अविवाहित बेटियों को माता-पिता से गुजारा भत्ता पाने का अधिकार- HC ने दिया आदेश

Edited By Ramkesh,Updated: 18 Jan, 2024 08:16 PM

unmarried daughters have the right to receive maintenance from their parents

इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने व्यवस्था दी है कि कुंवारी बेटियों को, धर्म और उम्र के निरपेक्ष, घरेलू हिंसा कानून के तहत अपने माता-पिता से गुजारा भत्ता हासिल करने का अधिकार है। न्यायमूर्ति ज्योत्स्ना शर्मा ने नईमुल्लाह शेख और एक अन्य व्यक्ति की याचिका...

प्रयागराज: इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने व्यवस्था दी है कि कुंवारी बेटियों को, धर्म और उम्र के निरपेक्ष, घरेलू हिंसा कानून के तहत अपने माता-पिता से गुजारा भत्ता हासिल करने का अधिकार है। न्यायमूर्ति ज्योत्स्ना शर्मा ने नईमुल्लाह शेख और एक अन्य व्यक्ति की याचिका खारिज करते हुए कहा कि इस बात में कोई संदेह नहीं है कि अविवाहित बेटियां, चाहे वे हिंदू हों या मुस्लिम अथवा उनकी उम्र चाहे जो हो, गुजारा भत्ता हासिल करने की हकदार हैं। अदालत ने कहा कि हालांकि जब मुद्दा केवल गुजारा भत्ता से जुड़ा न हो तो पीड़ित व्यक्ति को घरेलू हिंसा कानून की धारा 20 के तहत स्वतंत्र अधिकार उपलब्ध हैं।

मौजूदा मामले में एक पिता ने अपनी अविवाहित बेटियों को गुजारा भत्ता दिये जाने के निचली अदालत के आदेश को चुनौती दी थी। नईमुल्लाह की तीन बेटियों ने घरेलू हिंसा कानून के तहत गुजारा भत्ता के दावे के साथ एक मामला दर्ज कराया था और आरोप लगाया था कि उनके पिता और सौतेली मां उनका उत्पीड़न करते हैं। निचली अदालत ने अंतरिम भरण-पोषण भत्ते का आदेश दिया था, जिसके खिलाफ प्रतिवादियों ने अपील की थी। प्रतिवादियों की दलील थी कि उनकी बेटियां वयस्क हैं और वित्तीय रूप से स्वावलंबी हैं।

 अदालत ने 10 जनवरी, 2024 को याचिकाकर्ता की यह दलील खारिज कर दी कि बेटियां वयस्क होने के नाते गुजारा भत्ते का दावा नहीं कर सकतीं। अदालत ने कहा, “घरेलू हिंसा कानून का लक्ष्य महिलाओं को अधिक प्रभावी संरक्षण उपलब्ध कराना है। गुजारा भत्ता हासिल करने का वास्तविक अधिकार अन्य कानून से निर्गत हो सकता है, हालांकि गुजारा भत्ता प्राप्त करने के लिए त्वरित एवं लघु प्रक्रिया घरेलू हिंसा कानून, 2005 में उपलब्ध कराई गई है।”

याचिकाकर्ता की ओर से दलील दी गई थी कि निचली अदालत इस तथ्य पर विचार करने में विफल रही है कि इन बेटियों के पिता वृद्ध और अशक्त व्यक्ति हैं, जिनके पास आय का कोई स्रोत नहीं है और वह पहले से ही अपनी बेटियों का लालन-पालन करते आ रहे हैं तथा घरेलू हिंसा कानून के तहत गुजारा भत्ता के लिए आवेदन उनके चचेरे भाई की तरफ से कराया गया है।

याचिकाकर्ता ने अपनी दलील में कहा कि उनकी पत्नी की मृत्यु के बाद से उनकी बेटियां उनके साथ रह रही हैं और उनका खर्च भी वह स्वयं वहन कर रहे हैं। याचिकाकर्ता ने कहा कि उनकी बेटियां शिक्षित हैं और ट्यूशन पढ़ाकर आय अर्जित कर रही हैं। उन्होंने सबसे प्रमुख दलील यह दी कि उनकी बेटियां बालिग हैं और इसलिए वे किसी तरह के गुजारा भत्ते का दावा नहीं कर सकतीं।

 

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