Loksabha Election 2024: एक नजर कन्नौज लोकसभा सीट पर, यादव परिवार बचा लेगा गढ़ या फिर खिल जाएगा कमल ?

Edited By Imran,Updated: 03 Apr, 2024 05:38 PM

loksabha election 2024 a look at kannauj lok sabha seat

उत्तर प्रदेश की 80 सीटों में एक कन्नौज लोकसभा सीट है। कन्यकुब्ज से कन्नौज बनी यह नगरी इत्र के शहर के नाम से मशहूर है। यहां बनने वाली इत्र की दुनियाभर में खुशबू बिखरती है। वहीं इस लोकसभा सीट का इतिहास भी काफी खूबसूरत है।

Loksabha Election 2024: उत्तर प्रदेश की 80 सीटों में एक कन्नौज लोकसभा सीट है। कन्यकुब्ज से कन्नौज बनी यह नगरी इत्र के शहर के नाम से मशहूर है। यहां बनने वाली इत्र की दुनियाभर में खुशबू बिखरती है। वहीं इस लोकसभा सीट का इतिहास भी काफी खूबसूरत है। साल 1952 में पहली बार इस सीट पर चुनाव हुए थे। पहली चुनाव में कांग्रेस के शंभू नाथ मिश्रा ने जीत यहां दर्ज  की थी। साल 1957 में शंभूनाथ इसी सीट पर दोबारा सांसद बने थे। लेकिन साल 1962 के तीसरे चुनाव में मूल चंद्र सांसद चुने गए थे। मगर साल 1963 के उपचुनाव में शंभू नाथ मिश्रा एक बार फिर कांग्रेस से सांसद बन गए थे। साल 1967 के चुनाव में समाजवादी विचारक राम मनोहर लोहिया यहां से कांग्रेस को हराकर चुनाव जीते थे। लेकिन साल 1971 में कांग्रेस ने एक बार फिर चुनाव जीत लिया था। साल 1977 में जनता पार्टी के राम प्रकाश त्रिपाठी और साल 1980 में जनता पार्टी के ही छोटे सिंह यादव यहां से चुनाव जीते थे। वहीं साल 1984 में कांग्रेस की शीला दीक्षित ने यहां से चुनाव जीता था लेकिन साल 1989 और 1991 के चुनाव में जनता दल के टिकट पर छोटे सिंह यादव फिर से यहां सांसद चुने गए थे।
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साल 1996 में बीजेपी ने यहां पहली बार चुनाव जीता और चंद्र भूषण सिंह सांसद बने लेकिन 1998 के चुनाव में समाजवादी पार्टी के प्रदीप यादव यहां से चुनाव जीते, तो फिर लंबे समय तक ये सीट सपा के पास रही। साल 1999 में इस सीट पर मुलायम सिंह यादव चुनाव जीते थे लेकिन उन्होंने कुछ समय बाद ही इस्तीफा दे दिया था। फिर साल 2000 में हुए उपचुनाव में मुलायम सिंह के बेटे अखिलेश यादव ने इसी सीट से अपनी राजनीतिक पारी की शुरुआत की थी। अखिलेश उपचुनाव जीते और उसके बाद उन्होंने साल 2004 और 2009 के चुनाव में जीत दर्ज कर हैट्रिक लगाई थी। अखिलेश यादव ने साल 2012 में उत्तर प्रदेश का मुख्यमंत्री बनने के बाद इस सीट की सांसदी छोड़ दी थी। उनके इस्तीफे से इस सीट पर  हुए उपचुनाव में अखिलेश की पत्नी डिंपल यादव निर्विरोध सांसद चुनी गई थी।  साल 2014 की मोदी लहर में भी डिंपल यादव ने चुनाव जीता था लेकिन साल 2019 के पिछले चुनाव में डिंपल यादव बीजेपी के सुब्रत पाठक से नजदीकी मुकाबले में हार गई थी। 

कन्नौज लोकसभा सीट के तहत कुल 5 विधानसभा 
आपको बता दें कि कन्नौज लोकसभा सीट के तहत कुल 5 विधानसभा सीटें आती हैं। जिसमें कन्नौज जिले की कन्नौज सुरक्षित, छिबरामऊ और तिर्वा है। जबकि कानपुर देहात जिले की रसूलाबाद सुरक्षित और औरैया जिले की विधूना शामिल है। 
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साल 2022 में हुए विधानसभा चुनाव में कन्नौज लोकसभा क्षेत्र की 4 सीटें बीजेपी ने जीती हैं। जबकि एक सीट पर सपा का कब्जा है। समाजवादी पार्टी ने औरैया जिले की विधूना सीट पर जीत दर्ज की है। वहीं कन्नौज सुरक्षित, छिबरामऊ, तिर्वा और कानपुर देहात की रसूलाबाद सुरक्षित सीट बीजेपी के पास है। 


2019 में हुए लोकसभा चुनाव के आंकड़ें
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अगर बात मतदाताओं की करें, तो इस लोकसभा सीट पर कुल मतदाताओं की संख्या 18 लाख 55 हजार 121 है। जिसमें पुरुष मतदाताओं की संख्या 10 लाख 14 हजार 618 है, जबकि महिला मतदाता 8 लाख 40 हजार 426 है, वहीं ट्रांसजेंडर के कुल 97 मतदाता शामिल हैं।

