इलाहाबाद हाईकोर्ट का फैसला- बच्चों से ओरल यौन उत्पीड़न गंभीर अपराध नहीं, कोर्ट ने घटाई सजा

Edited By Tamanna Bhardwaj,Updated: 23 Nov, 2021 10:39 AM

high court s decision regarding harassment of children

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने ओरल यौन उत्पीड़न को ‘गंभीर यौन हमला’ नहीं माना है। हाईकोर्ट ने एक बच्चे के साथ हुए यौन उत्पीड़न के मामले में अहम फैसला सुनाया है। कोर्ट ने बच्चों के साथ ओरल यौन उत्पीड़न को ‘गंभीर यौन हमला’ नहीं माना है और...

प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने ओरल यौन उत्पीड़न को ‘गंभीर यौन हमला’ नहीं माना है। हाईकोर्ट ने एक बच्चे के साथ हुए यौन उत्पीड़न के मामले में अहम फैसला सुनाया है। कोर्ट ने बच्चों के साथ ओरल यौन उत्पीड़न को ‘गंभीर यौन हमला’ नहीं माना है और ऐसे ही एक मामले में दोषी करार दिए गए शख्स को निचली अदालत से मिली सजा घटा दी है।

हाईकोर्ट ने इस प्रकार के अपराध को पॉक्सो एक्ट (POCSO Act) की धारा 4 के तहत दंडनीय माना है, लेकिन कोर्ट ने अपने फैसले में कहा है कि यह कृत्य एग्रेटेड पेनेट्रेटिव सेक्सुअल असॉल्ट या गंभीर यौन हमला नहीं है। लिहाजा ऐसे मामले में पॉक्सो एक्ट की धारा 6 और 10 के तहत सजा नहीं सुनाई जा सकती। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने इस मामले में दोषी को मिली 10 साल कैद की सजा घटाकर 7 साल कर दी। साथ ही 5 हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया।

ये है मामला
अपीलकर्ता पर आरोप था कि वह शिकायतकर्ता के घर आया और उसके 10 साल के बेटे को साथ ले गया। उसे 20 रुपये देते हुए उसके साथ ओरल यौन उत्पीड़न किया। सोनू कुशवाहा ने अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश/ विशेष न्यायाधीश, पॉक्सो अधिनियम, झांसी द्वारा पारित उस निर्णय के खिलाफ इलाहाबाद हाईकोर्ट में आपराधिक अपील दायर की थी, जिसमें कुशवाहा को दोषी ठहराया गया था।


 

Related Story

Trending Topics

IPL
Chennai Super Kings

176/4

18.4

Royal Challengers Bangalore

173/6

20.0

Chennai Super Kings win by 6 wickets

RR 9.57
img title
img title

Be on the top of everything happening around the world.

Try Premium Service.

Subscribe Now!