श्रृंगार गौरी विवाद: एक बार फिर से ज्ञानवापी में हो सकता है सर्वे, हिन्दू पक्ष रखेगा अदालत से सर्वे और वीडियोग्राफी की मांग

Edited By Khushi,Updated: 17 Sep, 2022 05:31 PM

shringar gauri controversy survey may once again be done in gyanvapi

वाराणसी: ज्ञानवापी श्रृंगार गौरी विवाद मामले में कोर्ट ने 12 सितंबर को मुस्लिम पक्ष की याचिका खारिज करते हुए हिंदू पक्ष की याचिका को सुनने योग्य माना है। इस फैसले से उत्साहित हिंदू पक्ष ज्ञानवापी में एक बार फिर से सर्वे कराने की मांग अदालत से करेगा।

वाराणसी: ज्ञानवापी श्रृंगार गौरी विवाद मामले में कोर्ट ने 12 सितंबर को मुस्लिम पक्ष की याचिका खारिज करते हुए हिंदू पक्ष की याचिका को सुनने योग्य माना है। इस फैसले से उत्साहित हिंदू पक्ष ज्ञानवापी में एक बार फिर से सर्वे कराने की मांग अदालत से करेगा। ये मांग पहले सर्वे के बाद से ही मंदिर पक्ष की थी, लेकिन गोपनीयता तय नहीं होने के कारण मामला फंसा था। अब मंदिर पक्ष एक और कमीशन की कार्यवाही के जरिए उन जगहों का सर्वे और वीडियोग्राफी कराने की मांग अदालत से करेगा जो पिछली बार अधूरा छूट गया था।

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5 दिन तक चला था सर्वे
बता दें कि पहली बार सिविल जज सीनियर डिवीजन की अदालत के आदेश पर कोर्ट कमिश्नर ने 5 दिन तक सर्वे और वीडियोग्राफी कराई थी। इस कार्यवाही में नमाज पढ़ने वाले स्थान, गुंबद और वजू खाने का सर्वे हुआ था। उसी सर्वे के दौरान शिवलिंग नुमा आकृति वजू खाने के पानी में मिली थी, जिसे मंदिर पक्ष आदि विश्वेश्वर का शिवलिंग कह रहा है तो मस्जिद पक्ष उसे फव्वारा बता रहा है।

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जब होगा दूसरा सर्वे, उससे सब हो जाएगा साफ
मंदिर पक्ष के अधिवक्ता सुभाष नंदन चतुर्वेदी और सुधीर त्रिपाठी का कहना है कि जब दूसरा सर्वे होगा, उससे तस्वीर पूरी तरह से साफ हो जाएगा। पिछली बार कुछ जगहों का सर्वे नहीं हो पाया था। कई जगह ईंट और पत्थर की दीवार से दरवाजे बंद करने जैसा प्रतीत हुआ। ऐसे ही 2 तहखाने हैं जिसका अंदर से सर्वे जरूरी है। सुभाष नंदन चतुर्वेदी ने कहा कि शिवलिंग के नीचे अगर अरघा मिल जाएगा तो साफ हो जाएगा कि यहीं बाबा विश्वनाथ मंडप और मंदिर है।

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22 सितंबर को होगी इस मामले में सुनवाई 
बता दें कि इस मामले की अगली सुनवाई 22 सितंबर को होगी। बताया जा रहा है कि 22 सितंबर से पहले मस्जिद पक्ष इस फैसले के खिलाफ हाईकोर्ट से स्टे लेने की कोशिश में है, लेकिन मंदिर पक्ष भी हाई कोर्ट में कैविएट दाखिल कर सकता है। कैविएट दाखिल करने का मतलब ये है कि मस्जिद पक्ष की याचिका पर हाईकोर्ट कोई फैसला देने से पहले मंदिर पक्ष को भी सुनेगा। मंदिर पक्ष पोषणीयता पर वहीं दलीलें हाईकोर्ट में रखेगा, जो उसने जिला जज की अदालत में रखी थीं क्योंकि मंदिर पक्ष को यकीन है कि हाईकोर्ट भी जिला जज की अदालत की तरह उनकी दलीलों और साक्ष्यों को सुनकर फैसला यथावत रखेगा। 

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