एक नजर 2019 लोकसभा चुनाव के नतीजों पर 
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कन्नौज सीट पर साल 2019 में हुए पिछले लोकसभा चुनाव पर नज़र डालें, तो इस सीट पर बीजेपी ने बेहद नजदीकी मुकाबले में जीत दर्ज की थी। बीजेपी के सुब्रत पाठक ने सपा की डिंपल यादव को 12 हजार वोटों के मामूली अंतर से हराया था। सुब्रत पाठक को कुल 5 लाख 63 हजार 087 वोट मिले थे। जबकि डिंपल यादव को 5 लाख 50 हजार 734 वोट मिले थे, वहीं तीसरे नंबर पर नोटा रहा था, नोटा को 8 हजार 165 वोट पड़े थे।

एक नजर साल 2014 के लोकसभा चुनाव के नतीजों पर
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कन्नौज सीट पर साल 2014 में हुए लोकसभा चुनाव पर नज़र डालें, तो इस सीट पर सपा की डिंपल यादव ने जीत दर्ज की थी। सपा प्रत्याशी ने बीजेपी उम्मीदवार को करीब 20 हजार वोटों के अंतर से हराया था। डिंपल यादव को कुल 4 लाख 89 हजार 164 वोट मिले थे। जबकि दूसरे नंबर पर बीजेपी के सुब्रत पाठक रहे थे। सुब्रत पाठक को कुल 4 लाख 69 हजार 858 वोट मिले थे। वहीं तीसरे नंबर पर बसपा के निर्मल तिवारी थे। तिवारी ने कुल 1 लाख 27 हजार 785 वोट पाए थे।

एक नजर साल 2009 के लोकसभा चुनाव नतीजों पर
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साल 2009 में कन्नौज लोकसभा सीट पर सपा के अखिलेश यादव ने चुनाव जीता था। अखिलेश यादव ने बसपा के महेश चंद्र वर्मा को करीब सवा लाख वोटों से हराया था। अखिलेश यादव को कुल 3 लाख 37 हजार 751 वोट मिले थे जबकि दूसरे नंबर पर रहे बसपा के महेश चंद्र वर्मा को कुल 2 लाख 21 हजार 887 वोट मिले थे वहीं तीसरे नंबर पर बीजेपी के सुब्रत पाठक रहे थे पाठक ने कुल 1 लाख 50 हजार 872 वोट हासिल किए थे।

एक नजर साल 2004 के लोकसभा चुनाव नतीजों पर
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साल 2004 में कन्नौज लोकसभा सीट समाजवादी पार्टी ने जीती थी सपा के अखिलेश यादव ने इस सीट पर 3 लाख से अधिक वोटों के अंतर से जीत दर्ज की थी। उन्होंने बसपा के ठाकुर राजेश सिंह को हराया था। अखिलेश यादव को कुल 4 लाख 64 हजार 367 वोट मिले थे। जबकि बसपा के ठाकुर राजेश सिंह को कुल 1 लाख 56 हजार 994 वोट मिले थे, तीसरे नंबर पर बीजेपी के रामानंद यादव रहे थे। रामानंद यादव को कुल 1 लाख 12 हजार 349 वोट मिले थे। 

यादव परिवार के मैदान में उतरने से देश की हॉट सीटों में इसका शुमार
कन्नौज लोकसभा उत्तर प्रदेश की सीट नंबर- 42 है। यहां चुनाव में यादव परिवार के मैदान में उतरने से देश की हॉट सीटों में इसका शुमार होता है। साल 1998 से दो उपचुनाव समेत 7 बार यहां से सपा चुनाव जीत चुकी है। इसलिए इस सीट को समाजवादी पार्टी का गढ़ कहा जाता है।  हालांकि पिछले चुनाव में कांटे का मुकाबला इस सीट पर बीजेपी और सपा के बीच हुआ था, जिसमें बीजेपी बाजी मार गई थी और यहां यादव परिवार की जीत पर ब्रेक लग गया था। हालांकि आजादी के बाद से अब हुए चुनाव में बीजेपी इस सीट पर केवल दो बार ही चुनाव जीती है। पहली बार साल 1996 और दोबारा साल 2019 में कन्नौज में कमल खिला है। जबकि बसपा आज तक इस सीट को जीत नहीं पाई है। हालांकि कई बार मुकाबले में चुनाव हारी है। वैसे ये सीट यादव, दलित, मुस्लिम और ब्राह्मण बहुल मानी जाती है। हालांकि ओबीसी, ठाकुर और कुर्मी बिरादरी का वोट यहां निर्णायक भूमिका में है। ओबीसी और सवर्ण वोट बैंक की बदौलत ही मोदी लहर में पिछला चुनाव बीजेपी इस सीट पर जीतने में कामयाब हुई थी, वर्तमान में इस सीट पर बीजेपी के सुब्रत पाठक सांसद हैं।


 

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