मथुरा में शाही ईदगाह के सर्वे के लिए अधिवक्ता आयोग की नियुक्ति की याचिका पर फैसला सुरक्षित

Edited By Tamanna Bhardwaj,Updated: 16 Nov, 2023 06:12 PM

decision reserved on the petition for appointment

इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने मथुरा में शाही ईदगाह परिसर के सर्वेक्षण के लिए अधिवक्ता आयोग की नियुक्ति के आवेदन पर अपना निर्णय बृहस्पतिवार को सुरक्षित रख लिया। यह आदेश न्यायमूर्ति मयंक कुमार जैन...

प्रयागराज: इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने मथुरा में शाही ईदगाह परिसर के सर्वेक्षण के लिए अधिवक्ता आयोग की नियुक्ति के आवेदन पर अपना निर्णय बृहस्पतिवार को सुरक्षित रख लिया। यह आदेश न्यायमूर्ति मयंक कुमार जैन की एकल पीठ ने शाही ईदगाह मस्जिद हटाने की मांग वाली एक याचिका पर सुनवाई करते हुए सुरक्षित रखा। वादी का दावा है कि इस मस्जिद का निर्माण एक हिंदू मंदिर के ऊपर किया गया है। इलाहाबाद उच्च न्यायालय के आदेश पर कृष्ण जन्मभूमि और शाही ईदगाह से जुड़े सभी मुकदमे इस उच्च न्यायालय को स्थानांतरित किए गए हैं। 

मुकदमा संख्या एक- भगवान श्री कृष्ण विराजमान बनाम यूपी सुन्नी सेंट्रल बोर्ड में वादियों की तरफ से विवादित संपत्ति का निरीक्षण करने के लिए एक अधिवक्ता आयोग नियुक्त करने की मांग के साथ आवेदन किया गया है। वादी पक्ष के अधिवक्ता विष्णु शंकर जैन ने दलील दी कि कई ऐसे संकेत हैं जिनसे साबित होता है कि विवादित संपत्ति एक हिंदू मंदिर है, जैसे कलश, शिखर आदि हिंदू वास्तु शैली के उदाहरण हैं। उन्होंने दावा किया है कि यहां एक स्तंभ है जिसमें कमल के आकार का शीर्ष है और शेषनाग की छवि है जिन्हें हिंदू देवता मानते हैं और जिन्होंने भगवान कृष्ण की जन्माष्टमी की रात रक्षा की थी। 

उन्होंने कहा कि मौजूदा ढांचे में इस स्तंभ के आधार पर हिंदू धार्मिक प्रतीक और नक्काशी साफ तौर पर दिखाई देते हैं। जैन ने अदालत से इन दलीलों के आलोक में तीन अधिवक्ताओं वाले एक आयोग के गठन के साथ ही रिपोर्ट सौंपने का निर्देश देने की प्रार्थना की। उन्होंने कहा कि इस आयोग की संपूर्ण कार्यवाही की वीडियोग्राफी, फोटोग्राफी कराई जाए और जिला प्रशासन को इस कार्यवाही के दौरान पुलिस सुरक्षा मुहैया कराने और कानून व्यवस्था बनाए रखने का निर्देश दिया जाए। इस आवेदन का सुन्नी सेंट्रल बोर्ड की ओर से यह कहते हुए विरोध किया गया कि चूंकि वाद की विचारणीयता को लेकर उनकी आपत्ति लंबित है, इसलिए इस चरण में इस आवेदन पर कोई आदेश पारित करने की आवश्यकता नहीं है। हालांकि, अधिवक्ता जैन ने कुछ कानूनी फैसलों का हवाला देते हुए कहा कि अदालत वाद के किसी भी चरण में आयोग के गठन का निर्देश जारी कर सकती है। दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद अदालत ने अपना निर्णय सुरक्षित रख लिया। 
 

Related Story

Trending Topics

IPL
Chennai Super Kings

176/4

18.4

Royal Challengers Bangalore

173/6

20.0

Chennai Super Kings win by 6 wickets

RR 9.57
img title
img title

Be on the top of everything happening around the world.

Try Premium Service.

Subscribe Now!