Edited By Ruby,Updated: 22 Jan, 2019 02:29 PM
पूर्व विदेश मंत्री और कांग्रेस के पूर्व कद्दावर नेता रहे कुंवर नटवर सिंह ने लोकसभा चुनाव में महागठबंधन की जीत तय बताते हुए कहा देश की अगली प्रधानमंत्री बहुजन समाज पार्टी (बसपा) की अध्यक्ष मायावती होंगी। सिंह ने रामगढ़ विधानसभा सीट से बसपा के टिकट पर...
लखनऊ/अलवरः पूर्व विदेश मंत्री और कांग्रेस के पूर्व कद्दावर नेता रहे कुंवर नटवर सिंह ने लोकसभा चुनाव में महागठबंधन की जीत तय बताते हुए कहा देश की अगली प्रधानमंत्री बहुजन समाज पार्टी (बसपा) की अध्यक्ष मायावती होंगी। सिंह ने रामगढ़ विधानसभा सीट से बसपा के टिकट पर चुनाव लड़ रहे अपने पुत्र जगत सिंह के चुनाव प्रचार के दौरान पत्रकारों से कहा कि मायावती के सितारे बुलंद हैं और उत्तर प्रदेश से ही देश की राजनीति चलती है, इसलिए निश्चित रूप से मायावती प्रधानमंत्री बन सकती हैं। उन्होंने कहा कि जिस तरीके से महागठबंधन बना है, उससे स्पष्ट है कि महागठबंधन की जीत होगी।
सिंह ने कहा कि भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) हालांकि सबसे बड़ी पार्टी होगी लेकिन उसे बहुमत नहीं मिलेगा। कांग्रेस के भविष्य के सवाल पर उन्होंने कहा कि कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी को अभी बहुत मेहनत करने की जरूरत है, इसलिए कांग्रेस का भविष्य भी ज्यादा उज्ज्वल नहीं है। 44 सीटों से बढ़कर ज्यादा से ज्यादा 80 सीटें हो सकती हैं, कांग्रेस इससे ज्यादा कुछ हासिल नहीं कर पाएगी। उन्होंने कहा कि अगर मैं कांग्रेस का सलाहकार होता तो राहुल गांधी को तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह का पर्चा नहीं फाड़ने देता और गांधी प्रधानमंत्री के बारे में ‘चौकीदार चोर है’ शब्द का इस्तेमाल कर रहे हैं, उन्हें यह शब्द नहीं कहने देता।
सिंह ने कहा कि इससे कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष की गरिमा कम हुई है। उन्होंने कहा कि सोनिया गांधी जी के नेतृत्व में कांग्रेस एकजुट रही थी, लेकिन उनके बाद कांग्रेस के टुकड़े होने स्वाभाविक है। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की विदेश नीति की चर्चा करते हुए कहा कि अब तक कोई ठोस नतीजा नहीं आया है और तीन राज्यों के चुनाव हारने के बाद उनकी छवि गिरी है। राज्य की हुकूमत करना अलग बात है और देश पर हुकूमत करना अलग बात है। इसलिए देश की हुकूमत करने वाली दिल्ली की विदेश नीति और कूटनीति में सामंजस्यता होनी चाहिए। सिंह ने कहा कि आजादी के समय 51 देश थे, लेकिन अब उनकी संख्या बढ़कर 193 हो गई है, और जैसे-जैसे संख्या बढ़ती गई उनके समूह भी बनते गए और गुटबाजी भी पनप गई। ऐसे में सभी देशों के साथ विदेश नीति और कूटनीति अलग अलग तरीके से अपनाई जानी चाहिए।