Edited By Tamanna Bhardwaj,Updated: 11 Sep, 2022 11:02 AM
उत्तर प्रदेश में शराब सहित अन्य मादक पदार्थों के अवैध कारोबार पर योगी सरकार की सख्त कारर्वाई के बाद एल्किोहल आधारित उत्पादों के कारोबार में तीव्र उछाल आने का दावा करते हुए राज्य सरका...
लखनऊ: उत्तर प्रदेश में शराब सहित अन्य मादक पदार्थों के अवैध कारोबार पर योगी सरकार की सख्त कारर्वाई के बाद एल्किोहल आधारित उत्पादों के कारोबार में तीव्र उछाल आने का दावा करते हुए राज्य सरकार ने कहा है कि शराब के कारोबार में उत्तर प्रदेश ने गोवा और आंध्र प्रदेश को भी पीछे छोड़ दिया है। आबकारी विभाग द्वारा रविवार को दी गयी जानकारी के अनुसार शराब माफिया और सिंडिकेट की कमर तोड़ने के लिये योगी सरकार द्वारा चलाये जा रहे राज्यव्यापी अभियान के फलस्वरूप अब ‘डिस्टलरी उद्योग' ने रफ्तार पकड़ ली है।
विभाग का दावा है कि नशे के अवैध कारोबार पर नकेल कसने के बाद प्रदेश में 18 कंपनियों ने डिस्टलरी क्षेत्र में निवेश किया है। इनमें से तीन इकाईयों ने उत्पादन शुरू कर दिया है और 15 अन्य कंपनियों को डिस्टलरी लगाने की अनुमति दी जा चुकी है। विभाग के आंकड़ों के मुताबिक पिछले पांच वर्षों में डिस्टलरी क्षेत्र में राज्य में 9000 करोड़ रुपए का निवेश हुआ है। इससे 60 हजार से अधिक लोगों को रोजगार के नये अवसर मिले। राज्य में अल्कोहल उत्पादों का उत्पादन दोगुने से अधिक हो गया है। चालू वित्त वर्ष में 170 करोड़ बल्क लीटर से अधिक अल्कोहल उत्पादों के उत्पादन की संभावना है। इसके फलस्वरूप आबकारी राजस्व में दोगुने से अधिक का इजाफा होने के साथ ही राज्य सरकार का आबकारी राजस्व 17 हजार करोड़ रुपये से बढ़कर 36 हजार करोड़ रुपए हो गया है।
इसके साथ ही शराब के निर्यात, निवेश और रोजगार में बढ़ोतरी के फलस्वरूप उत्तर प्रदेश डिस्टलरी हब बनने की ओर अग्रसर हो गया है। विभाग का दावा है कि राज्य को एक ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बनाने के लक्ष्य को पाने में डिस्टलरी उद्योग सहायक साबित होगा।