलानुशासिका साध्वी देवप्रिया भी मंच पर मौजूद थी।
राष्ट्रपति ने विश्वविद्यालय से स्नातक, स्नातकोत्तर एवं पीएचडी की उपाधियां हासिल करने वाले करीब 700 छात्र-छात्राओं को उपाधियां प्रदान की और अनेक विद्यार्थियों को स्वर्ण पदक हासिल करने को पदक प्रदान किए तथा उनका आह्वान किया कि वे स्वाध्याय में आलस्य एवं प्रमाद छोड़कर अनामय कोश, मनोमय कोश और प्राणमय कोश को जाग्रत करें और विज्ञानमय कोश एवं आनंदमय कोश की यात्रा पर आगे बढ़ें। वे करुणा एवं सेवा के आदर्श में चरित्र को ढाल कर समाज सेवा करें।