Edited By Mamta Yadav,Updated: 26 Feb, 2024 11:39 PM
इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने ज्ञानवापी के व्यासजी तहखाने में काशी विश्वनाथ मंदिर न्यास को पूजा का अधिकार देने के वाराणसी जिला न्यायाधीश के 17 जनवरी के आदेश को चुनौती देने वाली अंजुमन इंतिजामिया मसाजिद की अपील सोमवार को खारिज कर दी ।
Prayagraj News: इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने ज्ञानवापी के व्यासजी तहखाने में काशी विश्वनाथ मंदिर न्यास को पूजा का अधिकार देने के वाराणसी जिला न्यायाधीश के 17 जनवरी के आदेश को चुनौती देने वाली अंजुमन इंतिजामिया मसाजिद की अपील सोमवार को खारिज कर दी। न्यायालय ने ज्ञानवापी के व्यास जी तहखाने में काशी विश्वनाथ मंदिर न्यास को पूजा का अधिकार देने के वाराणसी जिला जज के आदेश को सही माना है, साथ ही 1993 के उत्तर प्रदेश सरकार के उस मौखिक आदेश को भी अवैध बताया, जिसके आधार पर तहखाने में पूजा-पाठ, अनुष्ठान करने पर रोक लगा दी गई थी। न्यायालय ने कहा कि समग्र दलीलों पर विचार करने और रिकॉर्ड पर मौजूद सामग्री का विश्वलेषण करने के बाद यह पाया गया कि जिला जज के आदेश में हस्तक्षेप की जरूरत नहीं है। उच्च न्यायालय ने दोनों पक्षों की लंबी बहस के बाद फैसला सुरक्षित कर लिया था।
इस मामले में जिला जज वाराणसी ने बीते 17 जनवरी को डीएम को रिसीवर नियुक्त कर तहखाने में पूजा करने का आदेश पारित किया था। प्रतिवादी पक्ष अंजुमन इंतजामिया मसाजिद कमेटी ने पूजा पर रोक लगाने के लिए उच्च न्यायालय में याचिका दाखिल की थी। हाई कोर्ट के न्यायमूर्ति रोहित रंजन अग्रवाल ने प्रतिवादी पक्ष की दाखिल याचिका को खारिज कर दिया। जस्टिस रोहित रंजन अग्रवाल की सिंगल बेंच के फैसले से मुस्लिम पक्ष को झटका लगा है। पांच कार्य दिवसों पर हुई सुनवाई के बाद अदालत ने जजमेंट रिजर्व कर लिया था। हिंदू पक्ष की ओर से सुप्रीम कोर्ट के सीनियर एडवोकेट सीएस वैद्यनाथन एवं विष्णु शंकर जैन ने बहस की थी। मुस्लिम पक्ष की ओर से सीनियर एडवोकेट सैयद फरमान अहमद नकवी एवं यूपी सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड के अधिवक्ता पुनीत गुप्ता ने पक्ष रखा था।
ज्ञानवापी मामले में वरिष्ठ अधिवक्ता हरिशंकर जैन ने हाईकोर्ट के फैसले को स्वागत योग्य करार दिया है। हिंदुओं को पूजा करने का जो अधिकार है, उसे हाई कोर्ट ने बरकरार रखा है। 1993 तक हिंदू व्यास तहखाना में पूजा कर रहे थे लेकिन उसे असंवैधानिक गैर-कानूनी तरीके से रोक दिया गया था। उन्होंने कहा कि मुस्लिम पक्ष सुप्रीम कोर्ट जा सकते हैं लेकिन हम भी विरोध करने के लिए तैयार हैं।