ज्ञानवापी केस: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने मुस्लिम पक्ष की 5 याचिकाएं की खारिज, कहा- हिंदू पक्ष की याचिका सुनने योग्य

Edited By Tamanna Bhardwaj,Updated: 19 Dec, 2023 11:28 AM

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इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने ज्ञानवापी मस्जिद परिसर के स्वामित्व को लेकर वाराणसी की एक अदालत में लंबित मूल वाद की पोषणीयता और ज्ञान...

प्रयागराज: इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने ज्ञानवापी मस्जिद परिसर के स्वामित्व को लेकर वाराणसी की एक अदालत में लंबित मूल वाद की पोषणीयता और ज्ञानवापी परिसर का समग्र सर्वेक्षण कराने के निर्देश को चुनौती देने वाली सभी पांच याचिकाएं मंगलवार को खारिज कर दी। न्यायमूर्ति रोहित रंजन अग्रवाल ने सुनवाई के दौरान कहा कि वर्ष 1991 में वाराणसी की अदालत में दायर मूल वाद पोषणीय (सुनवाई योग्य) है और यह पूजा स्थल अधिनियम, 1991 से निषिद्ध नहीं है। हाईकोर्ट ने हिंदू पक्ष की सभी 5 याचिकाओं को सुनने योग्य माना है।
PunjabKesariआदेश दिया कि 6 महीने में इसकी सुनवाई पूरी की जाए। वहीं सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड व अंजुमन इंतजामिया मसाजिद कमेटी की याचिकाओं को खारिज कर दिया है। कोर्ट ने 1991 में दाखिल सिविल वाद के ट्रायल को भी मंजूरी दी है। ये याचिकाएं ज्ञानवापी मस्जिद का प्रबंधन करने वाली अंजुमन इंतेजामिया मस्जिद कमेटी और उत्तर प्रदेश सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड द्वारा दायर की गई थीं। इन याचिकाओं में वाराणसी की अदालत के आठ अप्रैल 2021 को दी गईउस व्यवस्था को भी चुनौती दी गई थी, जिसमें ज्ञानवापी मस्जिद का सर्वेक्षण कराने का निर्देश दिया गया था।
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ज्ञानवापी मस्जिद, मंदिर का हिस्सा: हिंदू पक्ष
हिंदू पक्ष के मुताबिक, ज्ञानवापी मस्जिद, मंदिर का हिस्सा है। अंजुमन इंतेजामिया मस्जिद कमेटी और उत्तर प्रदेश सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड की दलील है कि इस मुकदमे की पूजा स्थल अधिनियम (विशेष प्रावधान) 1991 के तहत सुनवाई नहीं हो सकती है। इस कानून में कहा गया है कि किसी भी धर्म के पूजा स्थल का जो अस्तित्व 15 अगस्त 1947 के दिन था, वही बाद में भी रहेगा।

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